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रोहिंग्या मामला  : मानवाधिकार नियमों को नजरअंदाज कर रही बांग्लादेश सरकार 

बांग्लादेश ने मानवाधिकार नियमों की परवाह न करते हुए रोहिंग्या शरणार्थियों के दूसरे समूह को बंगाल की खाड़ी में एक विवादस्पद बाढ़ प्रवण महाद्वीप पर ले जाना शुरू कर दिया है।

हालांकि बांग्लादेशी अधिकारियों का कहना है कि शरणार्थियों को उनकी इच्छा के खिलाफ द्वीप पर नहीं भेजा जा रहा है। लेकिन मानवाधिकार समूहों ने शरणार्थियों के ट्रांसफर की प्रक्रिया को रोकने की अपील की है। बांग्लादेश सरकार का कहना है कि द्वीप पर केवल उन शरणार्थियों को भेजा जा रहा जो वहां जाना चाहते हैं, जिससे शिविरों में अव्यवस्था कम हो जाएगी।

गौरतलब है कि शरणार्थियों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि कुछ रोहिंग्याओं को जबरन भेजा जा रहा है। जिस द्वीप पर रोहिंग्या शरणार्थियों को भेजा जा रहा है उसका नाम भाषन चौर है। इस द्वीप को 20 साल पहले समुद्र में खोजा गया था और यहां अक्सर बाढ़ आ जाती है।
फिलहाल रोहिंग्या शरणार्थी कॉक्स बाजार में शिविरों में रहते हैं और यहां करीब दस लाख रोहिंग्या शरणार्थियों के रहने का इंतजाम है। लेकिन शिविर शरणार्थियों से भरे पड़े हैं और अक्सर यहां सुविधाओं की कमी हो जाती है। यहां रहने वाले रोहिंग्या म्यांमार से जान बचाकर आए थे।

शुक्रवार यानी की 25 दिसम्बर 2020 को अधिकारियों ने शरणार्थियों के पहले जत्थे, जिनमें 1,600 लोग शामिल थे उन्हें भाषन चौर भेजा था। कई संगठनों ने अधिकारियों से इस प्रक्रिया को रोकने की अपील लेकिन इसका असर होता नहीं दिखा। बांग्लादेश के विदेश मंत्री अब्दुल मोमिन ने कहा,”सरकार किसी को भी जबरदस्ती भाषन चौर में नहीं ले जाएगी. हम अपनी इस स्थिति पर कायम है।”

क्या है पूरा मामला

बांग्लादेश की थलसेना ने पिछले साल म्यांमार से रोहिंग्या मुसलमानों के नए जत्थे के देश में दाख़िल होने के बाद इन शरणार्थियों का बायोमेट्रिक पंजीकरण शुरू किया था।

बांग्लादेश ने म्यांमार सीमा के पास के शिविरों में 10 लाख से ज़्यादा रोहिंग्या शरणार्थियों की गिनती की है, जो पिछले अनुमान से कहीं ज़्यादा है। म्यांमार में मुस्लिम अल्पसंख्यक दशकों से अत्याचार का सामना करते रहे हैं।

 

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शरणार्थियों का पंजीकरण इसलिए किया जा रहा है ताकि उन्हें वापस भेजने में सहूलियत हो। हालांकि, शरणार्थियों का कहना है कि वे वापस नहीं जाना चाहते।

बांग्लादेश ने कहा कि वह शरणार्थियों को वापस उनके देश भेजने की प्रक्रिया जल्द ही पूरी करना चाहता है और दो साल के भीतर इस प्रक्रिया को पूरा करने के लिए बांग्लादेश ने म्यांमार से एक समझौता भी किया है।

यह पहला मौका है जब शरणार्थी बने लाखों रोहिंग्या मुसलमानों की देश वापसी का ठोस समय तय किया गया है। वैसे, अब भी यह साफ नहीं है कि उनकी देश वापसी की शर्तें क्या-क्या है।

रोहिंग्या पंजीकरण परियोजना के प्रमुख सईदुर रहमान ने कहा

बांग्लादेशी थलसेना में ब्रिगेडियर जनरल और रोहिंग्या पंजीकरण परियोजना के प्रमुख सईदुर रहमान ने कहा, ‘अब तक हमने 1,004,742 रोहिंग्या शरणार्थियों का पंजीकरण किया है।उन्हें बायोमीट्रिक पंजीकरण कार्ड दिए गए हैं।’

सईदुर रहमान ने कहा है कि, “ताज़ा आंकड़े संयुक्त राष्ट्र की ओर से मुहैया कराए गए आंकड़ों से ज़्यादा हैं। संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि दक्षिण-पूर्व बांग्लादेश में म्यांमार सीमा के पास 9,62,000 रोहिंग्या रह रहे हैं।”

 

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इससे पहले बांग्लादेश ने एक बयान जारी करते हुए कहा था कि सैन्य कार्रवाई के चलते विस्थापित हो कर शरणार्थी बने अल्पसंख्यक रोहिंग्या मुसलमानों की दो साल के अंदर स्वदेश वापसी पर उसकी और म्यांमार की सहमति हो गई है।

यह क़रार म्यांमार की राजधानी न्यपीदाव में इस हुआ। यह तकरीबन साढ़े सात लाख रोहिंग्या मुसलमानों पर लागू होगा जिन्होंने 2016 अक्टूबर के बाद सैन्य कार्रवाई के चलते वतन छोड़ कर बांग्लादेश में पनाह ली थी।

बांग्लादेश सरकार ने एक बयान में बताया कि, ” समझौते का लक्ष्य ‘स्वदेश वापसी की शुरुआत के दो साल के अंदर’ रोहिंग्या मुसलमानों को म्यांमार लौटाने पर लक्षित है। उधर, म्यांमार सरकार ने कहा है कि वह 23 जनवरी से रोहिंग्या मुसलमानों के स्वागत करने के कार्यक्रम पर अमल कर रही है।

इस क़रार में दो लाख रोहिंग्या शरणार्थियों को शामिल नहीं किया गया है

इस क़रार के दायरे में तकरीबन दो लाख रोहिंग्या शरणार्थियों को शामिल नहीं किया गया है जो अक्टूबर 2016 से पहले से बांग्लादेश में रह रहे हैं।इन्हें सांप्रदायिक हिंसा और सैन्य कार्रवाइयों के चलते म्यांमार से भागना और बांग्लादेश में शरण लेना पड़ा था।

दोनों देश अंतत: उस फॉर्म पर सहमत हो गए जिन्हें रोहिंग्या शरणार्थियों को यह प्रमाणित करने के लिए भरना पड़ेगा कि वह रखाइन प्रांत के हैं।इस प्रांत में म्यांमार की सेना ने सैकड़ों रोहिंग्या गांवों में कथित रूप से सैन्य सफाई अभियान चलाया।

म्यांमार में बांग्लादेश के राजदूत मोहम्मद सफीउर रहमान ने बताया कि, ‘हम आने वाले दिनों में यह प्रक्रिया शुरू करने में सक्षम होंगे।’ उन्होंने रोहिंग्या शरणार्थियों की वापसी की शुरुआत के लिए म्यांमार की तरफ से तय अगले हफ़्ते की समयसीमा पर कहा कि यह ‘संभव नहीं’ है।

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