ब्रुकिंग्स इंस्टीट्यूशन और ‘किंग्स एंड प्रेसिडेंट्स: सऊदी अरबिया एंड द यूनाइटेड स्टेट्स सिंस एफ़डीआर’ के लेखक राइडेल ने वॉल स्ट्रीट जर्नल से कहा है, ”1962 में राष्ट्रपति जॉन एफ़ केनेडी को तब के क्राउन प्रिंस फ़ैसल को दास प्रथा को ख़त्म करने के लिए मनाना पड़ा था. दूसरा मौक़ा तब आया जब 2015 में राष्ट्रपति बराक ओबामा को किंग सलमान को जेल में बंद राइफ़ बदावी को सार्वजनिक रूप से शारीरिक सज़ा देने से रोकने के लिए मनाना पड़ा था.”
“बदावी को दस सालों की क़ैद और इस्लाम को अपमानित करने के मामले में एक हज़ार कोड़े मारने की सज़ा मिली है. उन्हें ये सज़ा एक ब्लॉग लिखने के कारण मिली है. 50 कोड़े बदावी को पहले ही लगाए जा चुके हैं.”
जिमी कार्टर को अमरीका का इस मामले में पहला राष्ट्रपति माना जाता है जिन्होंने विदेश नीति में मानवाधिकार को शीर्ष पर रखा. 1977 से अमरीकी विदेश मंत्रालय ने दुनिया के देशों की मानवाधिकारों पर वार्षिक रिपोर्ट बनानी शुरू की थी. राइडेल का कहना है कि न तो कार्टर ने और न ही बाक़ी राष्ट्रपतियों ने कभी सऊदी पर इस तरह की रिपोर्ट बनाई.
क्राउन प्रिंस सलमान के आने के बाद से सऊदी में बड़ी संख्या में मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, महिला अधिकारों के लिए लड़ने वाली महिलाओं और वक़ीलों को गिरफ़्तार कर जेल में डाल दिया गया और राष्ट्रपति ट्रंप ने भी अपने पूर्ववर्तियों का ही रुख़ अख़्तियार किया.
ट्रंप ने साफ़ कर दिया था, “उनके लिए फ़ायदे के आर्थिक संबंध मायने रखते हैं न कि मानवाधिकार.” मई 2017 में ट्रंप ने पहला विदेशी दौरा के लिए सऊदी अरब को चुना था. इससे पहले के राष्ट्रपति पहले विदेशी दौरे के तौर पर पड़ोसी कनाडा या मेक्सिको को चुनते थे.
अपने सऊदी दौरे पर ट्रंप ने कहा था, ”मैं यहां भाषण देने नहीं आया हूं. मैं यहां इसलिए नहीं आया हूं कि आपको बताऊं कि कैसे रहना है, क्या करना है और कैसे अपने अराध्य की पूजा करनी है.”
पिछले तीन सालों में हाउस ऑफ सऊद और व्हाइट हाउस में क़रीबी और बढ़ी है. ट्रंप के दामाद जैरेड कशनर और सऊदी के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन-सलमान में गहरी दोस्ती है. दोनों के बीच ये संबंध अमरीका में राष्ट्रपति चुनाव के दौरान पनपा था और 2016 में ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद भी जारी रहा.