म्यांमार से बड़ी संख्या में भागकर बांग्लादेश पहुंचे शरणार्थियों का खुले दिल से स्वागत करने वाली सरकार पांच वर्षों में ही रोहिंग्या संकट का समाट्टान नहीं निकलता देख दबाव महसूस कर रही है। रोहिंग्या शरणार्थियों की बढ़ती जनसंख्या और स्थानीय कानून व्यवस्था को लेकर बढ़ रही चुनौतियों ने उसकी चिंता बढ़ा दी है
पड़ोसी देश म्यांमार में वर्ष 2017 में सैन्य तख्ता पलट के बाद रोहिंग्या शरणार्थियों को लेकर जो चिंता भारत की सुरक्षा एजेंसियों व समाज के एक बड़े वर्ग में पिछले कुछ वर्षों के दौरान दिखाई दी है वही चिंता बांग्लादेश में भी अब साफ तौर पर दिखने लगी है। पिछले पांच वर्षों से बांग्लादेश के काक्स बाजार इलाके के दो दर्जन से ज्यादा कैंपों में रहने वाले इन शरणार्थियों की बढ़ती जनसंख्या और स्थानीय कानून व्यवस्था को लेकर बढ़ रही चुनौतियों से यहां की सुरक्षा एजेंसियां भी चिंतित हैं और साथ ही स्थानीय समाज के लोग भी।
दरअसल, म्यांमार से बड़ी संख्या में भागकर बांग्लादेश पहुंचे शरणार्थियों का खुले दिल से स्वागत करने वाली सरकार पांच वर्षों में ही रोहिंग्या संकट का समाधान नहीं निकलता देख अब दबाव महसूस कर रही है। सरकार का कहना है कि देश में रह रहे रोहिंग्याओं की आबादी जहां तेजी से बढ़ रही है वहीं उनसे जुड़े अपराधों की रफ्तार भी बेहद तेज हो गई है। ऐसी स्थिति को देख कहा जा रहा है कि म्यांमार से आए रोहिंग्या शरणार्थी बांग्लादेश के लिए मुसीबत बनते जा रहे हैं। गौरतलब है कि स्थानीय आबादी की एक फीसदी की वृद्धि दर के मुकाबले रोहिंग्या आबादी की वृद्धि दर पांच फीसदी है। पिछले पांच वर्षों में अपराधों में भी लगभग सात गुना की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। चटगांव डिविजन के कॉक्स बाजार जिले में रोहिंग्या शिविर के दौरे के दौरान वहां कानून लागू करने वाली एजेंसियों से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक कॉक्स बाजार क्षेत्र में पिछले पांच साल में चोरी, हत्या, डकैती, दुष्कर्म, मादक पदार्थों की तस्करी जैसी आपराधिक गतिविधियां करीब सात गुना बढ़ गई हैं। जबकि साल 2017 में इस तरह के अपराध के 76 मामले सामने आए थे और इसमें 159 अपराधी गिरफ्तार किए गए थे, वहीं, 2021 में अपराधों की संख्या 507 हो गई, जबकि 1024 आरोपी गिरफ्तार किए गए हैं।
शरणार्थियों और स्थानीयों में बढ़ रहा संघर्ष
रोहिंग्या शरणार्थियों और स्थानीय आबादी के बीच भी लगातार संघर्ष बढ़ रहा है। स्थानीय लोगों में महंगाई और अपने रोजगार पर असर के लिए शरणार्थियों को जिम्मेदार मानने की भावना में इजाफा हुआ है। स्थानीय मीडिया में प्रकाशित आंकड़ों के आधार पर वर्ष 2017 के मुकाबले दैनिक मजदूरी में 50 फीसदी की कमी पाई गई है। चटगांव जिले के कॉक्स बाजार क्षेत्र में नए शरणार्थियों के आने से पहले कृषि मजदूरी 500-600 रुपए निर्माण क्षेत्र में मजदूरी 600-700 रुपए थी, जो अब गिरकर 200-250 रुपए प्रतिदिन पर पहुंच गई है।
रोहिंग्या शरणार्थियों को लेकर बांग्लादेश के सूचना मंत्री डॉक्टर हसन महमूद का कहना है कि देश में रोहिंग्या की आबादी में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। इसको लेकर देश चिंता में है। जहां देश की स्थानीय आबादी में बढ़ोतरी की दर एक फीसदी है तो वहां रोहिंग्या की आबादी पांच फीसदी की दर से बढ़ रही है। इसके साथ उन्होंने कहा कि 5 वर्ष पहले म्यांमार संकट के दौरान करीब 70 हजार गर्भवती रोहिंग्या महिलाएं भी बांग्लादेश पहुंची था और उन्होंने बच्चों को यही जन्म दिया। उसके बाद भी यहां करीब दो लाख बच्चे जन्म ले चुके हैं। हसन महमूद ने यह भी कहा कि रोहिंग्या पहले से आपराधिक गतिविधियों में लिप्त हैं और शरणार्थी शिविर कट्टरपंथी समूहों के लिए बेहद ‘उपयुक्त’ होती है। जिसका वे फायदा उठाते हैं। इसके साथ ही उन्होंने कहा बांग्लादेश ‘कट्टरपंथी समूहों को लेकर बेहद सख्त है, लेकिन रोहिंग्याओं की इतनी बड़ी आबादी को संभालना आसान नहीं है।
बांग्लादेश मे रोहिंग्या शरणार्थी करीब 11 .5 लाख हैं और ये कॉक्स बाजार, उखिया और टैक्नाफ क्षेत्र में स्थित शरणार्थी शिविरों में रह रहे हैं। रोहिंग्या आबादी में भारी बढ़ोतरी का एक बड़ा कारण बांग्लादेश द्वारा अंतरराष्ट्रीय सहयोग से दी जा रही मदद भी है। बांग्लादेश स्थित थिंक टैंक सेंट्रल फाउंडेशन फॉर इंटरनेशनल एंड स्ट्रैटेजिक स्टडी के चेयरमैन ‘मोहम्मद नुरूल अबसार’ ने एक रिपोर्ट में बताया है कि बांग्लादेश में शरणाथियों को प्रति परिवार मुफ्त राशन व प्रति व्यक्ति प्रतिमाह 1100 टका नकद राशि दी जा रही है। इसके अलावा गर्भवती महिलाओं को पौष्टिक भोजन की सुविधा भी दी जा रही है और भोजन पकाने के लिए मुफ्त रसोई गैस दी जा रही है। अबसार ने कहा कि रोहिंग्या शरणार्थी ‘तबा ’ ‘आईस’ समेत कई मादक पदार्थों की तस्करी, रंगदारी वसूलने के अलावा मानव तस्करी जैसे अपराधों से जुड़े हैं। इसके अलावा छिनैती, चोरी व अन्य अपराधों में भी लिप्त हैं।
गौरतलब है कि रोहिंग्याओं के साथ स्थानीय आबादी का संघर्ष भी बढ़ रहा है, क्योंकि देश की गरीब जनता जहां दो वक्त के भोजन के लिए कड़ा संघर्ष कर रही है, वहां रोहिंग्या शरणार्थियों को मुफ्त राशन, 1100 रुपए प्रति व्यक्ति प्रतिमाह नगद राशि और मुफ्त रसोई गैस जैसी सुविधाएं मिल रही हैं। कहा जा रहा है कि आने वाले दिनों में कट्टरपंथी घटनाओं में बढ़ोतरी भी देखने को मिल सकती है।