न्यूजीलैंड सरकार ने प्रदूषण पर रोक लगाने के लिए एक अनोखी योजना बनाई है ऐसी योजना जो शायद ही किसी देश ने अपने यहां लागू की हो। न्यूजीलैंड सरकार द्वारा ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन के साथ – साथ गायों के डकार पर भी टैक्स लगा दिया गया है। सरकार द्वारा प्रस्तावित इस योजना से वहां के किसान आक्रोश में आ गए हैं। इस योजना का विरोध प्रदर्शन करने के लिए किसान सड़कों पर उतर गए हैं।
‘ग्राउंड्सवेल न्यूजीलैंड’ समूह की सहायता से कस्बों और शहरों में 50 से ज्यादा जगहों पर इन विरोध प्रदर्शनों का आयोजन किया गया है। दरअसल बीते सप्ताह न्यूजीलैंड सरकार ने जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए नया कृषि कर लगाने का प्रस्ताव रखा था । दरअसल गायों के डकार लेने से मीथेन गैस निकलती है जिससे प्रदूषण फैलता है। इसी वजह से गायों की डकार पर टैक्स लगाने की योजना भी इसमें शामिल की गई है।
गौरतलब है कि न्यूजीलैंड में कृषि जीवन से अधिकतर लोग जुड़े हुए हैं। देश में लोगों से ज्यादा मवेशी हैं। लोगों की आबादी जहां 50 लाख है। वहीं इसकी तुलना में एक करोड़ से अधिक गाय और भैंसें हैं और 2.6 करोड़ भेड़ें हैं। ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन का लगभग आधा हिस्सा खेतों से आता है। मवेशियों के डकारने से निकलने वाली मीथेन गैस का विशेष रूप से इसमें बड़ा योगदान है।
किसानों द्वारा किए गए इस इस प्रदर्शन में अधिकतर किसानों ने भाग नहीं लिया है। ज्यादातर किसानों ने साल भर खास तौर पर वसंत ऋतु के दौरान अपने खेतों में कड़ी मेहनत की है। किसानों के मुताबिक सरकार को एक बार फिर इस योजना पर विचार करना चाहिए। कुछ किसानों का मानना है कि यदि सरकार द्वारा प्रस्तावित यह कर योजना आगे बढ़ती है तो यह किसानों के लिए बर्बादी ही साबित होगा । खेती से केवल किसान जीवन ही नहीं जुड़ा बल्कि न्यूजीलैंड की अर्थव्यवस्था के लिए खेती काफी मायने रखती है। न्यूजीलैंड डेयरी उत्पादों को बड़े लेवल पर एक्सपोर्ट करता है। किसान मैककर्डी का कहना है कि किसानों ने लॉकडाउन के दौरान लगभग अकेले ही अर्थव्यवस्था को बचाए रखा था। लेकिन अब सरकार उनके खिलाफ काम कर रही है।
न्यूजीलैंड किसानों के अनुसार किसान पर्यावरण के अच्छे प्रबंधक है। ये पर्यावरण कोई नुकसान नहीं पहुँचाते। गौरतलब है कि न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री जेसिंडा अर्डर्न ने 2050 तक देश को कार्बन उत्सर्जन मुक्त बनाने की योजना बनाई है। इसी योजना के तहत 2030 तक खेतिहर जानवरों से होने वाले मीथेन उत्सर्जन को 10 प्रतिशत और 2050 तक 47 प्रतिशत तक कम करना भी शामिल किया गया है।