भयंकर आर्थिक और राजनीतिक संकट के बीच श्रीलंकाई राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे बिना इस्तीफा दिए देश छोड़कर भाग गए है। इसके बाद हालात इतने बिगड़ गए है कि प्रदर्शनकारी फिर से प्रधानमंत्री कार्यालय में में घुस गए है। इतना ही नहीं उन्होंने कार्यालय पर पूरी तरह से कब्ज़ा कर लिया है तो वंही कार्यवाहक राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने हालात को काबू करने के लिए सेना और पुलिस को आदेश दिया है।
अब श्रीलंका की वायु सेना ने एक संक्षिप्त बयान में बताया कि 73 वर्षीय नेता अपनी पत्नी और दो सुरक्षा अधिकारियों के साथ सेना के एक विमान में देश छोड़कर चले गए हैं।बयान केमुताबिक, ‘सरकार के अनुरोध पर और संविधान के तहत राष्ट्रपति को मिली शक्तियों के अनुसार, रक्षा मंत्रालय की पूर्ण स्वीकृति के साथ राष्ट्रपति, उनकी पत्नी और दो सुरक्षा अधिकारियों को 13 जुलाई को कातुनायके अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे से मालदीव रवाना होने के लिए श्रीलंकाई वायु सेना का विमान उपलब्ध कराया गया है।’
इतना ही नहीं प्रधानमंत्री कार्यालय ने भी राष्ट्रपति के देश छोड़ने की पुष्टि की है।
ऐसा बताया जा रहा है कि राजपक्षे नयी सरकार द्वारा गिरफ्तारी की आशंका से बचने के लिए इस्तीफा देने से पहले विदेश जाना चाहते थे। एक रिपोर्ट के मुताबिक, करीब तीन बजे मालदीव की राजधानी माले पहुंचे है। लेकिन अन्य देश भी जा सकते है। जिसके बारे में अभी कोई जानकारी नहीं है।
गौरतलब है कि श्रीलंकाई अधिकारियों ने यह भी पुष्टि की है राष्ट्रपति के छोटे भाई और पूर्व वित्त मंत्री बासिल राजपक्षे गत रात देश छोड़कर नहीं गए है।लेकिन कुछ मिडिया रिपोर्ट के माने तो वो भी देश छोड़कर चले गए है। श्रीलंकाई आर्थिक संकट का जिम्मेदार काफी हद तक इन्हें माना जा रहा है। जानकारी के मुताबिक, बासिल के पास अमेरिकी पासपोर्ट है। इससे पहले भी श्रीलंका छोड़ते नज़र आए थे। लेकिन हवाई अड्डे पर उन्हें रोक लिया गया था।
बासिल ने ईंधन, खाद्य पदार्थ और अन्य जरूरी वस्तुओं की कमी के खिलाफ लोगों के सड़कों पर उतर जाने के बाद अप्रैल की शुरुआत में वित्त मंत्री के तौर पर इस्तीफा दे दिया था और जून में संसद में अपनी सीट त्याग दी थी।
राष्ट्रपति राजपक्षे ने संसद के अध्यक्ष महिंदा यापा अभयवर्धने और प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे को सूचित किया था कि वह 13 जुलाई को इस्तीफा देंगे। उन्होंने यह घोषणा तब की थी जब प्रदर्शनकारी द्वीपीय देश में बिगड़े हालात को लेकर आक्रोश के बीच उनके आधिकारिक आवास में घुस गए थे।ऐसी उम्मीद थी कि अध्यक्ष अभयवर्धने 13 जुलाई को राष्ट्रपति राजपक्षे के इस्तीफा की सार्वजनिक रूप से घोषणा करेंगे।वहीं देश के राजनीतिक दलों ने एक सर्वदलीय सरकार बनाने तथा दिवालिया हुए देश में अराजकता फैलने से रोकने के लिए 20 जुलाई को नए राष्ट्रपति का चुनाव करने के लिए प्रयास तेज कर दिए हैं।
मुख्य विपक्षी दल समागी जन बालवेगया और पूर्व राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना की श्रीलंका फ्रीडम पार्टी (एसएलएफपी) के बीच बैठक हुई।राजनीतिक दलों ने संभावित उम्मीदवारों के समर्थन के लिए प्रचार अभियान शुरू कर दिया है। एसजेबी ने कहा कि वह सजित प्रेमदास को अंतरिम राष्ट्रपति नियुक्त करने के लिए प्रचार करेगी। इसके साथ यह भी कहा कि उनकी पार्टी राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री स्तर पर देश का नेतृत्व करने तथा अर्थव्यवस्था में सुधार लाने के लिए तैयार है।
श्रीलंका के संविधान के तहत, यदि राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री दोनों इस्तीफा देते हैं, तो संसद का अध्यक्ष अधिकतम 30 दिन के लिए कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में कार्य कर सकता है।