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अस्त होने लगा राजशाही का सूर्य!

प्रथम विश्व युद्ध से पहले ब्रिटेन से बड़ी महाशक्ति पूरी दुनिया में कोई और नहीं थी। लेकिन अब धीरे-धीरे ब्रिटेन की राजशाही के खिलाफ कुछ देशों ने स्वतंत्र गणतंत्र के तौर पर आवाज उठाना शुरू कर दिया है। इन देशों में एंटीगुआ और बरबूडा, जमैका, सेंट विन्सेंट, ग्रेनाडाइंस आदि शामिल हैं। ऐसी स्थिति में यह कहने में कोई गुरेज नहीं कि ब्रिटेन की राजशाही का सूर्य अब अस्त होने लगा है

एक समय था जब कहा जाता था कि ब्रिटेन की राजशाही का सूर्य कभी अस्त नहीं होता। भारत, ऑस्ट्रेलिया ही नहीं बल्कि सुपर पावर अमेरिका, कनाडा और अफ्रीका तक ब्रिटेन का साम्राज्य फैला हुआ था। प्रथम विश्व युद्ध से पहले ब्रिटेन से बड़ी महाशक्ति पूरी दुनिया में कोई और नहीं थी। अपने इस समय में ब्रिटिश साम्राज्य पूरी दुनिया के एक चौथाई हिस्से पर राज करता था। लेकिन देखते ही देखते 100 सालों में 70 देशों पर राज करने वाला ब्रिटेन 14 आइलैंड में सिमट कर रह गया है।

दरअसल, ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के निधन के बाद अब उनके बेटे चार्ल्स ब्रिटेन के राजा बन गए हैं। जिसके बाद ब्रिटेन में 70 वर्षों बाद ‘किंग युग’ शुरू हो गया है। अब उन्हें किंग चार्ल्स तृतीय के रूप में जाना जाएगा। किंग चार्ल्स 3 अब ब्रिटिश साम्राज्य के उत्तराधिकारी हैं। लेकिन उनके राजा बनने के बाद कैरिबियाई द्वीप में राजनेताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने उन्हें उनके राष्ट्राध्यक्ष के तौर पर हटाने की मांग शुरू कर दी है। इसी तरह किंग चार्ल्स तृतीय को लंदन के उत्तर में मिल्टन केन्स शहर में राजशाही विरोधी कार्यकर्ताओं का सामना करना पड़ रहा है। प्रदर्शनकारियों के हाथों में विशेष पीले रंग की तख्तियां थीं जिन पर लिखा था ‘नॉट माई किंग’। यह प्रदर्शन ‘रिपब्लिक’ नाम के एक ग्रुप द्वारा आयोजित था। यह ग्रुप राजशाही को हटाने की मांग करता रहा है।

रिपब्लिक के नेता ग्राहम स्मिथ ने ट्विटर पर लिखा ‘मैंने किंग चार्ल्स से पूछा कि वह राज्याभिषेक पर पैसा क्यों बर्बाद कर रहे हैं। वह जवाब नहीं देना चाहते थे। उन्होंने कहा, ‘हम यह संदेश देने के लिए दृढ़ हैं कि रॉयल्स के खिलाफ विरोध करना ठीक है।’ विरोध जताने के लिए रिपब्लिक पार्टी ने घोषणा की है कि वह 6 मई को राज्याभिषेक पर विरोध प्रदर्शन करेंगे। इस ताजा घटनाक्रम के साथ ही राष्ट्रमंडल देशों में किंग चार्ल्स के नेतृत्व में राजशाही के भविष्य पर बहस शुरू हो गई है। दुनिया के 56 देशों पर चार्ल्स राज करेंगे। ये वो देश हैं जो राष्ट्रमंडल के तहत आते हैं। महारानी एलिजाबेथ की मृत्यु के बाद इन देशों में कई बदलाव हुए हैं। ये तमाम देश ब्रिटेन के उपनिवेश रह चुके हैं और यहां पर उन्होंने शासन किया था।

56 में से 14 राष्ट्रमंडल देश
राष्ट्रमंडल देशों की लिस्ट में इस समय टोगो और गैबॉन नए सदस्य बने हैं। हालांकि ये दोनों देश कभी भी ब्रिटेन के गुलाम नहीं रहे। 56 देशों में से 14 राष्ट्रमंडल देश शाही शासन के तहत आते हैं और यहां पर अभी किंग चार्ल्स का ही शासन रहेगा। महारानी एलिजाबेथ ने सन् 1952 में जब राजगद्दी संभाली तो कुछ देशों को आजादी मिल गई थी तो कुछ ने राजशाही को मानने से इनकार कर दिया था। लेकिन एलिजाबेथ ने राष्ट्रमंडल देशों को उस विकल्प के तौर पर देखा जिसके जरिए वह देशों को अपने करीब रख सकती थी। साल 2018 में जब राष्ट्रमंडल देशों के नेताओं का सम्मेलन हुआ तो उन्होंने इस बात की पुष्टि की कि महारानी के निधन के बाद चार्ल्स इस संगठन के मुखिया होंगे।

जिन 14 देशों पर चार्ल्स बतौर महाराज राज करेंगे उनमें यूके के अलावा एंटीगुआ और बारबूडा, ऑस्ट्रेलिया, बहामासा, बेलजी, कनाडा, ग्रेनेडा, जमैका, न्यूजीलैंड, पापुआ न्यू गिनी, सेंट किट्स और नेविस, सेंट लूसिया, सेंट विन्सेंट और ग्रेनाडाइंस, सोलोमन द्वीप और तुवालू शामिल हैं। मगर अब धीरे-धीरे कुछ देशों में राजशाही के विरोध की आवाज उठने लगी है। कुछ देशों ने तो स्वतंत्र गणतंत्र के तौर पर आवाज उठाना भी शुरू कर दी है। इन देशों में एंटीगुआ और बरबूडा, जमैका, सेंट विन्सेंट और ग्रेनाडाइंस शामिल हैं। जैसे ही चार्ल्स एंटीगुआ और बरबूडा के राजा बने, यहां के पीएम गैस्टॉन ब्राउन ने कहा वह एक जनमत संग्रह कराना चाहते हैं। ब्राउन के अनुसार अगले तीन सालों में यह जनमत संग्रह करा लिया जाएगा। पीएम ब्राउन ने कहा था, ‘इस जनमत संग्रह से यह नहीं समझना चाहिए कि राजशाही और एंटीगुआ और बरबूडा के बीच मतभेद हैं। बल्कि यह पूरी आजादी की तरफ बढ़ाया गया एक कदम है।’

ऑस्ट्रेलिया में राजशाही के अंत की शुरुआत
ऑस्ट्रेलिया में भी नोटों से महारानी एलिजाबेथ की तस्वीर हटाने का फैसला लिया गया है। रिजर्व बैंक ऑफ ऑस्ट्रेलिया की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक नए पांच डॉलर में अब स्वदेशी मोटिफ होगा। महारानी एलिजाबेथ द्वितीय की तस्वीर को हटा, नोटों पर ऑस्ट्रेलियाई  छपे होंगे। रिजर्व बैंक ऑफ ऑस्ट्रेलिया ने यह भी कहा कि 5 डॉलर के नोटों का डिजाइन एक स्वदेशी समूह द्वारा किया जाएगा। इसमें यह भी स्पष्ट किया गया है कि नए नोटों को डिजाइन करने में कुछ समय लगने तक मौजूदा नोट चलन में रहेंगे।

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