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कूटनीतिक दृष्टि से अहम माना जा रहा है शंघाई सम्मलेन

“एससीओ” शिखर सम्मेलन ऐसे समय में होने जा रहा है जब बीते छह महीनो से भी ज्यादा समय से जारी रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध जारी है और चीन – भारत सीमा विवाद , चीन-ताइवान के बीच बढ़ते तनाव गहराता जा रहा है। ऐसे में यह शिखर सम्मेलन राजनीतिक और कूटनीतिक रूप से अहम है। दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 15 और 16 सितम्बर को उज्बेकिस्तान हो रहे शिखर सम्मलेन में शामिल होंगे । इस बार भारत एससीओ परिषद के राष्ट्र प्रमुखों की होने वाली 22वीं बैठक में भाग लेगा। भारत इस सम्मेलन में पूर्ण सदस्य के रूप में चौथी बार शामिल होने जा रहा है। उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपति शवकत मिर्जियोयेव ने इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निमंत्रण दिया है। यह शिखर सम्मेलन उज्बेकिस्तान के समरकंद में किया जायेगा।

इस ‘शंघाई सहयोग संगठन’ के इस सम्मेलन दौरान सबकी निगाहें पीएम मोदी की चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूस के व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात पर टिकी होंगी। ये शिखर सम्मेलन ऐसे समय में हो रहा है जब भारत और चीन के बीच सीमा विवाद का मुद्दा गर्म है। ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि इस सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात कर सकते हैं ।

गौरतलब है कि कोरोना महामारी के कारण तकरीबन दो सालों के बाद देशों के राष्ट्र प्रमुख भेट करेंगे । इसलिए इस सम्मेलन की बैठक के दौरान बहुपक्षीय सहयोग की संभावनाओं पर चर्चा की जाएगी। ऐसे कई विषय हैं जिन पर एससीओ में शामिल सभी देश विचार- विमर्श करेंगे। इस सम्मेलन में एससीओ देशों के बीच आर्थिक सहयोग और कनेक्टिविटी के लिए चर्चा की जाएगी। कनेक्टिविटी की चर्चा के चलते भारत और मध्य एशियाई देशों के बीच व्यापार, निवेश और अन्य वस्तुओं के आदान-प्रदान को बढ़ावा दिया जा सकता है । सम्मेलन के बाद पीएम मोदी की अन्य द्विपक्षीय बैठक भी होंगी। इसकी जानकारी इससे पहले उज्बेकिस्तान में भारतीय राजदूत मनीष प्रभात ने पहले ही दे दी थी, कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे और कई नेताओं के साथ द्विपक्षीय बैठक करेंगे। इसी बीच पाकिस्तान भी आर्थिक सहयोग को लेकर चर्चा पर जोर दे सकता है। आर्थिक तंगी और बाढ़ से परेशान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ भी इस सम्मेलन में शामिल हो सकते हैं । उज़्बेकिस्तान एससीओ 2022 की अध्यक्षता कर रहा है। भारत इसका अगला अध्यक्ष होगा। गौरतलब 2017 में भारत और पाकिस्तान दोनों को ही एससीओ में पूर्ण सदस्य होने का दर्जा दिया गया था ।

क्या है शंघाई सहयोग संगठन

 

शंघाई सहयोग संगठन यानी (एससीओ) ये एक स्थायी अंतर-सरकारी अंतरराष्ट्रीय संगठन है। जिसका उद्देश्य एससीओ में शामिल हुए सभी देशों में शांति, सुरक्षा व स्थिरता बनाए रखना है। इसकी स्थापना 15 जून 2001 को शंघाई की गई थी। एससीओ का लक्ष्य है रहा है कि सभी शामिल सदस्य देशों के बीच आपसी विश्वास को मजबूत करते रहें । साथ ही सभी शामिल देशों में रक्षा, राजनीति, अर्थव्यवस्था, अनुसंधान, व्यापार, प्रौद्योगिकी और संस्कृति के साथ-साथ शिक्षा, ऊर्जा, पर्यटन, परिवहन, पर्यावरण संरक्षण और अन्य क्षेत्रों में आपसी प्रभावी सहयोग करने को लेकर बढ़ावा दिया जा सके। शुरुआत में इस संघ की स्थापना पांच देशों ने की थी लेकिन अब इस संघ में कई देश शामिल हो चुके है। इस संघ में चीन, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, रूस, तजाकिस्तान, उज्‍बेकिस्तान, भारत और पाकिस्तान शामिल है , इसके अलावा चार ऑब्जर्वर देश है जो कि अफगानिस्तान, बेलारूस, ईरान और मंगोलिया हैं। छह डायलॉग सहयोगी अर्मेनिया, अजरबैजान, कंबोडिया, नेपाल, श्रीलंका और तुर्की हैं।

 

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