अफगानिस्तान में इन दिनों जजों की लगातार की जा रही हत्याएं दुनिया में सुर्खियों का विषय बना हुआ है । हालात यह हैं कि बीते एक महीने के भीतर तीन जजों की हत्या हो चुकी है। कल तीन फरवरी को जलालाबाद में बंदूकधारियों ने एक जज को गोली मारकर हत्या कर दी है। इससे पहले इसी महीने दो महिला जजों की गोलीमारकर हत्या कर दी गई थी। नानगरहार प्रांत के पुलिस प्रवक्ता फरीद खान के मुताबिक जस्टिस हफीजुल्ला पर हमला तब किया गया जब वे एक मोटर रिक्शा से अदालत जा रहे थे। वहीं एक पब्लिक अस्पताल के एक डॉक्टर के अनुसार उनके शरीर में कई गोलियां मिले। इससे पहले जब राजधानी काबुल में सुप्रीम कोर्ट की दो महिला न्यायधीशों की भी 17 जनवरी को कुछ बंदूकधारियों ने गोली मारकर मौत के घाट उतार दिया था।
अफगानिस्तान में थम नहीं रही हत्याएं , एक और जज को उतारा मौत के घाट
महिला जजों की हत्या के बाद तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने कहा था कि इस हमले के पीछे तालिबान का हाथ नहीं है जबकि अफगानिस्तान सरकार ने इन हत्या की घटनाओं के लिए तालिबान को दोषी ठहराया है। लेकिन तालिबान का आरोप है कि सरकार शांति प्रकिया को बांधित करने के लिए इस प्रकार की हत्याएं करा रही है। इसी हफ्ते काबुल में हुए अलग – अलग बम धमाकों में दो लोगों की मौत हो गई थी। इसके बाद अमेरिका के एक निगरानी समूह ने एक फरवरी को अपनी एक रिपोर्ट में कहा था कि अफगानिस्तान की राजधानी में तालिबान के हमले बढ़ गए हैं ,जिनमें सरकारी अधिकारियों ,नागरिक संस्थाओं के नेताओं और पत्रकारों को निशाना बनाया जा रहा है।
अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन के प्रशासन में अमेरिका और तालिबान के बीच हुए शांति समझौते पर एक बार फिर विचार करने की योजना के एलान के बाद यह रिपोर्ट सामने आई है। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन और तालिबान ने पिछले साल फरवरी में इस समझौते पर हस्ताक्षर किए थे।