रूस और यूक्रेन के बीच लबें समय से सीमा विवाद चल रहा है। इस विवाद पर दोनों देश लगातार बयानबाजी करते रहे हैं। लेकिन पिछले कुछ समय से यह बयानबाजी चरम पर पहुंच गई है। इससे दोनों देशों की सीमा पर तनाव का तापमान लगातार बढ़ रहा है। स्थिति युद्ध सी हो गई है। लगातर बढ़ रहे तनाव के बीच रूस ने अमेरिका को चेतावनी दी है कि वे दो देशों के मामले में हस्तक्षेप करने को कोशिश करेगा तो वह भी जवाबी कार्रवाई करने से नहीं हिचकेगा।
रूस ने नाटो सदस्य देशों से गारंटी मांगी है कि वह यूक्रेन और अन्य पूर्व सोवियत देशों को अपना सदस्य नहीं बनाएगा। साथ ही वह अन्य पूर्व सोवियत देशों में तैनात सैनिकों को वापस बुलाएगा। रूस के नाटो से की गई इन मांगों से स्थिति और तनावपूर्ण हो गया है। रूस का कहना है कि यदि इन मांगों को अमेरिका और उसके सहयोगियों ने पूरा नहीं किया और अपनी ‘आक्रामक’ नीतियों को जारी रखा तो वह तत्काल ‘जवाबी कदम’ उठाने से गुरेज नहीं करेगा।
इसको लेकर रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने 26 जनवरी को सांसदों को संबोधित करते हुए कहा कि वह और शीर्ष अधिकारी रूस की मांगों पर अमेरिका का लिखित जवाब मिलने के बाद अगले कदम के बारे में राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को सलाह देंगे। उन्होंने कहा कि फिलहाल रूस, अमेरिका के जवाब की प्रतीक्षा कर रहा है। लेकिन हमेशा के लिए इंतजार नहीं करेगा।
हालांकि अमेरिका ने रूस की उस मांग को खारिज कर दिया है। 26 जनवरी को ही अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा कि रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे तनाव के बीच रूस ने संकट से बाहर निकलने के लिए एक नया सुझाव दिया था। उसने यूक्रेन को नाटो बल में शामिल न करने का लिखित आश्वासन मांगा था। रूस की इस मांग को हम स्वीकार नहीं कर सकते। यह हमारे सिद्धांतों के खिलाफ है। उनका कहन है कि यूक्रेन को अपनी संप्रभुता, क्षेत्रीय अखंडता, अपनी सुरक्षा आदि के लिए गठबंधन चुनने का अधिकार है। यूक्रेन अपने सहयोगियों को चुन सकता है।
रूस की मांग को अमेरिका द्वारा अस्वीकार करने के बाद तनाव और बढ़ गया है। दुनिया भर की नजर अब रूस के अगले कदम पर है। रूस का अगला कदम जो भी हो लेकिन इस दौरान पूरी दुनिया को एक संभावित युद्ध का खतरा का दर सता रहा है।