लोगों को सोशल मीडिया पर ट्रेंड्स को फॉलो करना उनके ट्रेंडी (मॉडर्न) होना दर्शाता है। यदि वह ट्रेंड्स को फॉलो न करें तो वह बैकवर्डस समझे जाते हैं जिसके कारण युवाओं में डिप्रेशन के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। आलम यह है कि इसके दुष्प्रभावों को लेकर संयुक्त राज्य अमेरिका में पिछले साल अफ्रीकी-अमेरिकी युवक की मृत्यु हो गई जिसके बाद वहां की जनता ने सोशल मीडिया के खिलाफ प्रदर्शन करना शुरू कर दिया था जो अब तक अमेरिका के पचास राज्यों में से लगभग 30 राज्यों में फैल चुका है। यहां तक कि इन राज्यों ने इसके खिलाफ मुकदमा भी दर्ज करा दिया है। बावजूद इसके मामला दिन-प्रतिदिन तूल पकड़ता जा रहा है। प्रदर्शन करने वालों की संख्या एक राज्य से दूसरे राज्यों तक फैलती जा रही है। कहा जा रहा है कि ऐसे ही हालात रहे तो वह दिन दूर नहीं जब पूरा देश इस पर प्रतिबंध लगाने की मांग करेगा
पहले जिंदगी की तीन मूलभूत आवश्यकताएं हुआ करती थीं रोटी, कपड़ा और मकान। अब इसमें चौथी सबसे जरूरी चीज शामिल हो गई है सोशल मीडिया। आज के समय में हर व्यक्ति का सोशल मीडिया पर अकाउंट है। यह अपनी भावनाओं और विचारों को व्यक्त करने का एक अच्छा माध्यम है। इसके चलते यह पिछले कुछ समय से बेहद मजबूत रूप में उभरा है। इसका नाम आते ही फेसबुक, इंस्टाग्राम और ट्वीटर यानी एक्स आंखों के सामने आ जाते हैं। पुराने दोस्तों को ढूंढना हो या नए दोस्त बनाना, इसके लिए आज के युग में सोशल मीडिया बहुत काम की चीज साबित हुई है। हम खाने के बिना रह लेंगे, मगर इसके बिना नहीं रह सकते हैं। लेकिन इसके फायदे के साथ-साथ नुकसान भी कम नहीं हैं। इसका शिकार ज्यादातर बच्चे और किशोर अवस्था के युवक-युवतियां हो रही हैं। युवाओं को तमाम ट्रेंड्स को फॉलो करने की इस भीड़ ने अपनी असल जिंदगी जीना ही भुला दिया है।
सोशल मीडिया ट्रेंड्स की बात करें तो यह बात काफी बार सामने आई है कि लोगों को सोशल मीडिया पर ट्रेंड्स को फॉलो करना उनके ट्रेंडी (मॉडर्न) होना दर्शाता है। यदि वह ट्रेंड्स को फॉलो न करें तो वह बैकवर्डस समझे जाते हैं जिसके कारण युवाओं में डिप्रेशन के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। आलम यह है कि इसके दुष्प्रभावों को लेकर संयुक्त राज्य
अमेरिका में पिछले साल अफ्रीकी-अमेरिकी युवक की मृत्यु हो गई थी जिसके बाद अमेरिकी जनता ने सोशल मीडिया के खिलाफ प्रदर्शन करना शुरू कर दिया था जो अब तक अमेरिका के पचास राज्यों में से लगभग 30 राज्यों में फैल चुका है। यहां तक कि इन राज्यों ने इसके खिलाफ मुकदमा भी दर्ज करा दिया है। बाबजूद मामला दिन-प्रतिदिन तूल पकड़ता जा रहा है। इसके खिलाफ प्रदर्शन करने वालों की संख्या एक राज्य से दूसरे राज्यों तक फैलती जा रही है और कहा जा रहा है कि ऐसे ही हालात रहे तो वह दिन दूर नहीं जब पूरा देश इस पर प्रतिबंध लगाने की मांग करेगा।
अमेरिकी राज्यों से निकले इस प्रदर्शन के अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फैलने की आशंका भी जताई जा रही है। क्योंकि इस तरह के प्रदर्शन कुछ समय पहले अरब देशोंकी सड़कों पर भी देखने को मिले थे। इन प्रदर्शनों का समर्थन सोशल मीडिया के माध्यम से अलग-अलग देशों के लोगों द्वारा किया जा रहा है। यह लोग सोशल मीडिया पर अपने-अपने विचारों को साझा कर अपने बच्चों के लिए सुरक्षित वातावरण की मांग कर रहे हैं। 24 अक्टूबर 2024 को कैलिफोर्निया के ऑकलैंड की अदालत में दायर मुकदमे में दावा किया गया है कि मेटा अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए बार-बार जनता को गुमराह कर रहा है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ने युवाओं की मेंटल हेल्थ को बुरी तरह खराब कर दिया है। आजकल के बच्चों और नौजवानों को सोशल मीडिया की ऐसी लत लग गई है, जो किसी नशे से कम नहीं है।
इतना ज्यादा सोशल मीडिया का इस्तेमाल बच्चों के लिए काफी ज्यादा खतरनाक है। कैलिफोर्निया और इलिनोइस सहित 33 राज्यों द्वारा दायर की गई इस शिकायत में यह भी कहा गया है कि ‘मेटा अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए युवाओं और बच्चों को देर तक व्यस्त रखने के लिए तरह-तरह के गेम और टेक्नोलॉजी आए दिन ला रहा है। ताकि इससे पूरी दुनिया में बच्चे अपना ज्यादा से ज्यादा वक्त सोशल मीडिया पर बिताएं। इसका सिर्फ एक मकसद है ज्यादा से ज्यादा मुनाफा कमाना। इसी वजह से वह आज की युवा पीढ़ी को सोशल मीडिया की लत लगा रहा है। यह जानने के बावजूद सोशल मीडिया पर कई तरह के टॉक्सिक कंटेंट आते हैं जिसकी वजह से बच्चे और युवाओं के दिमाग पर बुरा असर पड़ता है। हाालांकि मेटा ने सार्वजनिक रूप से इस बात से इनकार किया कि उसका सोशल मीडिया पर इस तरह के कंटेंट आते हैं और यह बच्चों के लिए हानिकारक भी नहीं हैं। इस बीच अमेरिका के नौ और राज्यों ने भी इसी तरह के मुकदमे दायर करने को कहा है, जिसके बाद मुकदमा करने वाले राज्यों की कुल संख्या 42 हो जाएगी।’
‘यूनिवर्सिटी ऑफ रिचमंड स्कूल ऑफ लॉ’ के अध्यक्ष कार्ल टोबियास ने कहा, ‘मुख्य तर्क यह है कि मेटा युवाओं की जिंदगी के साथ खेल रहा है। क्योंकि वह आए दिन अपनी सोशल मीडिया कंटेंट और टेक्नोलॉजी में खास तरह के चेंजेज किए जा रहा है और युवाओं को लुभा रहा है। इन नई तकनीकों के कारण युवाओं में सोशल मीडिया की लत बढ़ती जा रही है जो न केवल बच्चांे के स्वास्थ्य, बल्कि उनके भविष्य के लिए भी बेहद खतरनाक है। सोशल मीडिया बच्चों के लिए तो खतरनाक है ही यह यूजर्स की पर्सनल इन्फॉर्मेशन के लिए भी खतरनाक है क्योंकि कई बार देखा गया है कि सोशल मीडिया पर आपकी पर्सनल इन्फॉर्मेशन भी लीक होते हुए देखा गया है।’
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन
वर्ष 2021 से ही इस बात पर ज्यादा जोर दिया गया है कि बच्चों के दिमाग पर सोशल मीडिया का काफी ज्यादा असर हो रहा है। जब पूर्व कर्मचारी व्हिसलब्लोअर द्वारा आंतरिक दस्तावेज जारी किए, जिसमें दिखाया गया कि इंस्टाग्राम ने कुछ किशोर लड़कियों की शारीरिक छवि को खराब किया। इस तरह की घटनाओं के कारण युवाओं पर गहरा असर पड़ता है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने बीते फरवरी में अपने ‘स्टेट ऑफ द यूनियन’ में भाषण के दौरान कहा कि नौजवान यूजर्स पर सोशल मीडिया का बेहद नेगेटिव असर हो रहा है। कांग्रेस इस समस्या का समाधान करने के लिए कानून पारित करने का आग्रह कर रही है। अमेरिकी जनरल ने इसी मुद्दे पर एक औपचारिक सलाह भी जारी की थी। मेटा और अन्य सोशल मीडिया कंपनियां पहले से ही बच्चों और स्कूलों की ओर से इसी तरह के दावे करते हुए सैकड़ों मुकदमों का सामना कर रही है।
इस मुकदमे की उत्पत्ति 2021 में एक व्हिसलब्लोअर द्वारा दस्तावेज जारी करने से हुई और विशेष रूप से सोशल मीडिया दिग्गजों द्वारा की गई जांचों ने इस बात की पुष्टि कर मेटा पर गंभीर सवाल पैदा किए हैं। इन राज्यों में मेटा पर चल रहा है मुकदमा इस साल की शुरुआत में, 100 से अधिक परिवारों का प्रतिनिधित्व करने वाले वकीलों ने मेटा, स्नैपचैट, गूगल और टिक-टॉक की मूल कंपनी, बाइटडांस सहित सोशल मीडिया फर्मों पर आरोप लगाते हुए एक मुख्य शिकायत दर्ज की है। इन मामलों पर काम कर रहे वकीलों ने अमेरिकी अटार्नी जनरल के इस कदम की सराहना करते हुए कहा कि ‘यह महत्वपूर्ण कदम नशे की तरह फैल रहे सोशल मीडिया के प्रभावों को कम करने के लिए उठाए गए हैं। यह देश भर में सबसे बड़ी चिंता का विषय बना हुआ है। यह मुद्दा अमेरिकी युवाओं के बीच मानसिक स्वास्थ्य संकट को बढ़ा रहा है। सोशल मीडिया दिग्गज पर यह भी आरोप लगाया गया है कि उसने अपने प्लेटफॉर्म को ‘हेरफेर वाली विशेषताओं’ के साथ डिजाइन किया है जो बच्चों के आत्मसम्मान को कम करने में सक्षम है।’
न्यूयॉर्क अटार्नी जनरल लेटिटिया जेम्स ने कहा, ‘अमेरिका ही नहीं, बल्कि दुनिया भर के बच्चे और किशोर खराब मानसिक स्वास्थ्य से पीड़ित हैं और इसके लिए मेटा जैसी सोशल मीडिया कंपनियां जिम्मेदार हैं। मेटा ने जान-बूझकर अपने प्लेटफॉर्म को जोड़-तोड़ वाली सुविधाओं के साथ डिजाइन करके बच्चों के दिमाग से खिलवाड़ कर पैसे कमाने की योजनाओं पर ध्यान दिया है।’ कैलिफोर्निया के अटार्नी जनरल रॉब बोंटा ने कहा, ‘मेटा हमारे बच्चों और किशोरों को नुकसान पहुंचा रहा है, कॉरपोरेट मुनाफे को बढ़ावा देने के लिए लत पैदा कर रहा है। मेटा के खिलाफ किए गए मुकदमों के बाद हम इस नुक्सान को होने से रोक पाएंगे।’
इन आरोपों के जवाब में मेटा का कहना है कि ‘हम मुकदमे से निराश है। मेटा किशोरों को ऑनलाइन सुरक्षित, सकारात्मक अनुभव प्रदान करता है। इन दावों को सिद्ध करने के लिए मेटा किशोरों और उनके परिवारों की तसल्ली के लिए 30 से अधिक उपकरण पेश कर चुका है। किशोरों द्वारा उपयोग किए जाने वाले कई सोशल मीडिया में उपर्युक्त आयु होना स्पष्ट है। डेटिंग-चैटिंग ऐप्स पर केवल 18 वर्षीय युवा ही अपना अकाउंट बना सकते हैं। मेटा के द्वारा बच्चों की गोपनीयता पर भी ध्यान दिया गया है।
वर्ष 2021 से चल रहा मुकदमा
वर्ष 2021 में ‘द वॉल स्ट्रीट जर्नल’ द्वारा पहली बार समाचार रिपोर्ट, मेटा के द्वारा पेश किए गए शोध पर आधारित थीं जिसमें पाया गया कि कंपनी को उन नुकसानों के बारे में पता था जो इंस्टाग्राम विशेष रूप से किशोर आयु की लड़कियों को मानसिक स्वास्थ्य और शरीर की छवि के मुद्दों के कारण पैदा कर सकता है। इसके बाद आए एक और अध्ययन में पाया गया कि 13.5 फीसदी किशोर लड़कियों ने कहा कि इंस्टाग्राम ने आत्महत्या के विचारों को बदतर बना दिया है और 17 फीसदी किशोर लड़कियों ने कहा कि इससे खाने के विचार और भी बदतर हो गए हैं। इसके बाद समाचार संगठनों के एक संघ ने व्हिसलब्लोअर फ्रांसिस हौगेन के लीक हुए दस्तावेजों के आधार पर परिणाम प्रकाशित किए, जिन्होंने तब से कांग्रेस और एक ब्रिटिश संसदीय समिति को रिपोर्ट के बाद आए परिणामों के बारे में बताया है। इन परिणामों में साफ देखा गया कि ‘सुरक्षा पर लाभ को प्राथमिकता’ देते देखा गया है।
जनरल ने बताया कि मई 2021 में मेटा छोड़ने से पहले, उन्होंने वहां के आंतरिक नेटवर्क की जांच की और आंतरिक दस्तावेजों और रिपोर्टों को संकलित किया, जिससे पता चला कि सोशल मीडिया दिग्गज ने जान-बूझकर मुद्दों को नजरअंदाज करने का विकल्प चुना था। प्यू रिसर्च सेंटर के अनुसार, अमेरिका में 13 से 17 वर्ष की आयु के लगभग सभी किशोर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का उपयोग करते हैं, लगभग एक तिहाई का कहना है कि वह लगातार सोशल मीडिया का उपयोग करते हैं। सोशल मीडिया कंपनियां 13 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को अपने प्लेटफॉर्म पर साइन अप करने से प्रतिबंधित करती हैं। लेकिन यह देखा गया है कि बच्चे अपने माता-पिता की सहमति के साथ और उसके बिना भी आसानी से प्रतिबंध से बच जाते हैं और कई छोटे बच्चों के पास सोशल मीडिया अकाउंट हैं। मेटा ने जान-बूझकर बच्चों के माता- पिता को सूचित किए बिना और उनसे अनुमति लिए बिना उनका डेटा एकत्र करके इस अमेरिकी कानून (बच्चों की ऑनलाइन गोपनीयता संरक्षण अधिनियम) का उल्लंघन किया है।’
बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य के बारे में चिंताओं को दूर करने के लिए सामाजिक मंचों द्वारा उठाए गए अन्य उपायों को भी आसानी से नजरअंदाज किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, टिकटॉक ने हाल ही में 18 साल से कम उम्र के उपयोगकर्ताओं के लिए 60 मिनट की डिफॉल्ट समय सीमा पेश की है। लेकिन एक बार सीमा समाप्त हो जाने पर, नाबालिग लोग देखते रहने के लिए बस एक पिनकोड दर्ज कर सकते हैं। टिक-टॉक, स्नैपचैट और अन्य सोशल प्लेटफॉर्म जिन्हें युवा मानसिक स्वास्थ्य संकट में योगदान के लिए दोषी ठहराया गया है। इस सप्ताह के अंत में, कैलिफोर्निया की एक अदालत व्यापक तकनीकी उद्योग के खिलाफ इसी तरह के आरोपों पर सुनवाई करेगी।