अफगानिस्तान में इन दिनों लगातार हो रही हत्याएं दुनियाभर में सुर्खियों का विषय बना हुआ है। लगातार हो रही लोगों की हत्या अब अफगानिस्तान के लिए भी चुनौती बनता जा रहा है। हाल ही में तीन मीडिया कर्मियों की हत्या के बाद अब अफगानिस्तान के पूर्वी क्षेत्र में बन्दूक धारियों के एक समूह ने सात मजदूरों पर गोलियां बरसा दी और मौत की नींद सुला दिया है। इसके अलावा एक डॉक्टर की बम धमाके में मौत हो गई। बताया जा रहा है कि डॉक्टर के वाहन में बम रखा गया था।
इस्लामिक स्टेट ने ली जिम्मेदारी
एक बयान जारी कर इस्लामिक स्टेट समूह ने बम विस्फोट की जिम्मेदारी ली है। आतंकवादी संगठन ने कहा कि एक महिला के वाहन में बम विस्फोट किया गया। बयान में दावा किया गया कि महिला द्वारा पूर्वी नंगरहार प्रांत की राजधानी जलालाबाद में अफगान खुफिया सेवा के लिए किया जा रहा था।
नंगरहार के प्रांतीय पुलिस प्रमुख जनरल जुमा गुल हेमट ने कहा कि इस गोलीबारी में मरने वाले सात मजदूर सोर्ख रॉड जिले के प्लास्टर कारखाने में काम करते थे। प्रांतीय पुलिस प्रमुख के प्रवक्ता फरीद खान के अनुसार, सभी मजदूर अफगानिस्तान के अल्पसंख्यक शिया हजारा समुदाय से थे। कुछ लोग काबुल की राजधानी, साथ ही मध्य बामियान और उत्तरी बल्ख प्रांतों में कारखाने में काम करने के लिए आए थे।
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पत्रकारों, धार्मिक विद्वानों, ऐक्टिविस्टों और जजों की अफगानिस्तान में लगातार हत्याएं हो रही है। जो एक चिंतनीय विषय बनता जा रहा है। मंजर ये हैं कि अब इनमें से कई तो अंडर ग्राउंड होने को विवश हैं। इतना ही नहीं अपनी जान बचाने के लिए अधिकतर तो देश ही छोड़ चुके हैं। अफगान सरकार और तालिबान के बीच शांति वार्ता शुरू होने ने एक आशा की किरण दिखाई थी कि शायद अब हिंसा थम जाएगी लेकिन इस वार्ता से हिंसा कमी होने के बजाए लोग अपने पेशे को लेकर भी स्वतंत्र नहीं है।