अपनी जन्मभूमि इंसान को कितनी प्यारी लगती है, यह साइबेरिया के जंगलों में वर्षों से अकेली रहती एक महिला के जीवन से समझा जा सकता है। यह महिला दुनिया की अकेली है, दुनिया से कटी हुई है, लेकिन उस क्षेत्र को नहीं छोड़ना चाहती वहां उसका जन्म हुआ और वहां वर्षों से रहती आ रही है। हालांकि इस महिला के लिए शहर में एक आलीशान घर बनाने को कहा गया और उसे शहर आने के लिए कहा गया था। लेकिन उन्होंने अपने घर को छोड़ने से साफ मना कर दिया है। लिकोवा शहर से सैनिक माउंटसाइड के 150 मील दूर अगाफाया नामक इस महिला के घर को ही अब ओलेगा आधुनिक सुविधाओं से लैस कराने जा जा रहे हैं। अगाफाया आज भी अपने लिये खुद ही सब्जियां और अनाज उगाती हैं और एक बाइबल के सहारे जिंदगी गुजार रही हैं।
अपनी जन्मभूमि इंसान को कितनी प्यारी लगती है, यह साइबेरिया के जंगलों में वर्षों से अकेली रहती एक महिला के जीवन से समझा जा सकता है। यह महिला दुनिया की अकेली है, दुनिया से कटी हुई है, लेकिन उस क्षेत्र को नहीं छोड़ना चाहती वहां उसका जन्म हुआ और वहां वर्षों से रहती आ रही है। जिस इलाके में वह रहती हैं, वहां भेड़िये और भालू भी मौजूद हैं। जो अब उनके लिए बड़ा खतरा साबित हो सकता है। अगाफाया को जान का भी हमेशा खतरा बना रहता है
दरअसल वर्ष 1936 में धार्मिक नरसंहार से डरकर रूस के हजारों परिवार साइबेरिया के जंगलों में रहने चले गए थे। वहां पर भीषण सर्दी के चलते काफी कम लोग ही बच पाए और बाद में शासन बदलने के बाद शहरों को लौट गए। अगाफाया भी इसी दौरान साइबेरिया के जंगलों में ही पैदा हुई थीं। वे आज तक दुनिया से एकदम कटी हुई हैं और उन्हें तृतीय विश्व युद्ध और रूस के पहले मून मिशन के बाद की कोई जानकारी नहीं है। अगाफाया जिस जगह रहती हैं वहां सर्दियों में तापमान -50 डिग्री सेंटीग्रेट तक चला जाता है।
अगाफाया जहां रहती हैं वहां दुनिया में फैली कई बड़ी बीमारियां कभी नहीं पहुंच पाती हैं। साइबेरिया का प्रशासन भी अब अगाफाया की बढ़ती उम्र के चलते काफी चिंतित है। लोकल आफिसर एलेक्जेंडर ने कहा कि अगाफाया घर नहीं छोड़ना चाहती इसी के चलते उनकी देखभाल के लिए एक नर्स रखने पर भी विचार किया गया है। जिस इलाके में वह रहती हैं, वहां भेड़िये और भालू भी मौजूद हैं। जो अब उनके लिए बड़ा खतरा साबित हो सकता है। अगाफाया को जान का भी हमेशा खतरा बना रहता है।