पाकिस्तान टीटीपी से परेशान हो चुका है। वहीं तालिबान और तहरीक ए तालिबान (टीटीपी) के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है। पाकिस्तानी सेना तालिबान से गुहार लगा रही है कि वह टीटीपी के खिलाफ कार्रवाई करे। दरअसल पाकिस्तान की ओर से यह गुहार इसलिए लगाई जा रही है क्योकि तहरीक ए तालिबान पाकिस्तान पर हमले करता रहता है।
पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने तालिबान सरकार से यह अपेक्षा करते हुए कि वह अफगानिस्तान में मौजूद तालिबान के ठिकानों को खत्म करेगा ,उसके लिए पाकिस्तान ने टीटीपी के ठिकानों की सूची साझा की । लेकिन तालिबान ने टीटीपी पर ऐसी किसी कार्रवाई को करने के लिए साफ इंकार कर दिया। तालिबान ने स्पष्ट कर दिया है कि टीटीपी की समस्या उनके सत्ता में आने से पहले की है और यह पाकिस्तान का आंतरिक मामला है। तालिबान ने यह भी कहा कि टीटीपी के आतंकी अफगानिस्तान नहीं बल्कि पाकिस्तान के अंदर मौजूद हैं।गौरतलब है कि टीटीपी आतंकी पाकिस्तानी सेना के खिलाफ अक्सर हमले करते रहते हैं। तालिबान को झुकाने के लिए पाकिस्तान ने लाखों की तादाद में देश में मौजूद अफगान शरणार्थियों को देश से बाहर जाने के लिए कह दिया। इससे भी तालिबानी नहीं झुके तो अब पाकिस्तानी सेना हमला करने के विकल्प विचार करने की धमकी दे रही है।
पाकिस्तानी अधिकारियों का मानना है कि यदि तालिबान तहरीक ए तालिबान पर एक्शन नहीं ले सकता तो उनके पास इस समस्या से निपटने की क्षमता है। पाकिस्तानी अधिकारी ने इस बात पर जोर दिया कि तालिबान सरकार भी “हमारी क्षमता” को जानती है। ‘क्षमता’ के उनके संदर्भ से पता चलता है कि पाकिस्तान संभावित सीमा पार हमलों पर विचार कर रहा है। पिछले साल मार्च में पाकिस्तान ने टीटीपी के ठिकानों को निशाना बनाकर सीमित सीमा पार हमले किए थे। हालांकि, उस कदम को कभी सार्वजनिक रूप से स्वीकार नहीं किया गया था। इन हमलों के बाद पाकिस्तान और टीटीपी के बीच शांति वार्ता फिर से शुरू हुई थी। लेकिन इसका कोई लाभ नहीं हुआ क्योंकि टीटीपी ने बातचीत का इस्तेमाल फिर से संगठित होने और आतंकवादी हमलों को फिर शुरू करने के लिए किया।
उस दौरान से पाकिस्तान ने टीटीपी के साथ की जाने वाली शांति प्रक्रिया का रास्ता छोड़ टीटीपी और तालिबान को साफ कर दिया था कि वह अब टीटीपी से बातचीत नहीं करेगा। इसके बावजूद पाकिस्तान ने टीटीपी के खतरे को बेअसर करने के लिए काबुल को एक स्पष्ट संदेश भेजा। पाकिस्तान के कार्यवाहक प्रधानमंत्री अनवारुल हक काकर ने हाल ही में एक संवाददाता सम्मेलन में खुलासा किया कि इस साल फरवरी में तालिबान को पाकिस्तान और टीटीपी के बीच चयन करने का स्पष्ट संदेश दिया गया था।
काकर ने यह भी कहा कि लेकिन ऐसा लगता है कि संदेशवाहक अफगानिस्तान के तालिबानी सरकार को नहीं समझा सका क्योंकि टीटीपी और उसके सहयोगियों द्वारा किए गए आतंकवादी हमलों की संख्या बढ़ी है। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री के अनुसार, अगस्त 2021 में तालिबान के सत्ता में वापस आने के बाद से आतंकवादी हमलों में 60 फीसदी की वृद्धि हुई है। वहीं आत्मघाती हमलों में 500 फीसदी की वृद्धि हुई है। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने तालिबान के खिलाफ जहां आरोप पत्र जारी किया, वहीं पाकिस्तान के विशेष प्रतिनिधि आसिफ दुर्रानी ने टीटीपी को नियंत्रित करने के लिए तालिबान पर आरोप लगाया है । हाल ही में एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा कि टीटीपी तालिबान के नियंत्रण में है।
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