प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी 16 वी ब्रिक्स सम्मेलन के लिए रूस में है। जहां 23 अक्टूबर को उन्होंने दुनिया के लिए आतंकवाद को सबसे बड़ा खतरा बताया है। उन्होंने कहा कि आतंकवाद पर दोहरे रवैये की कोई जगह नहीं है और ब्रिक्स समूह को इससे लड़ना होगा। इसी दौरान उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार की बात भी दोहराई। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार विश्व में चले रहे रूस-यूक्रेन और इजरायल-हमास की जंग का जिक्र करते हुए भारतीय प्रधानमंत्री ने कहा कि हम युद्ध नहीं, डायलॉग और डिप्लोमेसी का समर्थन करते हैं ,जिस तरह हमने मिलकर कोविड जैसी चुनौती को हराया है , उसी तरह हम भावी पीढ़ी के सुरक्षित, सशक्त और समृद्ध भविष्य के लिए नए अवसर पैदा करने में पूरी तरह सक्षम हैं।
प्रधानमंत्री के अनुसार यह बैठक ऐसे समय में हो रही है जब दुनिया युद्ध संघर्षों, आर्थिक अनिश्चितता, जलवायु परिवर्तन, आतंकवाद जैसी कई चुनौतियों से घिरी हुई है। इसके अलावा उन्होंने कहा कि उन्होंने कहा कि महंगाई की रोकथाम, फूड सिक्योरिटी, एनर्जी सिक्योरिटी, हेल्थ सिक्योरिटी, वॉटर सिक्योरिटी, सभी देशों के लिए प्राथमिकता के विषय हैं। टेक्नोलॉजी के युग में साइबर सिक्योरिटी, डीप फेक, डिसइंफॉर्मेशन जैसी नई चुनौतियां बन गई हैं। ऐसे में ब्रिक्स को लेकर बहुत अपेक्षाएं हैं। प्रधानमंत्री का मानना है कि उभरती राष्ट्रीय अर्थव्यवस्थाओं का संघ ब्रिक्स एक विविध और समावेशी प्लेटफॉर्म के रूप में, सभी विषयों पर सकारात्मक भूमिका अदा कर सकता है। इस सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें विश्व को यह संदेश देना चाहिए कि ब्रिक्स विभाजनकारी नहीं, जनहितकारी समूह है। इसके अतिरिक्त उन्होंने संघ में शामिल होने वाले नए सदस्यों का जिक्र करते हुए कहा कि भारत नए देशों का ब्रिक्स पार्टनर देश के रूप में स्वागत करता है। इस संबंध में सभी निर्णय सर्वसम्मति से होने चाहिए। ब्रिक्स के संस्थापक देशों के विचारों का सम्मान करना चाहिए।