दुनिया के ताकतवर देश अमेरिका के परमाणु और विदेश सहित कई अहम विभागों पर बड़ा साइबर हमला हुआ है। अब अमेरिकी सरकार के अधिकारी वित्त और वाणिज्य मंत्रालयों सहित अमेरिका में संघीय एजेंसियों के नेटवर्क हैकिंग के मामले की जांच कर रहे हैं। एफबीआई और गृह सुरक्षा विभाग की साइबरस्पेस शाखा मामले की जांच कर रही है। हैक का खुलासा उस समय हुआ जब कुछ दिनों पहले एक बड़ी साइबर सुरक्षा से जुड़ी कंपनी ने खुलासा किया कि विदेशी सरकारी हैकर्स ने उनके नेटवर्क की सुरक्षा को तोड़ते हुए कंपनी के हैकिंग माध्यमों को चुरा लिया।
कई विशेषज्ञों को संदेह है कि ‘फ़ायरआई’ पर साइबर हमले के लिए रूस जिम्मेदार हो सकता है। फायरआई एक बड़ी साइबर सुरक्षा कंपनी है और दुनिया की कई शीर्ष वैश्विक कंपनियों के लिए काम करती है, जिसमें संघीय, राज्य और स्थानीय सरकारें शामिल हैं। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि वित्त मंत्रालय के नेटवर्क को हैक करने के लिए रूस जिम्मेदार है या नहीं।
अमेरिकी खुफिया एजेंसियो को मानना है कि सरकारी प्रणालियों में सेंध लगाने में जुटे हैकरों ने जिन उपकरणों का इस्तेमाल किया वह रूसी संसद क्रेमलिन से सम्बंधित थे। एजेंसियों द्वारा इसे संघीय सरकार के लिए गंभीर खतरा करार दिया गया।
दावा किया जा रहा है कि अमेरिकी खुफिया डाटा में सेंध की शुरुआत मार्च से ही शुरू हो गई थी। इस बीच नवनिर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा है कि उनका प्रशासन जिम्मेदार लोगों पर जरुरी कार्रवाई करेगा जबकि राष्ट्रपति ट्रंप ने इस हैकिंग पर मौन धारण किया हुआ है।
माइक्रोसॉफ्ट ने 40 प्रभावितों की पहचान की
सरकार की चेतावनी के बाद माइक्रोसॉफ्ट द्वारा कहा गया है कि उसकी ओर से लगभग 40 कंपनियों, सरकारी एजेंसियों और थिंकटैंकों की पहचान की गयी थी जिनमें संदिग्ध रूसी हैकरों ने घुसपैठ की थी। इनमें से आधी निजी प्रौद्योगिकी फर्म हैं। इनमें से कुछ फायरआई जैसी साइबर सुरक्षा फर्म भी शामिल हैं। माइक्रोसॉफ्ट अध्यक्ष ब्रेड स्मिथ ने कहा, हमने पहले ही 40 प्रभावितों की पहचान कर ली है।
जिन एजेंसियों ने सुरक्षा अधिकारियों द्वारा संदिग्ध गतिविधि दर्ज की है, उनमें न्यू मैक्सिको और वाशिंगटन के संघीय ऊर्जा नियामक आयोग (एफईआरसी), न्यू मैक्सिको में सैंडिया राष्ट्रीय प्रयोगशाला और वाशिंगटन में लॉस अलामोस राष्ट्रीय प्रयोगशाला, राष्ट्रीय परमाणु सुरक्षा प्रशासन के सुरक्षित परिवहन कार्यालय और शामिल हैं। रिचलैंड फील्ड ऑफिस भी सम्मलित हैं। ये सभी विभाग अमेरिका के परमाणु हथियारों के भंडार को नियंत्रित करते हैं और उनका सुरक्षित परिवहन सुनिश्चित करते हैं।
कितना डाटा चोरी हुआ, पता नहीं
अमेरिकी अधिकारी अभी तक यह निर्धारित नहीं कर पाए हैं कि हैकर्स ने कितनी जानकारी चुराई है। संघीय एजेंसियां अब इस बात की जांच कर रही हैं कि हैकर्स ने कौन सी जानकारी हासिल की है और किसने चुराई है। अधिकारियों ने कहा है कि वे कुछ दिनों के भीतर अनुमान लगाएंगे कि उनके नेटवर्क से कितनी जानकारी चुराई गई है।
राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के प्रवक्ता जॉन यूलियोट ने एक बयान में बताया कि सरकार इससे संबंधित समस्याओं की पहचान और उससे निपटने का हर संभव प्रयास किया जा रहा है। वहीं सरकार की ‘साइबरसिक्योरिटी एंड इंफ्रास्ट्रक्चर सिक्योरिटी’ एजेंसी द्वारा कहा गया कि वे भी अन्य एजेंसियों के साथ मिलकर सरकार के नेटवर्कों संबंधी हालिया गतिविधियों की जांच कर रहे हैं।
इस तरह हुई हैकिंग की शुरुआत
हैकिंग में हैकरों द्वारा सॉफ्टवेयर अपडेट्स के साथ कुछ गलत कोड दिए थे। ये अपडेट्स कारोबार और सरकारी कंप्यूटर नेटवर्क पर नजर रखने के लिए डाले गए।
इन्हें मैलवेयर कहा जाता है। इनकी मदद से हैकरों की सरकारी और कारोबारी नेटवर्क में घुसपैठ आसान हो गई। इसी क्रम में अमेरिकी साइबर सुरक्षा कंपनी फायरआई के भी हैक होने की आशंका जताई गई।