यूक्रेन पर रूसी हमले को एक महीने से भी ज्यादा समय हो गया है। विश्व की सबसे ताकतवर सेना होने का दावा करने वाले रूस के हाथ इन दिनों में हजारों सैनिकों, नागरिकों की मौत और खण्डहर में तब्दील होते यूक्रेनी शहरों से तो भरे हैं, जीत को लेकर उसका गणित लेकिन फेल हो चुका है। यूक्रेन पूरी ताकत से रूसी सेना संग लोहा तो ले ही रहा है, विश्व स्तर पर उसने रूस की छवि को भी धूमिल कर डाला है
रूस-यूक्रेन के बीच युद्ध अब अपने चरम पर पहुंचता नजर आने लगा है। रूस ने 24 फरवरी को सबको हैरान करते हुए यूक्रेन पर हमला कर दिया था। तब से दुनिया भर के लोग इस युद्ध को खत्म करके और शांति बनाने का अपील कर रहे हैं। इस युद्ध को खत्म करने के लिए पश्चिमि देशों ने रूस पर कई तरह के आर्थिक प्रतिबंध लगाए। इसके बावजूद युद्ध खत्म होने के बजाए बढ़ता ही जा रहा है।
रूस के द्वारा लगातार हो रहे हमले और यूक्रेन के शहरों पर कब्जे के बीच यूक्रेन ने दावा किया है कि कीव के पास एक अहम उपनगर को रुसी कब्जे से वापस ले लिया है। वहीं रूस की सेना यूक्रेन की राजधानी कीव के आस-पास के अन्य इलाकों में दाखिल होने में कामयाब हो गई है। 22 मार्च को यूक्रेन के रक्षामंत्री ने कहा कि ‘कीव के उपनगर माकारीव में यूक्रेन और रूसी सैनिकों के बीच जोरदार संघर्ष हुआ। इस दौरान यूक्रेन सैनिकों ने रुसी सैनिकों को शहर से खदेड़ कर बाहर कर दिया है। अब यूक्रेनी सैनिकों ने अहम हाइवे अपने नियंत्रण में ले लिया है और रूसी सैनिकों को उत्तर-पश्चिम से कीव को घेरने से रोक दिया है।’
संयुक्त राष्ट्र का बयान
रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध के दौरान संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि ‘रूसी हमले की वजह से यूक्रेन के एक करोड़ लोगों को अपना घर छोड़कर जाना पड़ा है। संयुक्त राष्ट्र ने यह भी कहा है कि अब तक इस युद्ध में 953 आम नागरिक मारे जा चुके हैं। संख्या इससे ज्यादा भी हो सकती है। वहीं संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेश ने कहा है कि अब इस बेहूदी जंग को खत्म करने और शांति वार्ता शुरू करने का वक्त आ गया है। रूस और यूक्रेन युद्ध की वजह से दुनियाभर में खाद्यान्न संकट पैदा होने जैसे हालात बन गए हैं। यूक्रेन के साथ लड़ना नैतिक रूप से बिल्कुल अस्वीकार्य है, राजनीतिक रूप से अक्षम्य है और सैन्य रूप से निरर्थक है। इस जंग को जीता नहीं जा सकता है।’
इटली की संसद में बोले जेलेन्स्की
यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेन्स्की ने 22 मार्च को इटली की संसद को संबोधित किया। अपने संबोधन के दौरान उन्होंने कहा कि इटली के नीति-निर्माताओं को अपने देश को रूस के खेलने का अखाड़ा नहीं बनने देना चाहिए। इसके साथ जेलेन्स्की ने चेतावनी दी कि इस युद्ध की वजह से खाद्यान्न का जो संकट पैदा होगा, उससे शरणार्थियों का एक नया संकट पैदा हो सकता है। जेलेन्स्की इन दिनों रूस के खिलाफ समर्थन जुटाने के लिए पश्चिमी देशों की संसदों को संबोधित कर रहे हैं। इस क्रम में इटली की संसद उनके भाषण के बाद सांसदों ने खड़े होकर उनका अभिवादन किया। गौरतलब है कि इटली टस्कनी से लेकर सार्डीनिया के आइलैंड के लिए जाना जाता है, जहां के महंगे-महंगे विला में रूस के अमीर लोग छुट्टियां बिताने आते हैं। जेलेन्स्की ने कहा है कि ‘इनका स्वागत मत कीजिए। हमें इनकी संपत्तियां, इनके खाते और इनकी याट जब्त कर लेनी चाहिए। हमें उन सभी रूसी लोगों की संपत्तियां जब्त कर लेनी चाहिए, जिनके हाथों में फैसले लेने की ताकत है।’ जेलेन्स्की के बाद इटली के प्रधानमंत्री मारियो द्रागी ने अपने संबोधन में कहा कि इटली ने अब तक रूसी ओलिगार्कों की 80 करोड़ यूरो की संपत्ति जब्त की हैं।
इटली ने यूक्रेन से जान बचाकर भागने वाले करीब 60 हजार यूक्रेनवासियों को अपने यहां शरण दी है, जिनमें से ज्यादातर महिलाएं और बच्चे हैं। इटली की संसद में जेलेन्स्की का भाषण स्थानीय लोगों को ध्यान में रखते हुए दिया गया था। यूक्रेन को यूरोप का अन्न का कटोरा भी कहा जाता है। अब जेलेन्स्की जापान की संसद में बोलेंगे।
मानवीय मदद के लिए यूक्रेन जाएंगे ग्रीस के विदेश मंत्री
ग्रीस के विदेश मंत्री निकोस डेंडियास ने कहा है कि वह रेड क्रॉस की अंतरराष्ट्रीय समिति के साथ यूक्रेन के मारियुपोल में मानवीय सहायता पहुंचाने के लिए निजी तौर पर जाना चाहते हैं। उन्होंने यूक्रेनी पक्ष से शहर में मानवीय सहायता भेजने के लिए औपचारिक तौर पर आग्रह किया
है। उन्होंने रूसी पक्ष से भी इस सहायता को पहुंचाएं जाने में मदद करने का अनुरोध किया है। दरअसल, मारियुपोल में काफी संख्या में ग्रीस के लोग रहते हैं। हालांकि डेंडियास ने इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी कि यह मदद कब तक पहुंचाई जाएगी। पोलैंड ने किया हिटलर का जिक्र पोलैंड के राष्ट्रपति ने यूक्रेन में मौजूद रूसी सैनिकों की तुलना दूसरे विश्व युद्ध के दौरान एडोल्फ हिटलर की कुख्यात ट्रूप्स से की है। 22 मार्च को बुल्गारिया के दौरे पर गए राष्ट्रपति आंद्रेज डूडा ने कहा, ‘आज रूसी सेना वैसा ही बर्ताव कर कर रही है, जैसा दूसरे विश्व युद्ध के दौरान जर्मनी की सेना ने किया था।’
यूक्रेन से 30 लाख लोगों ने किया पलायन
शरणार्थियों के लिए काम करने वाले अंतरराष्ट्रीय शरणार्थी संगठन आईओएम का कहना है कि ‘रूसी हमले के बाद अब तक 30 लाख से ज्यादा लोग यूक्रेन से बाहर जा चुके हैं।’ जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र की प्रेस ब्रीफिंग के दौरान संगठन के प्रवक्ता पाल डिलन ने बताया कि ‘दुनिया भर के देशों के अधिकारियों से मिली जानकारी के आधार पर यह संख्या बनी है।’ संयुक्त राष्ट्र की शरणार्थी एजेंसी यूएनएचसीआर भी इन्हीं आंकड़ों का इस्तेमाल करती है। यूएनएचसीआर का कहना है कि ‘केवल पोलैंड में ही 18 लाख लोग गए हैं। वहीं तुर्की के विदेश मंत्री मेवलुत कावुसोग्लू का कहना है कि, ‘तुर्की रूस और कीव के अधिकारियों से मारियोपोल में फंसे 100 तुर्क नागरिकों को सुरक्षित निकालने पर बातचीत कर रहा है।’ कई तुर्क नागरिक और दूसरे लोगों ने मारियोपोल की एक मस्जिद में शरण ले रखी है हालांकि यह मस्जिद भी रूसी हमले की चपेट में आई है। तुर्की का कहना है कि ‘अब तक यूक्रेन से 14 हजार 800 तुर्क नागरिकों को सुरक्षित निकाला गया है।’ गौरतलब है कि रूस-यूक्रेन युद्ध में सबसे बड़ी समस्या शरणार्थी का हैं। संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी के मुताबिक रूस के द्वारा यूक्रेन पर हमला करने के बाद से लगभग 30 लाख लोग यूक्रेन छोड़कर चले गए हैं। इस सदी में इससे पहले कभी इतनी तेज गति से पलायन नहीं हुआ है। यूक्रेन से पलायन करने वाले लोगों की संख्या आबादी के दो प्रतिशत से अधिक है। यूक्रेन से आधे से अधिक शरणार्थी पोलैंड गए हैं। जिनकी संख्या लगभग 5 लाख 5 हजार है। 1 लाख 16 हजार 3 सौ से अधिक लोगों ने हंगरी में प्रवेश किया है और 79 हजार 3 सौ से अधिक लोगों ने मोल्दोवा में प्रवेश किया है। इनके अलावा 71 हजार लोग स्लोवाकिया गए हैं और करीब 69 हजार 6 सौ लोग अन्य यूरोपीय देशों में चले गए हैं।
युद्ध अपराध का आरोप
युद्ध के दौरान रुसी सैना ने यूक्रेन के मारियुपोल शहर के एक मैटरनिटी अस्पताल पर हवाई हमला किया। जिससे नाराज होकर यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने इसे ‘युद्ध अपराध’ बताया है। राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने एक वीडियो संदेश में रूस के हमले को लेकर कहा है, ‘रूस कैसा देश है, जो अस्पतालों और मैटरनिटी अस्पतालों से डरता है और उन्हें बर्बाद कर रहा है?’ क्या यूक्रेन के अस्पताल में किसी ने रूसी सैनिकों से दुर्व्यवहार किया था? रूसी घुसपैठिए जो कुछ भी मारियुपोल में कर रहे हैं, वो अत्याचार की भी हदें पार कर चुका है। यूक्रेनियों पर नरसंहार किया जा रहा है।
युद्ध अपराध के तहत आम नागरिकों और उनके लिए जरूरी बुनियादी ढांचे को जान बूझकर निशाना नहीं बनाया जा सकता है। युद्ध के दौरान कई तबाही मचने वाले हथियारों पर प्रतिबंध लगया जाता है। जैसे रूस और यूक्रेन युद्ध के दौरान एंटी-पर्सनल लैंडमाइन्स और केमिकल या जैविक हथियार पर प्रतिबंध लगाया गया है। युद्ध अपराध कानून युद्ध में प्रताड़ना और नरसंहार से रोकते हैं। युद्ध के दौरान हत्या, रेप या नरसंहार को मानवता के विरुद्ध अपराध कहा जाता है।
रूस में एफबी, इंस्टा बैन
युद्ध की जानकारी को रोकने के इरादे से रूस आए दिन नए कदम भी उठा रहा है। डीडब्ल्यू, एआरडी और बीबीसी जैसे विदेशी समाचार प्रसारकों पर बैन लगाने के बाद अब फेसबुक और इंस्टाग्राम को भी बैन कर दिया गया है। 21 मार्च को मास्को की एक अदालत ने फेसबुक और इंस्टाग्राम को ‘अतिवादी’ संगठन करार देते हुए इन पर बैन लगा दिया। जिस पर रूसी प्रशासन का कहना है कि अमेरिकी टेक कंपनी मेटा, ‘रूस को डरावना बताने’ वाले अभियान को रोकने के लिए कोई कदम नहीं उठा रहा था। वहीं रूसी अधिकारियों ने वाट्सऐप पर भी प्रतिबंध लगाने की मांग भी की थी। लेकिन तवेर्स्कोई की अदालत ने मैसेंजर सर्विस को पब्लिक प्लेटफार्म नहीं माना और उस पर बैन लगाने की अपील ठुकरा दी है।