तालिबान के कई अधिकारियों के व्हाट्सप अकाउंट पिछले कुछ महीनों से बंद किए जा रहे है। बीते दो महीने पहले तालिबानी सैनिक अधिकारियों का एक समूह राजधानी काबुल के बाहर इस्लामिक स्टेट के ठिकाने पर छापा मारने की तैयारी कर रहा था। उनका कमांडर हबीब रहमान इनकायद अपने टारगेट की सही लोकेशन जानने की कोशिश कर रहा था। अफसरों द्वारा इनकायद को लोकेशन वॉट्सऐप पर भेज दी गई थी । लेकिन वॉट्सऐप ने अमेरिकी प्रतिबंधों के हिसाब से हबीब का अकाउंट ब्लॉक कर दिया । 25 साल के हबीब का कहना है कि हमारे पास संपर्क और संवाद का एकमात्र जरिया वॉट्सऐप है।
कुछ महीने से मेटा तालिबान सरकार के अधिकारियों, पुलिस और सैनिकों के वॉट्सऐप अकाउंट अस्थायी रुप से बंद कर रहा है। तालिबान में यह समस्या बढ़ती जा रही है। दरअसल तालिबान अधिकारीयों की पिछले दो साल से वॉट्सऐप पर निर्भरता बढ़ी है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक तालिबान सरकार के प्रशासन का अंदरुनी कामकाज वॉट्सऐप के माध्यम से चलता है। फिर चाहे वो विभाग के कर्मचारियों को सूचनाएं देना हो , मीडिया को बयान जारी करना हो ,या फिर मंत्रालयों के बीच सम्पर्क साधना ही क्यों न हों। ये सभी कार्य वॉट्सऐप पर ही निर्भर हैं।
गौरतलब है कि अमेरिकी प्रतिबंध के बावजूद टि्वटर और यूट्यूब जैसे कुछ सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म तालिबानियों को अपने प्लेटफॉर्म का उपयोग करने दे रहे हैं। लेकिन, सबसे अधिक पॉपुलर मैसेजिंग एप उनकी पहुंच के बाहर है। तखार प्रांत में पुलिस प्रवक्ता अब्दुल मोबिन शफी के कहने अनुसार उनका 50 लोगों का ग्रुप है। 40-45 वॉट्सऐप नंबर ब्लॉक हैं। एक बार अकाउंट बंद होने पर लोग नया सिम कार्ड लेकर नया अकाउंट खोल लेते हैं। इस बीच कमांडर हबीब इनकायद ने एक माह बाद नई सिम लेकर नया व्हाट्सएप अकाउंट खोल लिया है। उनका कहना है कि वो 80 वॉट्सऐप ग्रुप का हिस्सा हैं। इनमें एक दर्जन से अधिक ग्रुप का उपयोग केवल सरकारी काम-काज के लिए होता है। तालिबान के सत्ता में आने के बाद ग्रुप के बीच वॉट्सऐप का उपयोग और ज्यादा बढ़ गया। पूर्व लड़ाकों ने अपने स्मार्टफोन का भरपूर उपयोग शुरू किया है। उन्हें फोन के सिगनल के सहारे पश्चिमी देशों की सेनाओं के हमले का भी भय नहीं रहा।
तालिबान लड़ाकों की पहुँच अब आसानी से मोबाइल स्टोर तक हो गई है। पुलिस ,सेना जैसे कई पदों पर ये लड़ाके नियुक्त हो चुकें हैं। सरकारी कर्मचारी बन चुके तालिबान लड़ाकों को वेतन भी दिया जाने लगा है। जिससे मोबाइल फोन बेचने वालों के पास नए कस्टमरों की लाइन लग गई है। फोन कारोबारी मांग पूरी नहीं कर पा रहे । यहां तक कि अफगानिस्तान में सिम कार्ड की कमी पड़ गई है।अफगानिस्तान में मोबाइल फोन के टॉवर खड़े हो रहे हैं। तालिबान आर्मी की सेकंड रेजिमेंट के कमांडर कुंदूजी का कहना है कि युद्ध के समय तालिबानी लड़ाके सरकारी ठिकानों पर हमलों के फोटो अपने सीनियरों और समर्थकों को वॉट्सऐप पर भेजते थे।
WhatsApp पर इंटरनेशनल कॉल के जरिए हो रहा फ्रॉड !