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ईरान-अमेरिकी संबंधो में नहीं आ रही मिठास

अमेरिका और ईरान के बीच आपसी रिश्तों में काफी कहवाहट आई हुई है। अमेरिका ने ईरान पर कई तरह के प्रतिबंध लगा रखे है। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ तो ईरान ने अरेस्ट वांरेट तक जारी कर रखा है। अमेरिकी सत्ता में बदलाव हो चुका है। अब अमेरिका की बागडोर जो बिडेन के हाथों में आ गई है। ईरान ने प्रमुख शक्तियों के साथ 2015 के परमाणु समझौते को पुनर्जीवित करने के तरीकों पर चर्चा करने के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोपीय देशों के साथ एक अनौपचारिक बैठक करने से इंकार किया है, जिसमें जोर देकर कहा गया है कि वाशिंगटन को अपने सभी एकतरफा प्रतिबंधों को उठाना चाहिए।

ईरान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सईद खतीबज़ह ने रविवार 28 फऱवरी को ईरानी मीडिया को बताया कि संयुक्त राज्य अमेरिका और तीन यूरोपीय शक्तियों द्वारा हाल के कार्यों और बयानों को ध्यान में रखते हुए, ईरान इन देशों के साथ एक अनौपचारिक बैठक आयोजित करने के लिए इस समय पर विचार नहीं करता है, जो यूरोपीय संघ के विदेश नीति प्रमुख द्वारा प्रस्तावित किया गया था। ईरान के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए अमेरिका ने कहा कि यह निराश था, लेकिन “जेसीपीओएए प्रतिबद्धताओं के अनुपालन के लिए एक पारस्परिक वापसी प्राप्त करने के लिए सार्थक कूटनीति में फिर से जुड़ने के लिए तैयार रहा, व्हाइट हाउस के एक प्रवक्ता ने संयुक्त कम्पेन योजना की कार्रवाई का औपचारिक नाम बताते हुए कहा।

ईरानी अधिकारियों ने कहा कि तेहरान ने यूरोपीय संघ के विदेश नीति प्रमुख जोसेफ बोरेल द्वारा परमाणु समझौते और अमेरिका के लिए अन्य पक्षों के साथ एक अनौपचारिक बैठक करने के एक प्रस्ताव का अध्ययन कर रहा था, जिसने तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा 2018 में सौदा छोड़ने के बाद ईरान पर प्रतिबंधों को फिर से लागू किया था। ईरान और अमेरिका के नए राष्ट्रपति जो बिडेन का प्रशासन इस बात पर अड़ा हुआ है कि समझौते को पुनर्जीवित करने के लिए पहला कदम कौन उठाए। ईरान का कहना है कि अमेरिका को पहले प्रतिबंधों को उठाना चाहिए, जबकि वाशिंगटन का कहना है कि तेहरान को पहले समझौते का अनुपालन करना चाहिए, जिसे वह उत्तरोत्तर तोड़ रहा है।

क्या है जेसीपीओए?

साल 2015 में ईरान ने अमरीका, ब्रिटेन, फ्रांस, चीन, रूस और जर्मनी के साथ समझौता (जेसीपीओए) किया था जिसके मुताबिक़ ईरान अपने परमाणु कार्यक्रमों को सीमित करेगा और उसके बदले उस पर लगे संयुक्त राष्ट्र के आर्थिक प्रतिबंध हटाए जाएंगे। इसी जेसीपीओए समझौते के मुताबिक़ हथियारों पर लगा प्रतिबंध अक्तूबर 2018 में ख़त्म होना था। लेकिन उससे पहले 2018 में अमरीका की ट्रंप सरकार ने इस समझौते से खुद को बाहर कर लिया था। लेकिन बाकी देशों का मत था कि वे इस समझौते को मानने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा ईरान के मध्य पूर्व में परमाणु-सक्षम बी 52 बमवर्षक विमानों के उड़ान भरने के कुछ दिनों बाद ईरान की सेना ने देश के दक्षिणी तटों पर सैन्य अभ्यास करना शुरू कर दिया था। ईरान का सैन्य अभियास उस दिन के बाद शुरू हुआ जब अमेरिका ने इस क्षेत्र में बी-52 बमवर्षकों को उड़ाया, जो पिछले दो महीनों में पांचवीं बार था। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के प्रशासन ने ईरान पर कठोर आर्थिक प्रतिबंधों के साथ एक दबाव नीति का पालन किया गया था। अमेरिका ने ईरान के परमाणु परीक्षण पर प्रतिबंध लगा रखे है।

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