अफगानिस्तान में तालिबान द्वारा कब्जे के बाद महिलाओं, बच्चों और पुरुषों पर की जा रही बर्बरता ने पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा है। संयुक्त राष्ट्र से लेकर दुनियाभर की सरकारें अफगानिस्तान में शांति कायम किए जाने की बात कर रही हैं। पड़ोसी देश में घट रही घटनाओं से भारत में भी लोगों की चिंताएं बढ़ गई हैं। लोगों को लग रहा है कि अफगानिस्तान में तालिबानी शासन स्थापित होने से भारत सहित पूरे दक्षिण एशियाई क्षेत्र में आतंकी घटनाओं में वृद्धि हो सकती है। इस बीच पंजशीर घाटी पर कब्जा जमानेका दावा करते हुए तालिबान ने अफगानिस्तान में उसके राज के खिलाफ विद्रोह करने वालों को कड़ी चेतावनी दी है। तालिबान ने कहा है कि यदि कोई भी विद्रोह करता है तो उसे बख्शा नहीं जाएगा और करारा हमला किया जाएगा। इसके अलावा तालिबान के प्रवक्ता ने कहा कि अभी अफगानिस्तान में एक अंतरिम सरकार का ही गठन किया जाएगा, जिसमें बाद में बदलाव किए जा सकते हैं।
दरअसल, तालिबान के ही अलग-अलग गुटों में सत्ता के बंटवारे को लेकर मतभेद की स्थिति है। शायद यही वजह है कि फिलहाल अंतरिम सरकार ही बनाई जा रही है ताकि स्थायी सरकार के गठन के लिए वक्त मिल सके।
इस सबके बीच अब खबरें आ रही हैं कि अफगानिस्तान के सभी प्रांतों में कब्जे का दावा करने के बाद तालिबान ने जल्द ही सरकार गठन का फैसला किया है। इसके मद्देनजर संगठन ने चीन, पाकिस्तान, रूस, ईरान, कतर और तुर्की को सरकार गठन के कार्यक्रम के लिए न्योता भी भेजा है। तालिबान के इस न्योते से साफ है कि इन देशों की सरकारों ने पहले ही संगठन से संपर्क साधा है। गौरतलब है कि चीन, रूस, तुर्की और पाकिस्तान ने तो अपने दूतावासों में भी पहले की तरह काम जारी रखा है। हालांकि भारत से तालिबान का अब तक कोई आधिकारिक संपर्क नहीं हुआ।
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इससे पहले अफगान तालिबान ने चीन को अपना ‘सबसे महत्वपूर्ण साझेदार’ बताते हुए कहा था , कि उसे अफगानिस्तान के पुनर्निर्माण और तांबे के उसके समृद्ध भंडार का दोहन करने के लिए चीन से उम्मीद है। युद्ध से परेशान अफगानिस्तान व्यापक स्तर पर भूख और आर्थिक बदहाली की आशंका का सामना कर रहा है।
तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्ला मुजाहिद ने कहा कि समूह चीन की ‘वन बेल्ट, वन रोड’ पहल का समर्थन करता है , जो बंदरगाहों, रेलवे, सड़कों और औद्योगिक पार्कों के विशाल नेटवर्क के जरिए चीन को अफ्रीका, एशिया और यूरोप से जोड़ेगी। मुजाहिद ने यह भी कहा था कि तालिबान क्षेत्र में रूस को भी एक महत्वपूर्ण भागीदार के रूप में देखता है और वह रूस के साथ अच्छे संबंध बनाए रखेगा।
अफगानिस्तान के लोग दो नहीं, बल्कि कई पाटों के बीच पिस रहे हैं। मौत हर तरह से उनका पीछा कर रही है। वे अपनी धरती में बने रहे तो मरे और देश छोड़ते हैं तो भी मरे। एक तरफ तालिबान का खौफ है ,तो दूसरी तरफ आईएसआईएस का। देश छोड़ते वक्त अमेरिकी सेनाओं की गोलियों के भी वे शिकार हुए। मानवता त्राहिमाम कर रही है, लेकिन दुनिया के देश खासकर चीन और पाकिस्तान इसमें अपना हित तलाश रहे हैं। तालिबान के जरिए अपना हित साधने के लिए वे इन आतंकियों की सरकार को मान्यता दिलाने की भरसक कोशिश कर रहे हैं।