हाल ही में बहुसंख्यक बौद्ध आबादी वाले लद्दाख क्षेत्र को भारत के एक अलग केंद्र शासित प्रदेश घोषित करने के भारत सरकार के फैसले की श्रीलंका द्वारा सराहाना की गयी है। श्रीलंका एक बौद्ध राष्ट्र है।
“मालवाटे और सियाम निकया के असगिया निकाय के महानायके थेरस द्वारा “मालवाटे और सियाम निकया के असगिया निकाय के महानायके थेरस द्वारा कल जारी दो अलग-अलग बयानों में भारत सरकार के इस फैसले की प्रशंसा की गयी है। उनके बयान में कहा गया है, “ये फैसला दोनों देशों के बीच धार्मिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत करेगा और इसे एक नई ऊंचाई पर ले जायेगा।” साथ ही मालवाट्टे निकाय के वेन.टिबटुवावे श्री सिद्धार्थ सुमंगला महानायक थेरा द्वारा अपने बयान में कहा गया , “भारत, जिसका एक बहुलतावादी समाज रहा है, उसने सौहार्दपूर्ण तरीके से सद्भाव और सामंजस्य की रक्षा की है और लद्दाख को 70 प्रतिशत बौद्ध जनसंख्या के साथ केंद्र शासित प्रदेश घोषित करने का अपना निर्णय लिया है। एक अलग प्रदेश के रूप में श्रीलंका के लिए खुशी और गर्व का विषय है, जो खुद एक बौद्ध देश है। इससे पूर्व श्रीलंका के प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे भी इस फैसले की तारीफ कर चुके है।
असगिरिया निकाय के वारकागोड़ा श्री ज्ञानरत्न महानेक थोरा द्वारा लद्दाख को अलग राज्य घोषित करने के फैसले की उनके द्वारा खुलकर सराहना की गयी और कहा गया – लद्दाख क्षेत्र की तीर्थयात्रा पर जाने वाले दुनिया भर के बौद्धों के लिए यह फैसला एक वरदान साबित होगा।