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घोस्ट एम्प्लॉयीज को मिल रहा वेतन, जानिए क्‍या है यह मामला और क्‍या है पूरा सच

आमतौर पर हॉरर मूवीज में दिखाया जाता रहा है कि घोस्ट कुछ लोगों को दिखाई देते कुछ लोगों को नहीं। लेकिन फिल्मों से इतर पाकिस्तान में भी कुछ ऐसा ही वाकया हुआ है। जहां जनता को तो कुछ कर्मी नजर नहीं आ रहे हैं लेकिन एक संगठन को ये ‘घोस्ट एम्प्लॉयीज’ नजर आ रहे हैं। चौंकिए मत, क्योंकि पाकिस्तान के अधीन आने वाली एक बहुचर्चित और देश में कम कीमत पर बुनियादी वस्तुएं प्रदान करने वाली स्टोर यूएससी में 2094 ऐसे कर्मी मौजूद हैं जो हैं ही नहीं। लेकिन फिर भी काम कर रहे हैं बाकायदा ये ‘घोस्ट एम्प्लॉयीज’ अपनी सैलरी भी ले रहे हैं।  ये सब नतीजा है पाकिस्तान में एडमिनिस्ट्रेशन की बढ़ती लापरवाही का। जिसके कारण जो लोग हैं ही नहीं, वो भी अब तक काम कर रहे हैं। आइये आखिर मामला क्या है इस पर नजर डालते हैं।

पूरा मामला शुरू होता है पाकिस्तान सरकार के स्वामित्व में आने वाली एक किराना स्टोर से। जिसका नाम है (USCP) यूटिलिटी स्टोर्स कॉरपोरेशन ऑफ़ पाकिस्तान। यह पूरे देश में खुले बाजार की तुलना में कम कीमतों पर आम जनता को बुनियादी वस्तुएं प्रदान करता है। क्योंकि सरकार उन्हें सब्सिडी देती है। चीनी से लेकर टूथपेस्ट तक यहां मौजूद है।

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यानी आम भाषा में आप इसे भारत के बिग बाजार से समझ सकते हैं। यूटिलिटी स्टोर्स कॉरपोरेशन एक निदेशक मंडल और एक प्रबंध निदेशक की अध्यक्षता में संचालित होता है। सरकार से जुड़े होने के कारण पाकिस्तान सरकार ने अप्रैल वर्ष 2016 में, इसके प्रदर्शन और दक्षता में सुधार करने के लिए देश भर में इस स्टोर के कम्प्यूटरीकरण की घोषणा कर दी थी। यानी की इसका नवनीकरण ही मान लीजिए ताकि सरकार इस कंपनी का सारा डाटा बिना किसी गलती के आसानी से पा सके। अब तक स्टोर में इन्वेंट्री रिकॉर्ड करने के पुराने तरीकों का उपयोग हो रहा था।

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कंपनी देश के 63 क्षेत्र और 9 जोन में अपने प्रोडक्ट्स को बेचती है। साथ ही ताजा उपलब्ध डाटा के अनुसार, अब तक 14, 500 कर्मचारी यूएससी में कार्यरत हैं। देश भर में इसके 5,939 स्टोर आउटलेट हैं। अब नजर डालते हैं उन घोस्ट एम्प्लॉयीज पर जो इस वक्त पाक सरकार और यूएससी के गले की हड्डी बन गए हैं।

दरअसल, यूटिलिटी स्टोर्स कॉर्पोरशन (USC) की ओर से वर्ष 2019 -2020 के लिए हुए ऑडिट में सामने आया है कि यूएससी के 9,756 कर्मी स्वीकृत क्षेत्रों में कार्यरत हैं। जबकि स्टोर की क्षमता के अनुसार, 42 क्षेत्रों में काम करने वाले एम्प्लॉयीज की तय संख्या 7,662 है। मतलब कि जो संख्या निश्चित है उसमें 2094 कर्मियों की संख्या ज्यादा है। ऑडिट से खुलासा हुआ है कि ये वो एम्प्लॉयीज है जो निश्चित संख्या से अधिक हैं। फिलहाल इन घोस्ट एम्प्लॉयीज की संख्या के खुलासे को लेकर पूरे मामले पर ऑडिटर्स की तरफ से अब एक स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच की मांग की जा चुकी है।

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ऑडिट रिपोर्ट में कहा गया है आर्थिक संकट के बोझ से पहले ही संगठन उबर नहीं पा रहे हैं। ऐसे में 2,094 अतिरिक्‍त कर्मी एक बोझ की तरह हैं। सबसे अजीब बात ये है कि किसी भी कर्मी की यूएससी द्वारा ऑडिटर्स को कोई जानकरी उपलब्ध नहीं कराई गई है। इसलिए नियुक्तियों में घोस्‍ट इंप्‍लॉयीज की आशंका को अनदेखा नहीं किया जा सकता है। रिपोर्ट में ये भी उल्लेख किया गया कि यूएससी की तरफ से अनियमित कर्मियों को फायदा पहुंचाया गया है जिसकी आवश्यकता नहीं थी। इस पूरे मामले में मदद सरकारी खजाने के जरिए की गई है।

लाखों खर्च हुए घोस्ट एम्प्लॉयीज की सैलरी में

इस मामले में सबसे ज्यादा आश्चर्य में डालने वाली बात जो है वो है कि पिछले कई वर्षों से घोस्ट एम्प्लॉयीज को वेतन भी दिया जा रहा है। जिसका साफ स्पष्ट मतलब निकलता है कि यूएससी के बजट से संबंधित मामलों में किसी भी तरह का वित्‍तीय नियंत्रण या फिर अनुशासन नहीं था।
दस्तावेजों के अनुसार, बजट और वित्तीय मामलों में लापरवाही हुई है और इसके कारण वित्तीय अनियमितताएं बढ़ी हैं। रिपोर्ट के अनुसार, 2094 गैर-अधिकृत कर्मियों और लाखों रुपये का वेतन बड़ी लापरवाही को दर्शाता है।

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जारी ऑडिट रिपोर्ट में बताया गया है कि जिस समय नियुक्तियों पर बैन लगा हुआ था, उस दौरान भी मैनेजमेंट ने 11 लोगों को नियुक्त किया था। 20,000 से 40,000 की सैलरी पर इन लोगों को नियुक्ति पर रखा गया था। इसके अलावा, 30 जून 2019 तक 17.5 मिलियन रुपये का भुगतान किया गया था, जो वेतन के रूप में था। यह वेतन उन कर्मियों को भुगतान किया गया था जिन्हें प्रतिबंधित समय के दौरान नियुक्त किया गया था। अब इस पूरे मामले में जांच की मांग की जा रही है।

दूसरी ओर इस पर अपना बचाव करते हुए यूएससी का कहना है कि हमने इसकी जानकारी बीओडी यूएससी बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर्स को दी थी और हमें मामले में उनके निर्णय का इंतजार था।

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गौरतलब है कि इसी तरह पाकिस्तान में ही नहीं कई देशों में ऐसे मामले सामने आते रहे हैं।

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