सूडान में पिछले एक महीने से सेना और अर्धसेना बल के बीच छिड़ी जंग थमने का नाम नहीं ले रहा है। अन्य देशों ने सूडान से अपने नागरिकों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया है, लेकिन अब यह युद्ध वहां के नागरिकों के लिए मानवीय त्रासदी का कारण बनता जा रहा है।
इस त्रासदी को लेकर संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद ने निन्दा कर कहा कि सेना और अर्द्धसेना बल ने अन्तरराष्ट्रीय क़ानून की धज्जियाँ उड़ा दी है। वोल्कर टर्क ने बताया कि अभी तक युद्ध के कारण 600 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं, करीब 1 लाख 50 हज़ार लोग सूडान से पलायन कर चुके हैं। जबकि 7 लाख से अधिक लोग देश के भीतर ही विस्थापित हो चुके हैं। आम जनता की हालत यह है कि आने वाले दिनों में भुखमरी रिकॉर्ड स्तर पर पहुँचने की सम्भावना है। बैठक के दौरान अन्य मानवाधिकार विशेषज्ञों ने भी तमाम उम्र के आम लोगों द्वारा भुगते जा रहे मानवाधिकार हनन की कड़ी निन्दा की, जिनमें यौन- शोषण , लिंग आधारित हिंसा, भोजन, पानी व स्वास्थ्य संसाधनों की क़िल्लत शामिल हैं।
जनता पर प्रभाव
सेनाओं के बीच छिड़े युद्ध के कारण आम जनता की स्थिति खराब होती जा रही है। देश में लगातार हो रहे हमलों की वजह से लोग अपनी आधारभूत आवश्यकताओं को भी पूरा नहीं कर पा रहें हैं। इसका सबसे बुरा प्रभाव यहां की महिलाओं एवं बच्चों पर पड़ा है। महिलाओं के साथ यौन उत्पीड़न के मामलों में तेजी से उछाल आया है। हिंसा का खामियाजा बच्चों को भी भुगतना पड़ रहा है। गौरतलब है कि हमलों के कारण कई अस्पतालों को बंद कर दिया गया है। जो अस्पताल अभी सेवा प्रदान कर रहे हैं वे भी बंद होने के कगार पर हैं। जिसके कारण पड़ोसी देशों ने सीमाओं को भी बंद कर दिया है। ऐसे में मरने वालों की संख्या में बढ़ोतरी होती जा रही है। हमले में घायल हुए लोगों के साथ-साथ गर्भवती महिलाओं को भी उपचार मिलना मुश्किल हो रहा है।
क्यों छिड़ा गृहयुद्ध ?
सूडान में 40 हजार स्थानों पर सोने का खनन होता है। देश के 13 प्रांतों में सोने का शोधन करने वाली 60 कंपनियां हैं। साल 2017 में इन खद्दानों पर अर्धसैनिक बल आरएसएफ मिलीशिया ने कब्जा कर लिया। जनरल मोहम्मद हमदान दगालो वर्तमान में सूडान के इसी अर्ध सेना बल (आरएसफ) के प्रमुख हैं। सूडान में अक्टूबर 2021 में नागरिकों और सेना की संयुक्त सरकार का तख्तापलट हुआ था। जिसके बाद सूडान की सत्ता दो प्रमुख लोगों आरएसफ के मुखिया मोहम्मद हमदान दगालो और सेना प्रमुख अब्देल फतह अल बुरहान में बंट गई। बीते वर्ष अक्टूबर 2022 में दोनों ही सेनाओं ने सहमति बनाते हुए एक नागरिक सरकार के गठन करने की योजना बनाई। जिसमें यह तय किया गया कि सोने का सारा उत्पादन चुनी हुई सरकार को हस्तांतरित कर दिया जाएगा। लेकिन जनरल मोहम्मद हमदान दगालो की बढ़ती ताक़त को देखते हुए सैन्य शासक जनरल अल बुरहान के करीबी लोगों ने अर्धसैनिक बल की गतिविधियों को अपने नियंत्रण में लेने की कोशिश शुरू कर दी। सेना का कहना है कि अर्धसैनिक बल सेना के अंतर्गत ही आता है इसलिए उसे सेना में शामिल कर लेना चाहिए। जिसके कारण सेना के खिलाफ जनरल दगालो का गुस्सा भड़क उठा और आरएसफ ने 15 अप्रैल 2023 को सेना के शिविरों पर हमला करना शुरू कर दिया। तब से यह मामला थम नहीं पाया है। हिंसा इतनी बढ़ गई है कि लोगों की बुनियादी जरूरतें भी पूरी नहीं हो पा रही हैं।
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