अमेरिकी इतिहास में हुई सबसे बड़ी हैकिंग की घटना के आरोप रूस पर लग रहे हैं। इसी बीच अब दावा किया जा रहा है कि इस हैकिंग में रूस की ख़ुफ़िया एजेंसी से जुड़े हैकर्स का हाथ है। अमेरिकी ख़ुफ़िया एजेंसियों के संवेदनशील डेटा की चोरी कई महीनों से जारी थी। लेकिन ट्रंप प्रशासन को कानों -कान खबर नहीं हुई।
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने रविवार, 20 दिसंबर को इसी रूसी ख़ुफ़िया एजेंसी की जमकर तारीफ की। इन्हें देश का भविष्य बताया। 20 दिसंबर को पुतिन द्वारा रूसी फॉरेन इंटेलिजेंस सर्विस SVR की तारीफ करते हुए कहा गया कि देश की रक्षा और दुश्मनों को सबक सिखाने के लिए इस एजेंसी ने हमेशा नए कीर्तिमान स्थापित किये हैं।
साइबर हमले में रूस का नहीं चीन का हाथ!
पुतिन ने ख़ुफ़िया एजेंसी की 100वीं सालगिरह के अवसर पर कहा कि जो भी रूस की सुरक्षा के लिए अपना योगदान दे रहा है मैं उसे बधाई देता हूं, मैं उनके साथ हूं। ये देश को अंदरूनी और बाहरी खतरों से बचा रहे हैं और सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। हमारी प्रमुख जिम्मेदारी इस देश को सुरक्षित रखना ही है।
इसमें इन्फोर्मेशन सोसायटी सबसे अहम भूमिका निभा रही है।
जिस एजेंसी ने US की सुरक्षा में सेंध मारी उसी एजेंसी की पुतिन ने खूब तारीफ की। तारीफ में उन्होंने कहा कि एजेंसी ने अपनी काबिलियत सिद्ध की है और इससे रूसी फॉरेन इंटेलिजेंस सर्विस को काफी फायदा पहुंच रहा है।
पुतिन ने कहा कि देश की सुरक्षा के लिए कुछ नियम-कानून तोड़ने पड़ते हैं और कुछ नए तरीके ढूंढ़ने होते हैं। ये सब सही है और ऐसे कदम सुरक्षा एजेंसियों को उठाने ही चाहिए।
अमेरिका में हुए सबसे बड़े साइबर हमले के आरोप निवर्तमान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूस पर नहीं बल्कि चीन पर लगाया है। इसके विपरीत अमेरिका के विदेश मंत्री एवं अन्य शीर्ष अधिकारियों द्वारा इस हमले के लिए रूस को जिम्मेदार बताया गया है। देश की साइबर सुरक्षा एजेंसी ने सचेत भी किया है कि इससे सरकारी और निजी नेटवर्कों को ‘गंभीर’ खतरा हो सकता है।