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चेक में 2014 में हुए हमलों के पीछे रुस का हाथ: आंद्रेज बाबिस

पिछले शुक्रवार 16 अप्रैल को मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने चेक की राजधानी प्राग में रूस के विशाल दूतावास के बाहर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का पुतला फूंका। पोस्टर में व्लादिमीर पुतिन को हाथ में सोने का ब्रश लिए और सोने की टॉयलेट सीट पर नग्न अवस्था में बैठे दिखाया गया। उनके साथ नोविचोक नामक जहर की बोलत रखी हुई थी। इसी बीच एक दूसरे विरोध पोस्टर में पुतिन पर “मर्डरर, चोर, तानाशाह होने का आरोप लगाया। यह सभी प्रदर्शनकारी रुस की जेल में बंद विपक्षी नेता एलेक्स नवालनी के समर्थन में एकजुट हुए थे। इसके साथ ही पुतिन के काला सागर लक्जरी विला का विरोध कर रहे थे।

अगले दिन 17 अप्रैल को चेक प्रधानमंत्री आंद्रेज बाबिस ने घोषणा की कि 2014 के देश के दक्षिण-पूर्व में स्थित एक डिपो में दो प्रमुख विस्फोट हुए थे, जिनमें दो लोगों की जान चली गई थी। इन हमलों के पीछे बेबिस ने रुस की खुफिया एजेंसी का हाथ बताया है। उन्होंने कहा कि विस्फोट रूस की जीआरयू सैन्य खुफियाद्वारा किए गए थे। इसके बाद चेक अधिकारियों ने 18 रूसी राजनयिकों को निष्कासित कर दिया। अधिकारियों ने 2014 के विस्फोटों में शामिल होने के संदेह में दो जीआरयू एजेंटों की गिरफ्तारी के बारे में भी बताया। वे वही दो पुरुष हैं जो 2018 में पूर्व रूसी जासूस सर्गेई स्क्रीपाल और उनकी बेटी को लंदन में जहर देने में शामिल थे।

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वहीं दूसरी तरफ रुसी सरकार ने इन सभी आरोपों को खारिज कर दिया, और कहा कि यह बेतुका इल्जाम है। तुर्की द्दारा रुस के अधिकारियों को निष्कासित किए जाने के बाद रुस ने भी जैसे को तैसे वाली नीति अपनाते हुए रुस में तुर्की की एम्बेसी के 20 अधिकारियों को निष्कासित कर दिया। 2014 के धमाकों के बारे में खुलासे से चेक गणराज्य में आक्रोश और एक सियासी भूचाल आ गया। गृह मंत्री जान हमसेक, जो देश के कार्यवाहक विदेश मंत्री भी हैं, ने मास्को की एक निर्धारित यात्रा का आह्वान किया, जहाँ उन्होंने रूसी स्पूतनिक वैक्सीन खरीदने के लिए एक समझौते पर चर्चा करने की योजना बनाई थी।

तुर्की के उच्च रैंकिंग वाले विपक्षी सांसदों ने में एक सिविक डेमोक्रेटिक पार्टी ओडीएस के नेता पेट्र फियाला ने पुतिन के कार्यों को “रूसी राज्य आतंकवाद” कहा। प्रधानमंत्री मंत्री बबिस ने घोषणा की कि वह रूस के खिलाफ यूरोपीय संघ और नाटो अधिकारियों के साथ आगे बढ़ने के लिए चर्चा करेंगे। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना ​​है कि यह एक गंभीर मामला है। यूरोपियन वैल्यूज सेंटर फॉर सिक्योरिटी पॉलिसी के जैकब जांडा ने डीडब्ल्यू को बताया कि 1968 के सोवियत आक्रमण के बाद से चेक क्षेत्र पर सबसे शत्रुतापूर्ण हमला बताया।

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