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दिवालिया घोषित हुआ श्रीलंका

पड़ोसी देश श्रीलंका अपनी आजादी के बाद से अब तक के अपने इतिहास के सबसे बड़े आर्थिक संकट  का सामना कर रहा है। उसका आर्थिक संकट इतना ज्यादा गहरा गया है कि अब देश दिवालिया हो गया है।

 

दरअसल,श्रीलंका को अपना 7 करोड़ 80 लाख डॉलर चुकाने के लिए 30 दिनों की मोहलत मिली हुई थी। जिसकी अवधि 18 मई  समाप्त हो गई और कर्जा न चुका पाने के कारण प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने देश को दिवालिया घोषित कर दिया है क्योंकि यह ईंधन संकट और भोजन की कमी का सामना कर रहा है। 

श्री विक्रमसिंघे ने मीडिया से बातचीत में कहा कि देश को इस हालत में पहुंचाने के लिए पिछली सरकार जिम्‍मेदार है। उन्‍होंने कहा कि देश के पास न तो डॉलर है और न ही रूपया तथा देश में स्थिरता का माहौल नहीं हैं। देश में ईंधन की कीमत में वृद्धि हो रही है।

इस मामले में श्रीलंका के केंद्रीय बैंक के गवर्नर ने कहा कि उनका देश मौजूदा आर्थिक संकट के हालात को टालने के लिए कर्ज नहीं चुका रहा है यानि ये प्रिएम्टिव डिफॉल्ट है। 

गौरतलब है कि किसी भी देश का दिवालिया होना उसकी मुद्रा औरअर्थव्यवस्था के लिए बेहद नुकसानदायक है। दिवालिया होने के बाद उस देश का किसी अन्य देश या अंतरराष्ट्रीय बाजार से पैसा लेना मुश्किल हो जाता है और ऐसी अवस्था देश की छवि को भी गहरा नुकसान पहुंचाती है। किसी भी देश को दिवालिया उस स्थिति में घोषित किया जाता है जब वो किसी अन्य देश या फिर अंतरराष्ट्रीय संगठनों से लिया हुआ पैसा या फिर उसकी किस्त को समय पर नहीं चुका पाता।

एक रिपोर्ट के मुताबिक श्रीलंका पर जितना कर्ज है, उसमें 47 फीसदी कर्ज तो बाजार से लिया गया है।  इसके अलावा 15 फीसदी कर्ज चीन का , एशियन डेवलेपमेंट बैंक से 13 फीसदी, वर्ल्ड बैंक से 10 फीसदी, जापान से 10 फीसदी भारत से 2 फीसदी और अन्य जगहों का कर्ज 3 फीसदी है। 

कैसे हुआ ये हालत

दुनिया फैली कोरोना महामारी, ऊर्जा की बढ़ती कीमतों और देश के नागरिको को खुश करने के लिए टैक्स में छूट से श्रीलंका की अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हुई।  
इसके चलते विदेशी मुद्रा की कमी आई और महंगाई बढ़ी, इसके कारण श्रीलंका में दवाओं, ईंधन,पेट्रोलियम और सभी आवश्यक वस्तुओं की भारी कमी हो गई है।

इस आर्थिक बदहाली की  स्थिति पर लोगों का गुस्सा फूट पड़ा । लोग सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करने लगे। इन प्रदर्शनों में शामिल लोग राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे और उनके परिवार के खिलाफ नारे लगाते दिखे। उन्होंने मांग कि सत्ता पर काबिज राजपक्षे परिवार सत्ता छोड़ दे। इसके वजह से राष्ट्रपति राजपक्षे के बड़े भाई महिंदा राजपक्षे को  प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था। जिसके बाद श्रीलंका में नए प्रधनमंत्री नियुक्त हुए।

अब श्रीलंका के नए प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे का कहना है कि  देश की आर्थिक स्थिति बेहतर होने से पहले और खराब होगी। लेकिन हम यह सुनिश्चित करने का वादा करते हैं कि श्रीलंका के सभी परिवार को तीन वक्त के भोजन से वंचित नहीं होना पड़ेगा।

गौरतलब है कि,श्रीलंका को लेकर पिछले महीने ही दुनिया की दो सबसे बड़ी क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों ने चेतावनी दी थी कि श्रीलंका अपने कर्जों को नहीं चुका पाएगा। फिच रेटिंग्स ने कहा था कि श्रीलंका के दिवालिया होने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। एस एंड पी ग्लोबल रेटिंग्स ने इसी तरह की घोषणा की और कहा था कि श्रीलंका का डिफॉल्टर साबित होना निश्चित है। ये क्रेडिट रेटिंग एजेंसिया देशों को एक रेटिंग जारी करती है जिसका उद्देश्य निवेशकों को आने वाले जोखिम के स्तर को समझने में मदद करना है। 

क्या होता है देश का दिवालिया होना

जब देश अंतरराष्ट्रीय संगठनों से लिया हुआ पैसा या फिर उसकी किस्त को समय पर नहीं चुका पाता है तो उसे दिवालिया घोषित किया जाता है। इससे देश पर उसकी मुद्रा और अर्थव्यवस्था के लिए बेहद नुकसान देह है।  दिवालिया होने के बाद देश को अंतरराष्ट्रीय बाजार से पैसा लेना मुश्किल हो जाता है, जिससे देश की छवि को भी गहरा नुकसान पहुंचाता है। 

इस कारण से श्रीलंका हुआ दिवालिया

श्रीलंका की अर्थव्यवस्था पर्यटन पर काफी निर्भर थी, कोरोना के कारण पर्यटकों की कमी के बुरा असर हुआ, भ्रष्टाचार पर सरकार ने लगाम नहीं लगाई, अनाज उत्पादन घटने से महंगाई बढ़ गया, पर्यटकों और उत्पादन की कमी से विदेशी मुद्रा भंडार खाली हो गया, नाराज जनता को लुभाने के लिए फ्री की स्कीम ने दिवालिया कर दिया। 

 

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