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इजरायल में सत्ता परिवर्तन के संकेत

बेंजामिन नेतन्याहू क्या अपनी कुर्सी बचा पाएंगे?

इजरायल और फिलीस्तीन के बीच हिंसक संघंर्ष थम गया है लेकिन नेतृत्व का संकट अभी भी बरकरार है। देश के लोगों ने पिछले दो साल में संसदीय चुनाव के लिए चार बार वोटिंग की। लेकिन हर बार की तरह एक भी एक पार्टी को मत नहीं दिया। जिसके कारण गठबंधन की सरकार ज्यादा देर टिक नहीं पा रही। इस बार भी इजरायल के लोगों ने किसी एक पार्टी को नहीं चुना।

संसदीय चुनावों में बेंजामिन की पार्टी को सबसे ज्यादा वोट मिले थे, और सबसे बड़ी पार्टी बनकर ऊभरी थी। राष्ट्रपति ने नेतन्याहू को सरकार बनाने के लिए कुछ सप्ताह का समय दिया था, लेकिन इस बार नेतन्याहू गठबंधन की सरकार बनाने में नाकामयाब रहे।

अब इजरायली प्रधानमंत्री नेतन्याहू की सरकार पर खतरे के बादल मंडरा रहे है, क्योंकि बेंजामिन की सरकार का समर्थन करने वाले नेता ने इस बार गठबंधन किसी दूसरी पार्टी के साथ बनाने की बात कही है।

इजरायली की यामिना पार्टी के प्रमुख नफ्ताली बेनेट ने ऐलान किया है कि वह जल्द ही विपक्षी पार्टी से हाथ मिला लेगा। नफ्ताली और विपक्षी नेता याईर लैपिड की एश एटिड पार्टी अंतिम दौर की चर्चा जारी है। दोनों नेताओं मे्ं कई दौर की बैठके हो चुकी है। अगर दोनों नेता साथ मिलकर सरकार बनाते है तो बेंजामिन को इस बार सत्ता से बाहर का रास्ता देखना पड़ेगा। इजरायल में किसी भी पार्टी को सरकार बनाने के लिए 61 का जादुई आकड़ा पार करना होगा।

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रविवार 30 मई को यामिना पार्टी की मीटिंग के दौरान बेनेट ने कहा , यह मेरा इरादा है कि मैं अपने मित्र यायर लापिड के साथ राष्ट्रीय एकता सरकार बनाने के लिए अपनी पूरी कोशिश करूं, बाकी भगवान की इच्छा। हम एक साथ मिलकर इजरायल को बचा सकते है और इजरायल को उसके रास्ते पर लौटा सकते है।

बेनेट की घोषणा नेतन्याहू के 12 साल के शासन को समाप्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

लिकुड पार्टी को 30 सीटें मिली थी। यश अटिड दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनी थी। याईर लापेड की इस पार्टी को 17 सीटें मिली। इजरायल की संसद में 120 सीटें है। किसी भी पार्टी को सरकार बनाने के लिए 61 सीटें जीतनी पड़ती हैं। पूरे इजरायल और उसके कब्जे वाले वेस्ट बैंक में मतदान केंद्र स्थापित किए गए थे। इजरायल में कुल पंजीकृत मतदाताओं की संख्या 6.5 मिलियन है।

देश में पिछले दो सालों से राजनीतिक अस्थिरता के कारण कोई सरकार लंबे समय नहीं चल पा रही। इसलिए पिछले दो साल में देश के लोगों ने चौथी बार संसदीय चुनाव के लिए मतदान किया।

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गौतरलब है कि इजरायल में पिछले दो साल में चार बार चुनाव हुए। लेकिन किसी भी पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला। बेंजामिन ऐसे में दूसरी पार्टियों के साथ मिलकर सरकार चला रहे थे। अगर इस बार नई सरकार बनती है तो नेतन्याहू का राज खत्म हो जाएगा। बेंजामिन लगातार 12 साल से इजरायल के प्रधानमंत्री पद पर है।

बेनेट को पाला बदलते देख नेतन्याहू ने इस गठबंधन को “इजरायल की सुरक्षा के लिए खतरा” बताते हुए इसकी आलोचना की। उन्होंने आगे कहा कि इस समय देश संकट से गुजर रहा है ऐसे में राजनीति का मौका ठीक नहीं है।

इजरायल में राजनीतिक हलचल तब बढ़ी जब फिलीस्तीन और इजरायल के बीच युद्ध जैसे हालात पैदा हो गए थे। दोनों तरफ से एक-दूसरे पर मिसाइलें दागी जा रही थी, इस हिंसक संघंर्ष में दोनों साइट के दर्जनों लोगों ने अपनी जान गवा दी थी।

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