पश्चिमी देशों, विशेषकर अमेरिका और ब्रिटेन द्वारा यूक्रेन को दी जा रही सैन्य सहायता से नाराज रूस ने भविष्य में तीसरा विश्वयुद्ध होने की बात कर डाली है। रूसी विदेश मंत्री की इस अपरोक्ष धमकी ने विश्वभर में भारी खलबली मचाने का काम कर दिया है
रूस और यूक्रेन के बीच शुरू हुई जंग को दो महीने से ज्यादा समय बीच चुका है। रूस ने 24 फरवरी को सबको हैरान करते हुए यूक्रेन पर हमला कर दिया था। तब से दुनिया भर के लोग इस युद्ध को खत्म कर शांति बनाने की अपील कर रहे हैं। इस युद्ध को खत्म करने के लिए पश्चिमी देशों ने रूस पर कई तरह के आर्थिक प्रतिबंध भी लगाए हैं इसके बावजूद यह युद्ध खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। अब रूसी विदेश मंत्री के एक बयान से दुनिया सहम सी गई है। दरअसल, रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने तीसरे विश्वयुद्ध की चेतावनी दे डाली है। लावरोव ने कहा है कि यूक्रेन के साथ शांति वार्ता में विराम नहीं लगेगा लेकिन तीसरे विश्व युद्ध का खतरा ‘वास्तविक’ है। यह बात रूसी समाचार एजेंसियों से बात करते हुए विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कही है। उनका मानना है कि पश्चिमी देश यूक्रेन को जो हथियार भेजने में लगे हुए हैं, वह रूस के सैन्य ठिकानों को निशाना बना सकते हैं जो तीसरे विश्व युद्ध का असल खतरा बनने के लिए काफी है। इतना ही नहीं विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने शांति वार्ता को लेकर यूक्रेन के रुख को भी कटघरे में खड़ा किया है। उन्होंने कहा कि गुडविल की अपनी कुछ सीमाएं होती हैं। लेकिन यह पारस्परिक नहीं है, तो बातचीत सार्थक रूप नहीं ले सकती है। खैर, हम यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की द्वारा सौंपी गई टीम के साथ लगातार बातचीत करते रहेंगे।
लेकिन राजनीतिक विशेषज्ञों को लगता है कि जिस तरह से अमेरिका ने लगातार अपने कानूनों में बदलाव करते हुए यूक्रेन की मदद के लिए 16.5 करोड़ डॉलर के गोला-बारूद की बिक्री को मंजूरी दी है उससे ऐसा लग रहा है कि अगर यूक्रेन रूस पर हमला करता है तो रूस के विदेश मंत्री का बयान सच में तब्दील हो जाएगा। ऐसा इसलिए क्योंकि ब्रिटिश पीएम बोरिस जॉनसन पहले ही कह चुके हैं कि रूस दूसरे विश्वयुद्ध के बाद यूरोप में सबसे बड़ी जंग की तैयारी कर रहा है। रूस-यूक्रेन की महाजंग को लेकर खतरा इसलिए भी बढ़ रहा है क्योंकि यूक्रेन की रक्षा के लिए अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन और जर्मनी जैसे देश सहायता कर रहे हैं।
इन देशों के पास है परमाणु हथियार
इस वक्त दुनिया में नौ देशों के पास परमाणु हथियार हैं जिनमें अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस, चीन, भारत, पाकिस्तान, इजरायल और उत्तर कोरिया शामिल हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हथियारों पर नजर रखने वाली संस्था ‘स्टॉकहोम अंतरराष्ट्रीय शांति शोध संस्थान’ (सिपरी) के मुताबिक वर्ष 2019 की शुरुआत में दुनिया में परमाणु हथियारों की संख्या 13,865 थी। इस आंकड़े में उन सभी हथियारों को गिना गया है जिन्हें तैनात किया गया है या फिर अंतरराष्ट्रीय दबाव में नष्ट किया जाना बाकी है।
‘सिपरी’ की ताजा रिपोर्ट कहती है कि भले ही परमाणु शक्ति संपन्न देश अपने हथियारों को आधुनिक बनाने में जुटे हैं परमाणु हथियारों की संख्या घट रही है। एक साल पहले के मुकाबले परमाणु हथियारों की संख्या 600 कम हुई है। इसकी बड़ी वजह अमेरिका और रूस के बीच हुई ‘स्टार्ट’ संधि है जिसके तहत दोनों देशों ने अपने परमाणु हथियार घटाए हैं। रूस के पास अभी लगभग 6,500 परमाणु हथियार हैं जबकि अमेरिका के पास लगभग 6,185 हथियार है। इनमें से एक चौथाई हथियारों को ही तैनात किया गया है। ‘स्टार्ट’ संधि वर्ष 2021 में खत्म हो गई है। दोनों देशों ने अभी इसे आगे बढ़ाने पर बात शुरू नहीं की थी कि इससे पहले ही रूस और यूक्रेन युद्ध शुरू हो गया।
‘सिपरी’ के मुताबिक, रूस और अमेरिका, दोनों ही अपने परमाणु अस्त्रागार, मिसाइलों और डिलीवरी सिस्टम को आधुनिक बनाने के लिए व्यापक कार्यक्रम चला रहे हैं और इस काम पर खूब धन खर्च भी कर रहे हैं। वही दक्षिण एशिया में भारत और पाकिस्तान भी अपने परमाणु हथियारों को बढ़ा रहे हैं। अनुमान है कि भारत के पास 130 से 140 और पाकिस्तान के पास 150 से 160 परमाणु हथियार हैं। वहीं उत्तर कोरिया के पास 20 से 30 परमाणु हथियार हैं और वह उन्हें अपने देश की सुरक्षा के लिए रणनीतिक रूप से बहुत अहम मानता है। वैसे जब से उत्तर कोरिया ने अमेरिका के साथ परमाणु निरस्त्रीकरण वार्ता शुरू की है, उसने किसी परमाणु हथियार या फिर लंबी दूरी की बैलेस्टिक मिसाइल का परीक्षण नहीं किया है। अन्य देशों में फ्रांस के पास 300, चीन के पास 290, ब्रिटेन के पास 200 और इजरायल के पास 80 से 90 परमाणु हथियार हैं।