म्यांमार में लोकतंत्र बहाली की मांग कर रही जनता पर सेना ने जुल्म की इंतेहा कर डाली है। आंदोलनकारी जनता का मनोबल तोड़ने के लिए मासूम बच्चों तक को गोली मारी जा रही है। लेकिन विश्व ने चुप्पी साध रखी है। अंतरराष्ट्रीय मंचों पर इस विषय पर चर्चा तो की जा रही है लेकिन समाधान अभी तक नहीं मिल पाया है।
म्यांमार में तख्तापलट के बाद से सेना और जनता के बीच जंग जारी है। सेना देश पर शासन चाहती है, तो जनता सैनिक शासन को बर्दाश्त करने को तैयार नहीं है। लोग लोकतंत्र की बहाली के लिए सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं, मगर सेना उनकी आवाज दबाने में जुटी हुई है। म्यांमार का कोई शहर ऐसा नहीं जहां पुलिस और सेना आंदोलनकारी जनता पर बर्बरता न कर रही हो। लेकिन जनता का मनोबल वैसे का वैसा है। जनता का मनोबल बढ़ता देख सेना भी अब नरसंहार पर उतर आई है।
बैकफुट पर अडानी और रिलायंस बोले हम किसानों के साथ
सेना के जुल्म की इंतेहा यह है कि एक तरफ जहां देश की सड़कें प्रदर्शनकरियों के खून से सनी हैं, तो वहीं जिन बच्चों को सत्ता, लोकतंत्र की समझ नहीं है उन्हें भी मौत दी जा रही है। सेना की बर्बरता ने अब सारी हदें पार कर दी हैं।
म्यांमार में सेना द्वारा लोगों पर गोलीबारी की जा रही है। इस बीच सेना के साथ हाथ मिलाना भी खतरे से खाली नहीं है। लेकिन इस खतरे को अडानी समूह (Adani Group) ने उठाया था। इसलिए अब म्यांमार की सेना के साथ व्यापारिक संबंधों के चलते हाथ मिलाना उसे महंगा पड़ गया है।
म्यांमार में जो रहा है उसका असर कहीं न कहीं विश्व पर भी पड़ रहा है। इसी बीच एसएंडपी (स्टैन्डर्ड एंड पूअर्स) और डाओ जोन्स स्थिरता सूचकांक ने एक बयान जारी किया और कहा है कि उन्होंने भारत की कंपनी अडानी पोर्ट्स और स्पेशल इकोनॉमिक ज़ोन को अपनी सस्टेनेबिलिटी सूची से हटा दिया है। ये तो सभी को पता है कि म्यांमार भारत का पड़ोसी देश है। लेकिन सवाल उठता है कि क्या है एसएंडपी और म्यांमार से अडानी का क्या संबंध है? सवाल उठना लाजिमी भी है। चलिए पहले बात करते हैं एसएंडपी की।
क्या है एसएंडपी ?
S & P एक स्टॉक मार्केट इंडेक्स है जो संयुक्त राज्य में स्टॉक एक्सचेंजों में सूचीबद्ध 500 बड़ी कंपनियों के स्टॉक प्रदर्शन को मापता है। यह आम तौर पर सबसे अधिक फॉलो किए जाने वाले इक्विटी सूचकांकों में से एक है, और कई लोग इसे यू.के. कहते हैं। शेयर बाजार का सबसे अच्छा प्रतिनिधित्व में से एक माना जाता है।
दरअसल, अडानी पोर्ट को एसएंडपी इंडेक्स से बाहर रखा गया है। गुरुवार, 15 अप्रैल को शेयर बाजार खुलने से पहले मंगलवार को जारी बयान के अनुसार, इसे आधिकारिक रूप से सूचकांक से हटा दिया जाएगा।
म्यांमार की सेना पर मानवाधिकारों के हनन का आरोप है। अब तक म्यांमार की सेना 700 से अधिक लोगों की जान ले चुकी है। ऐसे में अडानी समूह के लिए म्यांमार की सेना से हाथ मिलाना ठीक नहीं है।
भारत का सबसे बड़ा निजी मल्टी-पोर्ट ऑपरेटर, अडानी समूह म्यांमार के सैन्य-समर्थित आर्थिक निगम (एमईसी) से पट्टे पर ली गई भूमि पर $ 290 मिलियन के बंदरगाह का निर्माण कर रहा है। हालांकि, पोर्ट डेवलपर ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।
मोदी मेहरबान तो अडानी बने पहलवान : 230 प्रतिशत बढी संपत्ति
इस संबंध में अडानी समूह ने 31 मार्च को बयान जारी किया था कि वे म्यांमार में अपने बंदरगाह परियोजना पर अधिकारियों और हितधारकों से बात करेंगे। इसी दौरान मानवाधिकार समूहों ने कहा कि सहायक सैन्य-नियंत्रित फर्म को किराए में लाखों डॉलर का भुगतान करने के लिए सहमत हुए थे। ऐसे में पोर्ट पर काम जल्द शुरू होगा।
कुछ दिनों पहले अडानी समूह की म्यांमार सेना के साथ इस सौदे की खबर ऑस्ट्रेलिया के एबीसी न्यूज चैनल द्वारा सामने आई थी। चैनल की रिपोर्ट के अनुसार, अडानी ग्रुप ऑफ इंडिया ने यंगून शहर में बंदरगाह बनाने के लिए सेना के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। इस सौदे के बाद बंदरगाह को म्यांमार आर्थिक निगम के लिए एक पट्टा सौदे के माध्यम से विकसित किया जाना था।
पूरे प्रोजेक्ट के लिए अडानी ग्रुप म्यांमार इकोनॉमिक कॉरपोरेशन को जमीन के पट्टे की फीस में 30 मिलियन डॉलर दे रहा था, ये खुलासा यंगून रीजन इन्वेस्टमेंट कमीशन के लीक हुए दस्तावेजों के हवाले से बताई गई। इस पूरी डील की कीमत 52 मिलियन डॉलर बताई जा रही है। इसमें से 22 मिलियन डॉलर बाद में मिलने की बात कही गई है।