दुनिया भर में एक ओर जहां रूस-यूक्रेन युद्ध करीब दो महीनों से सुर्खियों में है वहीं दूसरी तरफ पाकिस्तान की सियासत में मचे बवाल के बाद देश को शहबाज शरीफ नाम का नया सरताज मिल गया है। उन्होंने देश के 23वें प्रधानमंत्री के तौर पर शपथ ली है। शहबाज शरीफ को नेशनल असेंबली में निर्विरोध देश का नया प्रधानमंत्री चुना गया। नेशनल असेंबली में शहबाज के पक्ष में 174 वोट पड़े, जबकि उन्हें प्रधानमंत्री बनने के लिए 172 वोटों की जरूरत थी। इससे पहले इमरान की पार्टी के सभी सदस्यों ने नेशनल असेंबली से वॉकआउट कर दिया था। शहबाज शरीफ तीन बार पंजाब प्रांत के मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं।
पीएम चुने जाने के बाद शहबाज शरीफ ने पाकिस्तान की आवाम को शुक्रिया कर कहा कि आज पाकिस्तान के लिए बड़ा दिन है। अविश्वास प्रस्ताव कामयाब रहा। हम पाकिस्तान को आगे तक ले जाएंगे। मैं सुप्रीम कोर्ट को धन्यवाद देता हूं कि उसने संविधान की रक्षा की और देश में कानून का राज स्थापित करने में मदद की। वहीं नए प्रधानमंत्री के चुनाव से पहले इमरान खान ने नेशनल असेंबली के सदस्य के रूप में यह कहते हुए इस्तीफा दे दिया कि वह ‘चोरों’ के साथ नहीं बैठेंगे। इमरान खान ने कहा, ‘जिस व्यक्ति के खिलाफ अरबों रुपये का भ्रष्टाचार का मामला है उसको प्रधानमंत्री के रूप में चुने जाने के लिए देश का इससे बड़ा अपमान नहीं हो सकता है।’
कौन हैं शहबाज शरीफ
शहबाज शरीफ पाकिस्तान मुस्लिम लीग नवाज के सांसद हैं और पाकिस्तान के पूर्व पीएम नवाज शरीफ के छोटे भाई हैं। वह 2018 से नेशनल असेंबली के सदस्य हैं और विपक्ष के नेता भी थे। शाहबाज 2018 के चुनावों में पीएम पद के उम्मीदवार भी थे। वह पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के सबसे लंबे कार्यकाल तक मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं। भारत-पाकिस्तान के बंटवारे के पहले शरीफ परिवार जम्मू के अनंतनाग जिले में रहा करता था। बंटवारे के बाद शाहबाज ने लाहौर से ग्रेजुएशन किया। 80 के दशक में राजनीति में कदम रखने वाले शाहबाज शरीफ ने 1988 में पहला चुनाव जीता। वर्ष 1997 में वह पहली बार मुख्यमंत्री बने। इसके बाद 2008 और 2013 में भी वह पंजाब के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। लेकिन अब पीएम बनते ही शाहबाज शरीफ ने कश्मीर राग अलापना शुरू कर दिया है। दरअसल, अभी तक हर किसी की नजर इस बात पर थी कि शाहबाज के पीएम बनते ही कश्मीर को लेकर उनका क्या स्टैंड रहेगा और भारत के साथ आने वाले समय में पाकिस्तान के संबंध कैसे रहेंगे? इन सवालों के बीच शाहबाज शरीफ ने कश्मीर को लेकर एक बड़ा बयान दिया है।
शाहबाज ने कहा है कि ‘मैं भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आह्नान करता हूं कि वो मिलकर कश्मीर के मुद्दे का हल निकालें। भारत और पाकिस्तान दोनों मुल्कों में गरीबी बड़ी समस्या है, इसलिए मैं नरेंद्र मोदी को यह सलाह देता हूं कि एक साथ मिलकर गरीबी से लड़ें और कश्मीर के मुद्दे का हल करें।’ उनका यह बयान यह दिखाता है कि आखिर वो नवाज के ही भाई हैं और भारत के साथ उनका रवैया अपने भाई की तरह ही रहेगा। लेकिन पीएम की कुर्सी शाहबाज के लिए कांटों से भरी होगी। उनके लिए यह राह इतनी भी आसान नहीं है। जिस बढ़ती महंगाई और डूबती अर्थव्यवस्था को लेकर विपक्ष ने इमरान खान के खिलाफ मोर्चा खोला था, उससे निपटना शाहबाज के लिए भी सबसे बड़ी चुनौती होगी। इन चुनौतियों में सबसे बड़ी चुनौती है देश में लगातार बढ़ती महंगाई।
महंगाई
पाकिस्तान में यह समस्या काफी बड़ी हो चुकी है और इसका असर अधिकतर लोगों पर पड़ रहा है। यहां खाने-पीने की चीजें लगातार महंगी होती जा रही हैं। कुछ सामान तो आम लोगों की पहुंच से दूर हो चुके हैं। ऐसे में बढ़ती महंगाई को कंट्रोल करना शाहबाज के लिए सबसे बड़ी चुनौती होगी।
अर्थव्यवस्था
देश की अर्थव्यवस्था काफी समय से पटरी से उतरी हुई है। दिनों दिन कर्ज बढ़ता जा रहा है। स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान द्वारा हाल ही में जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक, उसके विदेशी मुद्रा भंडार में साप्ताहिक आधार पर 6.04 पर्सेंट की कमी आ रही है। बीते एक अप्रैल, 2022 तक स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान के पास 1 लाख 13 हजार 1 .92 करोड़ डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार था। यह रिजर्व 26 जून, 2020 के बाद सबसे निचले स्तर पर आ गया है। यही नहीं पाकिस्तान में जुलाई-मार्च के बीच व्यापार घाटा 70 .14 फीसदी बढ़कर 35 .393 बिलियन डॉलर पर पहुंच गया। शाहबाज को डॉलर के मुकाबले गिरते पाकिस्तानी रुपये को भी मजबूत करना होगा। मौजूदा समय में पाकिस्तानी रुपये की कीमत 1 डॉलर के मुकाबले 191 रुपये है। पाकिस्तान का बढ़ता कर्ज भी बड़ी समस्या है। आंकड़ों के मुताबिक, साल 2022 की दूसरी तिमाही के दौरान पाकिस्तान का कुल कर्ज 5 हजार 272 करोड़ पाकिस्तानी रुपये से ज्यादा है। सरकार का घरेलू कर्ज 2 हजार 674 करोड़ पाकिस्तानी रुपये से अधिक है। आईएमएफ ने पाकिस्तान को 1188 करोड़ पाकिस्तानी रुपये से ज्यादा का कर्ज दे रखा है। ऐसी स्थिति में इन सब समस्याओं को दूर करना शाहबाज के लिए आसान नहीं होगा।
भारत के साथ रिश्तों पर रहेगी नजर
इमरान खान के कार्यकाल में भारत और पाकिस्तान के संबंध अब तक के सबसे बुरे दौर में रहे। इमरान के कार्यकाल में उनकी बयानबाजी की वजह से संबंध लगातार बिगड़ते गए। ऐसे में शाहबाज के सामने चुनौती होगी कि कैसे भारत से पहले की तरह संबंध बेहतर किए जाएं और संबंध बेहतर करके पहले की तरह ही व्यापारिक संबंध फिर से मजबूत किए जाएं। क्योंकि नवाज शरीफ हमेशा भारत से संबंध बेहतर बनाने के हिमायती रहे हैं। ऐसे में माना जा राह है कि शरबाज शरीफ के सामने अब पुराने रिश्तों को फिर मजबूती देने की चुनौती होगी।
अमेरिका को मनाना नहीं होगा आसान
अमेरिका एक समय पाकिस्तान के सबसे अच्छे दोस्तों में शामिल था। पाकिस्तान को जब भी मदद की जरूरत पड़ी, अमेरिका हमेशा उसके साथ खड़ा रहा। अमेरिका अब पाकिस्तान की किसी भी तरह आर्थिक मदद नहीं करता। रही सही कसर इमरान खान ने अपनी कुर्सी बचाने के चक्कर में निकाल दी। उन्होंने अमेरिका पर उनके खिलाफ षड्यंत्र रचने का आरोप लगाते हुए सनसनी फैला दी थी। दोनों देशों के बीच संबंध अब तक के सबसे बुरे दौर से गुजर रहे हैं। रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद तो अमेरिका और पाकिस्तान एक दूसरे के खिलाफ खड़े हो गए हैं। यूक्रेन के साथ जंग के बीच इमरान खान की रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ मुलाकात के बाद इमरान खान अमेरिकी की नजर में आ गए। ऐसी स्थिति में शरबाज शरीफ के सामने इन रिश्तों को दोबारा बनाना बड़ी चुनौती होगी।
सेना से खराब संबंध की धारणा को तोड़ने की कोशिश
शाहबाज शरीफ के सामने यह मसला भी बड़ा है। दरअसल शाहबाज जिस पार्टी से संबंध रखते हैं उसके संबंध सेना से कभी अच्छे नर्ही रहे हैं। इसी पार्टी से जब-जब उनके भाई नवाज शरीफ पीएम रहे, तब-तब सेना के साथ कुछ न कुछ गलत हुआ। सेना और सरकार के बीच हमेशा टकराहट दिखा है। ऐसे में शाहबाज के सामने सेना से संबंध बेहतर करने की चुनौती भी होगी।
शहबाज ने अलापा कश्मीर राग
शहबाज शरीफ ने प्रधानमंत्री का पद संभालने के साथ ही कश्मीर का राग अलापा है। उन्होंने पद संभालने के बाद भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को संदेश देते हुए कहा है कि कश्मीर मुद्दे का समाधान कश्मीरी लोगों की इच्छा के मुताबिक किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि हम भारत के साथ बेहतर रिश्ते चाहते हैं, लेकिन जब तक कश्मीर मुद्दे पर शांतिपूर्ण तीरीके से समाधान नहीं निकल जाता, यह संभव नहीं है। यही नहीं उन्होंने कहा कि हम कश्मीरी लोगों को उनके हाल पर नहीं छोड़ सकते। कूटनीतिक तौर पर हम कश्मीरी लोगों को अपना समर्थन देना जारी रखेंगे। कश्मीर में गरीबी को खत्म करना चाहिए। अनुच्छेद 370 को लेकर भी उन्होंने बयान दिया है। हालांकि उन्होंने भारत को लेकर कोई टिप्पणी नहीं की, लेकिन पाकिस्तान की पूर्व की सरकार पर निशाना साधा। शहबाज ने कहा कि पूर्व की सरकार उस समय कोई एक्शन नहीं ले पाई जब अनुच्छेद 370 हटाया गया। उनके इस बयान के बाद भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पाकिस्तान के नए प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ को बधाई संदेश के साथ एक सलाह भी दी है। उन्होंने कहा कि अपने पड़ोसी देश पाकिस्तान के नए प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ को यही संदेश देना चाहूंगा कि वे अपने यहां आतंकवाद पर लगाम लगाने में कामयाबी हासिल करें। हमारी उनको शुभकामनाएं है।
इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी शहबाज शरीफ को बधाई दी। उन्होंने ट्वीट किया कि मियां मुहम्मद शहबाज शरीफ को पाकिस्तान का प्रधानमंत्री चुने जाने पर बधाई। भारत क्षेत्र में शांति और स्थिरता चाहता है जो आतंकवाद से मुक्त हो, ताकि हम अपनी विकास चुनौतियों पर ध्यान केंद्रित कर सकें और अपने लोगों की भलाई एवं समृद्धि सुनिश्चित कर सकें।
शहबाज की भारत को गीदड़ भभकी
शहबाज शरीफ ने कहा कि हम कश्मीर समस्या को सऊदी अरब के बगैर हल नहीं कर सकते हैं। सऊदी अरब ने हमेशा पाकिस्तान का साथ दिया था। शहबाज ने कहा कि पाकिस्तान ने हिंदुस्तान के पांच धमाकों के जबाव में छह एटमी धमाके कर दांट खट्टे कर दिए थे। उस समय मैं नवाज शरीफ के साथ सऊदी अरब में था। तब सऊदी अरब ने कहा था कि आप चिंता न करें, आपने अपनी सुरक्षा के लिए यह धमाका किया है। हम आपको तेल देते रहेंगे। उन्होंने कहा कि हम सऊदी अरब से मोहब्बत और दोस्ती को जिंदगी भर नहीं भूलेंगे। हम सलबान बिन अब्दुल अजीज और मोहम्मद बिन सलमान का शुक्रिया अदा करते हैं।
तुर्की, यूएई, कतर का किया शुक्रिया
शहबाज शरीफ ने कहा कि तुर्की के पाकिस्तान संग अटूट रिश्ते हैं। तुर्की वो मुल्क हैं जिसने कश्मीर की आजादी में पाक का साथ दिया। हमें अपने ताल्लुकातों को हमेशा आगे बढ़ाना है। यूएई हमारा हमदर्द है। उन्होंने हमेशा हमारा साथ दिया है। साथ ही उन्होंने कहा कि कतर, कुवैत, ओमान के साथ हम संपर्क बढ़ाएंगे। ईरान हमारा दोस्त है, हम उसके साथ भी दोस्ती बढ़ाएंगे। यूरोपीय यूनियन के साथ बिजनेस को बढ़ाएंगे। हम यूरोपीय यूनियन को 50 फीसदी टेक्सटाइल का निर्यात करते हैं।