ट्रम्प के आने की आहट
बेहद विवादित छवि के राजनेता डोनाल्ड ट्रम्प 20 जनवरी 2025 को दोबारा संयुक्त राष्ट्र अमेरिका के राष्ट्रपति बनने जा रहे हैं। उनके इस दूसरे कार्यकाल ने विश्व भर में अनेकों प्रकार की आशंकाओं और चिंताओं को जन्म देने का काम किया है। यहां तक कहा जा रहा है कि ट्रम्प की वापसी तीसरे विश्व युद्ध की ओर दुनिया को धकेल सकती है। ऐसे में उनकी प्राथमिकताएं क्या रहेंगी और भारत के संदर्भ में उनकी नीति क्या होगी, इसे समझा जाना जरूरी है
अगले सप्ताह अमेरिका के राष्ट्रपति पद की दोबारा शपथ लेने जा रहे डोनाल्ड ट्रम्प की प्राथमिकताएं उनके राजनीतिक- दृष्टकोण और 2024 के चुनाव प्रचार में किए गए वादों के आधार पर निर्धारित होंगी। माना जा रहा है कि प्राथमिकताएं निम्नलिखित क्षेत्रों में केंद्रित हो सकती हैं।
आर्थिक सुधार और व्यापार
ट्रम्प ने पिछले कार्यकाल में कॉर्पाेरेट टैक्स दर को घटाया था और इस बार भी वे कर प्रणाली में और सुधार का वादा कर सकते हैं। भारतीय प्रधानमंत्री मोदी की तर्ज पर ट्रम्प भी अमेरिका में मैन्युफैक्चरिंग और ‘मेड इन USA’ उत्पादों को प्रोत्साहित करने पर जोर डालेंगे जिसका सीधा असर चीन के साथ व्यापार असंतुलन पर पढ़ना तब माना जा रहा है।
आव्रजन नीति
ट्रम्प मेक्सिको सीमा पर दीवार निर्माण को पूरा करने और अवैध आव्रजन को रोकने के लिए सख्त उपाय जारी रख सकते हैं। इतना नहीं इतना ही नहीं उनकी सत्ता वापसी बाद वीजा कार्यक्रमों पर नियंत्रण और अमेरिकी श्रमिकों के लिए रोजगार के अवसर पैदा करने पर पड़ेगा।
राष्ट्रीय सुरक्षा और विदेश नीति
ट्रम्प का ध्यान अमेरिका के हितों को प्राथमिकता देने पर रहेगा, जैसे कि नाटो और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों में अमेरिकी योगदान को सीमित करना। ईरान और उत्तर कोरिया के खिलाफ प्रतिबंध और सख्त नीतियां लागू करना भी ट्रम्प की प्राथमिकताओं में शामिल है।
बिडेन प्रशासन के ठीक विपरीत ट्रम्प रूस के साथ संबंध सुधारने की कोशिश कर सकते हैं, लेकिन यह क्षेत्रीय विवादों पर निर्भर करेगा।
ऊर्जा और पर्यावरण नीति
ट्रम्प अक्षय ऊर्जा की बजाय कोयला, तेल और गैस के उपयोग को प्राथमिकता दे सकते हैं। उनकी वापसी को लेकर सबसे बड़ी चिंता पर्यावरण कार्यकर्ताओं को है क्योंकि पर्यावरण के संबंध में
अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं से ट्रम्प का कोई विशेष लगाव नहीं है।
स्वास्थ्य सेवा सुधार
ट्रम्प ओबामाकेयर को पूरी तरह से खत्म या संशोधित करने की कोशिश कर सकते हैं। अच्छी बात यह की ट्रम्प नशीली दवाओं और ओपिओइड संकट को कम करने पर काम करने के लिए प्रतिबद्ध नजर आते हैं।
संवैधानिक मुद्दे और सुप्रीम कोर्ट
अमेरिका की न्यायपालिका पर ट्रम्प का भरोसा और उनके न्याय पालिका संघ तनाव जग जाहिर है ऐसे में यह आशंका जताई जा रही है कि ट्रम्प न्यायपालिका में रूढ़िवादी झुकाव को बढ़ावा देने के लिए अधिक न्यायाधीश नियुक्त कर सकते हैं। इतना ही नहीं ऐसा भी माना जा रहा है कि राष्ट्रपति बनने के बाद ट्रम्प नागरिकों के बंदूक रखने के अधिकार को मजबूत करने की दिशा में कदम उठाएंगे जिसे अमेरिकी समाज का एक बड़ा वर्ग विरोध करता रहा है।
चुनाव और कानून व्यवस्था
2020 चुनावों में धोखाधड़ी के उनके दावों के आधार पर, वे चुनावी प्रक्रिया में सुधार की वकालत कर सकते हैं। साथ ही ट्रम्प अपराध रोकने और पुलिस बल को मजबूत करने पर ध्यान देंगे।
सोशल मीडिया और टेक्नोलॉजी ट्रम्प बड़ी टेक कंपनियों पर प्रतिबंध लगाने और सेंसरशिप के मुद्दों पर कानून लागू करने का प्रयास कर सकते हैं। इतना तो तय है कि डोनाल्ड ट्रम्प की प्राथमिकताएं उनकी ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति पर केंद्रित होंगी, लेकिन उनका कार्यकाल कानूनी विवादों और राजनीतिक ध्रुवीकरण के कारण चुनौतीपूर्ण हो सकता है। भारत संघ सम्बंध डोनाल्ड ट्रम्प के दूसरे कार्यकाल में भारत के साथ उनकी नीति उनके पहले कार्यकाल की नीतियों और वर्तमान वैश्विक परिदृश्य पर निर्भर करेगी। ट्रम्प ने पहले भी भारत को एक महत्वपूर्ण साझेदार माना है, और उनके कार्यकाल में दोनों देशों के संबंधों में कई महत्वपूर्ण पहल हुई थीं। ट्रम्प प्रशासन ने भारत को रक्षा क्षेत्र में ‘प्रमुख रक्षा साझेदार’ का दर्जा दिया था। अगले कार्यकाल में भारत को और अधिक उन्नत सैन्य तकनीक और हथियारों की आपूर्ति बढ़ सकती है। यह भी माना जा रहा है कि भारत और अमेरिका का सहयोग चीन के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए अहम रहेगा, खासकर हिंद, प्रशांत क्षेत्र में। अमेरिका-भारत-जापान-ऑस्ट्रेलिया की साझेदारी को सुदृढ़ करने पर ट्रम्प का जोर रहेगा इसलिए वह ‘क्वाड’ को मजबूत करेंगे। उन्होंने पहले भारत के साथ व्यापारिक असंतुलन पर सवाल उठाए थे। वे भारत से आयातित वस्तुओं पर शुल्क बढ़ाने की कोशिश कर सकते हैं, लेकिन सामरिक सम्बंधों के कारण इस मुद्दे को नरम रख सकते हैं। ट्रम्प प्रशासन भारत में अमेरिकी निवेश और तकनीकी साझेदारी को बढ़ावा दे सकता है।
भारत और अमेरिका आतंकवाद के खिलाफ अपनी साझेदारी को और मजबूत कर सकते हैं। पाकिस्तान पर ट्रम्प का दबाव भारत के लिए फायदेमंद हो सकता है। अफगानिस्तान में तालिबान की स्थिति पर भारत के साथ रणनीतिक सहयोग संभव है।
ट्रम्प के पहले कार्यकाल में एच-1बी वीजा पर सख्ती बरती गई थी। अगले कार्यकाल में भी उनकी नीति कड़ी रह सकती है, जिससे भारतीय पेशेवरों को चुनौतियां हो सकती हैं।
हिंद-प्रशांत क्षेत्रः भारत को अमेरिका के साथ हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए प्रेरित किया जाएगा।
ट्रम्प भारत को अमेरिकी तेल और गैस निर्यात बढ़ाने पर जोर दे सकते हैं। लेकिन ट्रम्प ने पहले पेरिस समझौते से अमेरिका को बाहर कर दिया था इसलिए यह आशंका भी गहरा रही है कि भारत और अमेरिका के बीच पर्यावरण नीति पर सीमित सहयोग रह सकता है।
‘हाउडी मोदी’ जैसी पहल: ट्रम्प भारत के साथ अपने व्यक्तिगत संबंधों को मजबूत करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ करीबी साझेदारी जारी रख सकते हैं। ट्रम्प की ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति के कारण व्यापारिक विवाद उत्पन्न हो सकते हैं। ट्रम्प का पाकिस्तान के साथ संतुलन बनाए रखना भारत के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है। हालांकि अभी कहना बहुत जल्दबाजी होगी लेकिन डोनाल्ड ट्रम्प का दूसरा कार्यकाल भारत के साथ सुरक्षा, व्यापार, और रणनीतिक सहयोग को मजबूत करने पर केंद्रित हो सकता है। किंतु व्यापारिक असंतुलन और इमिग्रेशन जैसे मुद्दों पर मतभेद बने रह सकते हैं। ट्रम्प का दृष्टिकोण भारत के साथ रिश्तों को प्राथमिकता देगा, लेकिन यह उनकी ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति के साथ संतुलित होगा।