किसी भी युद्ध में महिलाएं और लड़कियां सबसे ज़्यादा असुरक्षित होती हैं। इतिहास गवाह है कि संघर्ष और हिंसा के दौर में जनता को अपमानित करने, उसे ग़ुलाम बनाने और आतंकित करने के लिए यौन हिंसा को एक हथियार के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है। उदाहरण के लिए बांग्लादेश मुक्ति आंदोलन देख सकते है। इस दौरान कई महिलाओं यौन हिंसा शिकार होना पड़ा था। अब उसी तरह के मामला रूस यूक्रेन युद्ध में देखने को मिल रहा है।
दरअसल, संयुक्त राष्ट्र के एक वरिष्ठ अधिकारी ने सुरक्षा परिषद को बताया है कि संस्था को यूक्रेन में बालात्कार और यौन हिंसा के कई मामलों की खबरें लगातार सामने आ रही है। यूक्रेन के एक मानवाधिकार संगठन ला स्ट्राडा-यूक्रेन की अध्यक्ष कैटरीना चेरेपाखा ने भी यही बताया कि उनके संगठन की आपात हॉटलाइनों पर कई फोन आएं जिनमें रूसी सैनिकों पर बलात्कार के कम से कम नौ मामलों का आरोप लगाया गया। इनमें 12 महिलाओं और लड़कियों को शिकार बनाया गया है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक,चेरेपाखा ने वीडियो के जरिए सुरक्षा परिषद् को बताया है कि यह आइसबर्ग की सिर्फ नोक भर है। हमें मालूम है और हम देख रहे हैं कि यूक्रेन में रूसी सैनिक हिंसा और बलात्कार को युद्ध के हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं।
वही रूस ने यूक्रेन नागरिकों पर हमला करने के आरोपों से बार बार इनकार किया है। संयुक्त राष्ट्र ने कुछ दिन पहले ही कहा था कि उसके मानवाधिकार मॉनिटर रूसी सैनिकों पर लगाए गए यौन हिंसा के आरोपों की जांच करने की कोशिश कर रहे हैं। रुसी सैनिक पर लगे इन आरोपों में सामूहिक बलात्कार और बच्चों के सामने बलात्कार शामिल हैं। रुसी सैनिको के साथ यूक्रेन के सैनिकों और सिविल डिफेंस सैनिकों के खिलाफ भी यौन हिंसा के आरोपों की जांच की जाएँगी।
इसी मामले पर संयुक्त राष्ट्र में रूस के डिप्टी राजदूत दमित्री पोलिआंस्की ने सुरक्षा परिषद को 11 अप्रैल को बताया है कि जैसा कि हम कई बार बता चुके हैं। रूस किसी भी नागरिक के खिलाफ युद्ध नहीं करता है। इसके साथ उन्होंने यूक्रेन और उसके सहयोगी देशों पर रूसी सैनिकों को सेडिस्ट और बालात्कारी दर्शाने के स्पष्ट इरादे रखने का आरोप लगाया है। यूक्रेन जान बूझ कर रूस पर इस तरह का आरोप लगा रहा है। आरोप पर यूएन वीमेन की कार्यपालक निदेशक सिमा बहाउस का कहना है कि युद्ध के दौरान हुए सभी आरोपों की निर्पेक्ष रूप से जांच की जानी चाहिए ताकि न्याय और जवाबदेही को सुनिश्चित किया जा सके। इसके साथ हीउन्होंने परिषद को बताया है कि यूक्रेन और रूस युद्ध के दौरान लगातार ,बलात्कार और यौन हिंसा की खबरें सामने आ रही हैं। युद्ध बड़े स्तर पर विस्थापन, रंगरूटों और किराए के सैनिकों के दबाव और यूक्रेनी नागरिकों के खिलाफ दिखाई गई बर्बरता के मिले जुले असर की वजह से खतरे के सभी झंडे खड़े हो गए हैं।
यूक्रेन युद्ध में शामिल सभी देशों में रंगरूटों का सिस्टम है, जिसके तहत नौजवनों के लिए सैन्य सेवाएं देना कानूनी रूप से अनिवार्य है। तो वही यूक्रेन और रूस दोनों ने एक दूसरे पर किराए के लड़ाकों के इस्तेमाल का आरोप भी लगाया है। संयुक्त राष्ट्र में यूक्रेन के राजदूत सर्गेई किस्लितस्या ने परिषद को बताया कि यूक्रेन के प्रॉसीक्यूटर जनरल यूक्रेनी महिलाओं के खिलाफ रूसी सैनिकों द्वारा की गई यौन हिंसा के मामलों को दर्ज करने की एक विशेष प्रक्रिया की शुरुआत कर रहे हैं।