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  •     प्रियंका यादव

अफगानिस्तान में एक के बाद एक कई बार ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं जब लोगों को भीड़ के सामने कोड़े मारे गए। इससे लोगों की आशंकाएं तेज हो रही हैं कि क्या तालिबान का पुराना दौर लौट आया है

तालिबान कितना भी उदारता के दावे करता हो लेकिन उसकी असली तस्वीर सामने आ ही जाती है। हाल ही में उसने अफगानिस्तान के एक स्टेडियम में फिर उसी तरह सजा दी जिस तरह तालिबान वर्ष 1996 में किया करता था। इस बार भी उसने शरिया कानून के तहत गवर्नर ऑफिस की तरफ से स्टेडियम में लोगों को बुलाया। इसमें आदिवासी नेता, मुजाहिदीन और स्कॉलर की मौजूदगी में सबके सामने गुरु और तीन महिलाओं को कोड़े मरवाए। दरअसल, अफगानिस्तान के फुटबॉल स्टेडियम में हजारों की भीड़ के सामने 12 लोगों को नैतिक अपराधों का आरोपी बताते हुए पीटा गया। इन 12 लोगों में 3 महिलाएं भी शामिल थीं। तालिबानी अधिकारी के मुताबिक इन पर चोरी, एडल्टरी और गे सेक्स के आरोप लगे थे। इस महीने में ऐसा दूसरी बार हुआ है जब तालिबान ने किसी अपराध के चलते लोगों को सार्वजनिक जगह पर सजा दी हो।

पूर्वी अफगानिस्तान के लोगार इलाके में हुई इस घटना पर तालिबान के प्रवक्ता ओमार मंसूर ने बयान जारी किया है। उन्होंने बताया कि तीनों महिलाओं को सजा के बाद छोड़ दिया गया। कुछ पुरुषों को जेल भेजा गया है। हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि कितनों को जेल हुई है। वहीं दूसरे तालिबानी ऑफिशियल ने बताया कि सभी आरोपियों को 21 से 39 कोड़े मारे गए।

19 लोगों को मिली थी ऐसी सजा
रिपोर्ट के मुताबिक पिछले हफ्ते तखार प्रोविंस से ऐसा ही मामला सामने आया था। इसमें 19 लोगों को सजा दी गई थी। नुरिस्तान प्रोविंस में एक महिला को म्यूजिक सुनने के आरोप में पीटा गया था। इस तरह सार्वजनिक जगहों पर सजा देने का प्रचलन तालिबान के सुप्रीम लीडर हिबतुल्लाह अखुंदजादा के आदेशों के बाद शुरू हुआ है। ये सजाएं शरिया कानून के मुताबिक दी जा रही हैं।

अपने वायदों पर कितना खरा उतरा तालिबान?
तालिबान के लौटने के बाद यह पहली बार नहीं है जब इस तरह से लोगों को सार्वजनिक रूप से सजा दी गई है. इससे पहले 11 नवंबर को भी 19 पुरुषों और महिलाओं को कोड़े मारे गए थे। चोरी, घर से भागने और अवैध संबंध रखने के आरोप में इन लोगों को 39-39 कोड़ों की सजा दी गई थी। इस पर तीखी प्रतिक्रिया भी हो रही है। ब्रिटेन में अफगान रीसेटलमेंट और शरणार्थी मंत्री की पूर्व विशेष सलाहकार शबनम नसीमी ने 20 नवंबर को एक वीडियो ट्विटर पर साझा किया था जिसमें एक पुरुष और महिला को कोड़ों से पीटते देखा जा सकता है। इसे साझा करते हुए उन्होंने लिखा था, ‘यह अफगानिस्तान का नूरिस्तान प्रांत है जहां एक महिला को संगीत सुनने के लिए कोड़े मारे जा रहे हैं। तालिबान के अतिवादी शासन ने लोगों पर अपना खौफनाक आतंक शुरू कर दिया है। यह कब खत्म होगा?’

क्या है अफगानिस्तान का शरिया कानून
तालिबान ने अफगानिस्तान को ओवरटेक करने के बाद की प्रेस कॉन्फ्रेंस में इशारा कर दिया था कि देश के काफी सारे मसलों पर शरिया कानून लागू होगा। दरअसल, शरिया इस्लाम को मानने वाले लोगों के लिए एक लीगल सिस्टम की तरह है। जिसमें रोजमर्रा की जिंदगी से लेकर कई तरह के बड़े मसलों पर कानून हैं। शरिया का जिक्र इस्लाम की पवित्र किताब कुरान के साथ-साथ पैगंबर मुहम्मद के उपदेशों सुन्ना और हदीस में भी है। इन कानूनों के तहत आने वाले गुनाहों को सीधे भगवान की खिलाफत करना समझा जाता है। शरिया कानून में जिंदगी जीने का रास्ता बताया गया है।

शरिया का उल्लंघन पर मिलती है कड़ी सजा
सभी मुसलमानों से उम्मीद की जाती है कि वे इन्हीं कानूनों के हिसाब से अपनी जिंदगी जिएंगे। एक मुसलमान के दैनिक जीवन के हर पहलू, यानी उसे कब क्या करना है और क्या नहीं करना है, का रास्ता शरिया कानून है। शरिया में पारिवारिक, वित्त और व्यवसाय से जुड़े कानून शामिल हैं। शराब पीना, नशीली दवाओं का इस्तेमाल करना या तस्करी करना, यहां शरिया कानून के तहत सबसे बड़े अपराधों में से एक है। जब कोई शख्स इस कानून को तोड़ता है तो उसे ईश्वर के खिलाफ किया गया अपराध माना जाता है। यही वजह है कि यहां इन अपराधों में कड़ी सजा के नियम हैं।

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