तालिबान में बच्चों के लिए मुसीबते बढ़ती जा रही हैं उनकी शिक्षा से लेकर उनका सवास्थ्य तक तालिबानी फरमानों से प्रभावित हुआ है। पेट भर खाना न मिल पाने और स्वास्थ्य सुविधाएं न मिल पाने की वजह इस देश बच्चे एक ओर जहां कुपोषण का शिकार हो रहे हैं वहीं दूसरी तरफ तालिबान द्वारा सुनाए गए हालिया फरमान ने बच्चों को पोलियों की खुराक से वंचित कर दिया है। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार तालिबान ने अफगानिस्तान में पोलियो टीकाकरण अभियान पर रोक लगा दी है। इस मुल्क में सितंबर से पोलियों वक्सीनेशन कैम्पेन शुरू होने वाला था। लेकिन इससे पहले ही तालिबान ने इसे रोकने का फैसला ले लिया। जिसकी सूचना तालिबान द्वारा संयुक्त राष्ट्र को पहुंचा दी गई। हालांकि ऐसा करने के पीछे तालिबान ने कोई कारण नहीं बताया।
अफगानिस्तान बच्चों को लकवाग्रस्त करने वाली बीमारी पोलियो के प्रसार को रोकने में असफल साबित हो रहा है इसके बावजूद तालिबान द्वारा पोलियों वक्सीनेशन कैम्पेन को निलंबित कर दिया गया है। इस साल अफगानिस्तान में पोलियो के 18 मामलों की पुष्टि की गई थी। साल 2023 में यह आंकड़ा सिर्फ 6 था। अफगानिस्तान में पोलियों उन प्रांतों तक भी फैल गया जो इससे मुक्त थे।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार अफगानिस्तान में पोलियो वैक्सीनेशन कैम्पेन में महिलाओं की भागीदारी 20 प्रतिशत के करीब ही है। एक वजह यह भी है कि अधिकतर बच्चों तक टीकाकरण की पहुंच सुनिश्चित नहीं हो पाती है। गौरतलब है कि अफगानिस्तान के अलावा पाकिस्तान भी पोलिया ग्रसित देश है। नाइजीरिया को साल 2020 में पोलियो मुक्त घोषित किया जा चुका है। भारत ने भी 1972 से पोलिया टीकाकरण अभियान चलकर 2014 में देश को पोलियो मुक्त घोषित किया।
अफगानिस्तान ही नहीं पडोशी मुल्क पाकिस्तान से भी ऐसी खबरे आती रहती हैं कि आतंकवादी वैक्सीनेशन टीमों और उनकी सुरक्षा में तैनात पुलिस कर्मियों को निशाना बनाते रहते हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार कट्ट्टर पंथियों द्वारा अफवाहें फैलाई जाती है कि पोलियो वैक्सीनेशन ड्राइव बच्चों की नसबंदी करने की साजिश है, जिसे पश्चिमी देशों द्वारा बढ़ावा दिया जा रहा है । भ्रांतियां फैलाई जाती है कि इससे बच्चे नपुंसक हो जाएंगे या उनके शरीर में विकार आ जाएंगे।