दुनिया का सबसे शक्तिशाली देश अमेरिका कल अपने ही बनाए सविधान की उस समय धज्जिया उड़ाता दिखा जब संसद के बाहर निर्वतमान राष्ट्पति डोनाल्ड ट्रम्प के समर्थक हिंसा पर उतारू हो गए। यहां वोटिंग के 64 दिन बाद जब अमेरिकी संसद बाइडेन की जीत पर मुहर लगाने जा रही थी। ऐसे समय में अमेरिकी लोकतंत्र शर्मसार हो गया। देखते ही देखते ट्रम्प के समर्थक दंगाइयों में तब्दील हो गए। वे न केवल संसद में घुसे बल्कि जमकर तोड़फोड़ और हिंसा की। यही नहीं बल्कि गोलिया भी चली। अब तक हिंसा में कुल चार लोगो के मरने की खबरें आ रही है। सुरक्षा एजेंसियां ट्रम्प समर्थकों के प्लान को समझने में नाकाम रहीं। बामुश्किल मिलिट्री की स्पेशल यूनिट दंगाइयों कर पाई। कई घंटे बाद के बवाल के बाद संसद की कार्यवाही फिर से शुरू की जा सकी। फिलहाल , वाशिंगटन में 15 दिन के लिए आपातकाल लगा दिया गया है।
अमेरिका में हुई हिंसा के बीच फेसबुक ने डोनाल्ड ट्रंप का एक वीडियो अपनी साइट से हटा दिया है। इस वीडियो में ट्रंप अपने समर्थकों को संबोधित करते दिख रहे हैं। फेसबुक के वाइस प्रेसिडेंट की तरफ से इस बाबत कहा गया कि ऐसा करने से हिंसा में कमी लाने में मदद मिलेगी। वहीं, इंस्टाग्राम और टि्वटर ने भी ट्रम्प का अकाउंट ड्रम्प कर दिया है। इस दौरान सीएनएन ने दावा किया है कि ट्रम्प कैबिनेट के कुछ सदस्यों ने एक बैठक की है। इसमें संविधान के अनुच्छेद 25 के जरिए ट्रम्प को हटाने पर विचार किया गया है। हालांकि इस बारे में अभी तक कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया।
उधर, दूसरी तरफ भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिका में हुई हिंसा और हंगामे पर चिंता जताई है। उन्होंने ट्रम्प का नाम लिए बिना सलाह दी है कि सत्ता का हस्तांतरण शांतिपूर्व तरीके से कर दिया जाना चाहिए। मोदी ने ट्वीट किया कि वाशिंगटन डीसी में हिंसा की खबर देखकर चिंतित हूँ। सत्ता का हस्तांतरण शांतिपूर्वक तरीके से किया जाना जारी रहना चाहिए। एक लोकतांत्रिक प्रक्रिया में इस तरह के गैरकानूनी तरीके स्वीकार नहीं किए जा सकते है।
गौरतलब है कि अमेरिका में 3 नवंबर को राष्ट्रपति चुनाव हुआ। जिसमे बाइडेन को 306 और ट्रम्प को 232 वोट मिले थे। इसके बावजूद भी ट्रम्प ने हार नहीं कबूली। उनका आरोप है कि वोटिंग के दौरान और फिर गिनती में बड़े पैमाने पर धांधलेबाजी हुई। इस बाबत कई राज्यों में केस दर्ज कराए। ज्यादातर में ट्रम्प समर्थकों की अपील खारिज हो गई। यह तक कि सुप्रीम कोर्ट ने भी उनकी याचिकाएं खारिज कर दीं। फिलहाल वाशिंगटन में हुई हिंसा के लिए डोनाल्ड ट्रम्प को दोषी माना जा रहा है। चुनाव प्रचार के दौरान और बाद में ट्रम्प इशारों ही इशारों में ऐसा कुछ कहते और करते रहे है कि जिसके चलते उनके समर्थक हिंसा पर उतारू हो गए। एक तरह से कहा जाए तो अमेरिका के इतिहास में 6 जनवरी यानि बुधवार का दिन काले इतिहास में लिखा जायेगा।