सोमालिया के राष्ट्रपति मोहम्मद अब्दुल्लाही मोहम्मद ने अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबंधों को ताक पर रखते हुए एक विवादस्पद कानून पर हस्ताक्षर कर दिए थे। इस विवादस्पद कानून पर हस्ताक्षर करके उन्होंने अपना दो साल का कार्यकाल बढ़ा लिया था।
जिसका विरोध अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हो रहा है। विश्लेषकों का मानना है कि अब्दुल्लाही का यह कदम देश में राजनीतिक अस्थिरता को पैदा कर रहा है, और यह अफ्रीकी देशों के लिए काफी खतरनाक सिद्ध हो सकता है। सोमालिया में लोग अब्दुल्लाही को फार्माजो के नाम से भी जानते है।
देश की संसद के नीचले सदन ने पिछले सप्ताह फर्माजो के चार साल के कार्यकाल का विस्तार करने के लिए मतदान किया था। जो फरवरी में समाप्त हो गया, लेकिन अब फर्माजो ने कानून के तहत अपना दो साल का कार्यकाल बढ़ा लिया है।
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निचले सदन के अध्यक्ष मोहम्मद मुर्सल शेख अब्दुर्रहमान ने कहा कि यह उपाय देश को प्रत्यक्ष चुनाव की तैयारी करने की अनुमति देगा। नीचले सदन में जनादेश होने के बाद उन्होंने इस कानून पर हस्ताक्षर किए। प्रस्ताव को अभी तक उच्च सदन में नहीं रखा गया।
जिस तरह भारत में संसद को दो सदन है वैसे ही सोमालिया में संसद के दो सदन है। किसी भी कानून को पास कराने के लिए संसद के दो सदनो से कानून को पास करवाना अनिवार्य होता है। वैसे ही सोमालिया में किसी भी कानून को पास करवाने के लिए संसद के दोनों सदनों से पास करवाना जरुरी है। फर्माजो को अपना कार्यकाल बढ़ाने वाले कानून को ऊपरी सदन में लाना आवश्यक होगा।
उच्च सदन के अध्यक्ष आब्दी हशी अब्दुल्लाही ने तुरंत इस कदम को असंवैधानिक बताते हुए कहा कि यह देश को राजनीतिक अस्थिरता में ले जाएगा और हिंसा को बढ़ाएंगा। फर्माजो के इस कदम की निंदा अमरिका और यूरोपियन संघ ने की थी, और कहा था कि यह कदम देश में विभाजन को बढ़ावा दे सकता है।
भ्रष्टाचार विरोधी एनजीओ ‘मारकाटी’ के कार्यकारी निदेशक मोहम्मद मुबारक (जो सोमालिया में सुशासन और पारदर्शिता की वकालत करते हैं) ने कहा कि “सुरंग के अंत में कोई प्रकाश नहीं है।” उन्होंने आगे कहा कि “राष्ट्रपति सत्ता में रहते हैं और मौजूदा स्थिति पर कोई राजनीतिक समझौता नहीं करते हैं।”
सिंतबर 2020 में सोमालिया के राष्ट्रपति और संघीय नेताओं ने मिलकर यह तय किया था कि वह 2020 के अंत या 2021 की शुरुआत में संसदीय और राष्ट्रपति चुनाव होंगे। प्रस्ताव के मुताबिक चुनाव 1 नंवबर को होने थे। लेकिन यह सौदा वोटों के बंटवारे को लेकर अलग-थलग पड़ गया। फरमाजो और देश के संघीय राज्यों के नेताओं के बीच फरवरी में बातचीत गतिरोध तोड़ने में विफल रही।
जुबलैंड और पुंटलैंड संघीय राज्यों के नेताओं ने राष्ट्रपति पर सौदेबाजी करने और अपने सहयोगियों के साथ मिलकर चुनाव बोर्ड को गुमराह करने का आरोप लगाया है। पंरतु फर्माजो ने इन सभी आरोपों को खारिज कर दिया। फरमाजो ने क्षेत्रीय नेताओं पर गतिरोध पैदा करने का आरोप लगाया। वहीं विपक्षी समूहों ने कहा कि वे अब उनके कार्यकाल की समाप्ति के बाद उनके अधिकार को मान्यता नहीं देंगे। यानी वह अब राष्ट्रपति के किसी भी निर्देश को नहीं मानेंगे।
सोमालिया की राजधानी मोगादिशु निवासी अबुकर उस्मान मोहम्मद ने बताया कि यह राष्ट्रपति द्दारा कार्यकाल बढ़ाना अवैध था, यह देश को बड़े राजनीतिक संकट में डाल सकता है। जुबालैंड और पुंटलैंड के नेताओं ने पूर्व राष्ट्रपति मागिरिंस और राजधानी मेगादिशु में अन्य मजबूत विपक्षी पार्टियों के साथ मिलकर गठबंधन किया है। इनमें दो पूर्व राष्ट्रपति और सीनेट के स्पीकर भी शामिल है।