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उदारवादी बनने की कोशिश में जुटा तालिबान 

एक समय ऐसा था जब बामियान में स्थिति गौतम बुद्ध की प्रतिमा को दुनिया भर में सबसे ऊंची प्रतिमा माना जाता था। लेकिन अफगानिस्तान के बामियान में स्थित वैश्विक धरोहर गौतम बुद्ध की इस प्रतिमा को  22 साल पहले तानाशाही के चलते ध्वस्त कर दिया गया था। इस प्रतिमा को ध्वस्त करने के पीछे का कारण बताया गया था कि ये झूठे देव और गैर इस्लामिक हैं। मगर पिछले करीब दो सालों से अफगानिस्तान में तालिबान राज की वापसी के बाद अफगान भारी आर्थिक संकट से गुजर रहा है। जिसके चलते अब यही तालिबान सरकार ध्वस्त किए गए  बुद्ध की प्रतिमा से अपना राज कोष भरने में जुट गया है।दैनिक भास्कर की एक रिपोर्ट अनुसार पिछले साल से अबतक इस पर्यटन स्थल पर 2 लाख से भी ज्यादा पर्यटक बामियान जा चुके। इनमें से हर व्यक्ति ने औसत 5 हजार रुपए खर्च किए हैं ।

दरअसल तालिबान शासन के आने के बाद से ही अमेरिका समेत दुनिया भर के अधिकतर देशों ने अफगानिस्तान से संबंध में तोड़ लिया है। तालिबान सरकार को किसी भी देश ने अब तक मान्यता नहीं दी है। मान्यता पाने के लिए  तालिबान चीन, भारत और पाकिस्तान सहित दुनियाभर के देशों से अपील कर चुका है। अफगानिस्तान का विदेशी भंडार खत्म होता जा रहा है। इस मुल्क में  कई प्रतिबंधों समेत बेरोजगारी बढ़ती जा रही है।
ऐसे में तालिबान ने उसी बामियान के बुद्ध का सहारा लिया जिसे उसने वर्षों पहले ध्वस्त कर दिया था। उसी खाली स्थान को अब तालिबान ऐतिहासिक स्थल घोषित कर पर्यटक स्थल बना रहा है।  हाल ही में एक इतालवी समाजशास्त्री और लेखक मास्सिमो इंट्रोविग्ने द्वारा लिखे गए लेख से यह सच सामने आया है। उनके लेख अनुसार  जिस स्थान पर बुद्ध की प्रतिमा को ध्वस्त किया गया उसी को ये पर्यटकों के लिए खोलकर तालिबान ने कमाई करने की योजना बनाई है । उन्होंने लिखा कि कैसे एक शौकीन यात्री होने के बावजूद उन्होंने अफगानिस्तान जाने के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया। लेखक नहीं चाहता था कि तालिबान ने जिन ऐतिहासिक स्थलों को नष्ट किया, उनसे उन्हें कोई आर्थिक मदद मिल सके।

अफगानिस्तान की सत्ता पर कब्जा कर चुके तालिबान को मौजूदा समय में नकदी की सख्त जरूरत है। इसलिए वह पर्यटकों से पैसे लेकर खाली पड़े ऐतिहासिक स्थल को दिखाने का प्रयास कर रहा है। इससे पहले इसी संदर्भ में तालिबान के कल्चर मिनिस्टर अतीक उल्लाह अजीजी ने एक इंटरव्यू में कहा था कि बामियान और बुद्ध हमारी सरकार के लिए भी उतने ही जरूरी हैं जितना विश्व के लिए। इनकी सुरक्षा के लिए एक हजार गार्ड नियुक्त किए गए हैं। जो कि इलाके में टिकट की भी निगरानी कर रहे हैं। सूचना और सांस्कृतिक विभाग के निदेशक सैफुर्रहमान मोहम्मदी ने कहा- दो दशक पहले हुई घटना के बारे में अभी बात करने से कोई मतलब नहीं है। अब आगे बढ़ने का समय है।

हिंदुकुश की पहाड़ियों के बीच बसा बामियान सबसे गरीब प्रांतों में से एक हैं। यहां अधिकतर हजारा समुदाय के लोग रहते हैं। प्राचीन समय बामियान कभी अखंड भारत का हिस्सा माना जाता था। यूनाइटेड नेशंस एजुकेशनल साइंटिफिक एंड कल्चरल ऑर्गेनाइजेशन (यूनेस्को )2003 में बामियान को ऐतिहासिक स्थल का दर्जा दिया था। अब बुद्ध की मूर्तियों की खाली जगह के सामने बंदूकधारी गार्ड तैनात हैं। तालिबानियों ने विदेशी पर्यटकों के लिए 282 टिकट रखा है। वहीं अफगानी पर्यटकों के लिए ये टिकट केवल तीन रुपये हैं। साल 2015 के बाद से ही इस स्थान पर लेजर शो होता है।  पिछले साल 2 लाख से भी ज्यादा अफगान पर्यटक बामियान पहुंचे थे।

गौरतलब  है कि तालिबान द्वारा 2001 में टैंक और बारूदी सुरंगों की मदद से गौतम बुद्ध की प्रतिमा को विस्फोट कर छठी शताब्दी में तोड़ दिया गया था। इसलिए लोग बस उन खाली जगहों को ही देख सकते हैं, जहां कभी मूर्तिकला की नायाब कलाकृतियां खड़ी थीं। तालिबान ने पर्यटकों से पेशकश की है कि वह उन जगहों पर जाकर ध्यान भी लगा सकते हैं। हालांकि, यह सारी चीजें मुफ्त में नहीं, बल्कि इसके लिए पर्यटकों को पैसे देने पड़ेंगे। तालिबान सरकार सत्ता में आने के बाद से बामियान को विकसित करने में जुटी हुई है। तालिबान दिखाना चाहता है कि वे पुराने तालिबान से ज्यादा उदारवादी हैं। बामियान में कई स्थानों पर लिखा मिलता है कि ‘आतंकी तालिबानी समूह’ ने बुद्ध की प्रतिमाएं तोड़ी हैं। हालांकि सब जगह पर ‘आतंकी’ शब्द को खुरच दिया गया है।

 

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