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अमेरिकी दूतावासों पर हमले की वर्षगांठ के दिन ही ढेर हुआ आतंकी सरगना

1988 में पाकिस्तान के पेशावर में ओसामा बिन लादेन के घर पर 9 सहयोगियों के साथ बैठक हुई थी। उसी बैठक में एक संगठन बनाया गया जिसका नाम था ‘अल-कायदा जिसका अरबी में ‘‘आधार’’ अर्थ होता। इस संगठन ने आगे चलकर दुनिया की सबसे खतरनाक आतंकी वारदात को जन्म दिया और कई बड़ी विनाशकारी घटनाओं से दुनिया में भय का माहौल बनाया। इसी संगठन में नंबर-दो का सरगना अबू मोहम्मद अल मिस्री भी था । 10 सितंबर 1988 को इस संगठन के बनने के बाद अमेरिका के खिलाफ वैश्विक आतंक युद्ध का ऐलान किया गया और इस संगठन ने 9 अगस्त 1998 को केन्या और तंजानिया में अमेरिकी दूतावासों पर हमला किया जिसमें 224 लोग मारे गये और हजारों घायल हुए।

इसके बाद 11 सितंबर 2001 को वर्ल्ड ट्रेड सेंटर और पेंटागन पर एक बड़ा आतंकी हमला हुआ था जिसमें करीब 3000 लोग मारे गये थे। मरने वालों में 343 फायर विभाग और 60 पुलिस अधिकारी भी शामिल थे ।पेंटागन हमले में 184 लोग मारे गए थे ।इस हमले की जिम्मेदारी अल-कायदा संगठन के सरगना ओसामा बिन लादेन ने ली थी। इस हमले की निंदा पूरे विश्व ने की थी।अमेरिका साहित पूरी दुनिया को झकझोर देने वाले इस हमले के बाद अमेरिका ने अपनी सुरक्षा नीतियों में कई बदलाव किये। अमेरिका आने वाले पर्यटकों पर कड़ी नजर रखी जाने लगी और कई देशों को दिये जाने वाले वीजा पर कटौती की गई। इस हमले के बाद अमेरिका चुप बैठने वाला नहीं था उसने 2 मई 2001 को 3.5 घंटे का गुप्त ओपरेशन चलाकर दुनिया के सबसे खूंखार आतंकवादी ओसामा- बिन- लादेन को मौत की नींद सुला दिया।

ओसामा बिन लादेन के बाद अल-कायदा का नया सरगना अयमान अल जवाहिरी बना। लेकिन आतंक की दुनिया में उसका कोई वर्चस्व नहीं रहा। उस समय खबर यह भी थी कि ओसामा बिन लादेन का बेटा हमजा बिना लादेन पाकस्तान में है। उसे आईएसआई ने संरक्षण दे रखा था। हमजा का निकाह अल-कायदा के दूसरे सरगना अबू मोहम्मद अल मिस्री की बेटी मरियम से हुआ था।

अगस्त 2019 को अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पुष्टि कि हमजा बिन लादेन अफगानिस्तान-पाकिस्तान क्षेत्रों में अमेरिकी आतंकवाद विरोधी अभियान में मारा गया।

Cnn न्यूज़ के अनुसार केन्या और तंजानिया में अमेरिकी दूतावासों के हमले के मास्टरमाइंड अबू मोहम्मद अल मिस्री को मार गिराया है। अबू मोहम्मद पर अमेरिका की जांच एजेंसी एपफबीआई ने एक करोड़ डाॅलर का इनाम घोषित किया था। अबु मोहम्मद और उसकी बेटी 7 अगस्त 2020 को तेहरान की सड़कों पर एक सफेद कार में जा रहे थे। उनकी कार को 2 बाइक सवार ने रूकवाई और गोलियों से उनका शरीर छलनी कर दिया गया।हमलावरों ने इस घटना को अंजाम देने के लिए साइलेंसर लगी बंदूक का इस्तेमाल किया। जिसकी वजह से किसी को इस हमले का अहसास नहीं हुआ। इस हमले में अबू मोहम्मद और उनकी बेटी मरियम भी थी। खबर के अनुसार इसे केन्या और तंनजिस्तान के अमेरिकी दूतावास हमले का बदला माना जा रहा है। और गौर करने वाली बात यह है कि 9 अगस्त 1998 को अमेरिकी दूतावास पर हमला हुआ था। और 7अगस्त 2020 में ही अबू मोहम्मद को मार कर इसका बदला लिया गया।

 

 

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