पाकिस्तान की संसद ने देश में रेप के बढ़ते मामलों पर लगाम लगाने के लिए ऐतिहासिक फैसला लिया है। फैसले के अनुसार, बलात्कार के दोषियों को अब कानूनी रूप से नपुंसक बनाने की अनुमति है। पाकिस्तान की संसद ने बुधवार को आपराधिक कानून (संशोधन) विधेयक 2021 को मंजूरी दे दी।
पिछले कुछ वर्षों में पाकिस्तान में महिलाओं और बच्चों के बलात्कार की संख्या में वृद्धि देखी गई है। पाकिस्तान में इमरान खान सरकार पर बढ़ते दबाव के बाद यह फैसला लिया गया।
बलात्कार के मामलों में उल्लेखनीय वृद्धि
इस कानून का उद्देश्य बलात्कार के मामलों में दोषियों की सजा की प्रक्रिया को तेज करना और साथ ही इस तरह के अपराधों में शामिल लोगों को कड़ी से कड़ी सजा देना है। पिछले छह वर्षों में पाकिस्तान में बलात्कार और यौन शोषण के लगभग 22,000 मामले सामने आए हैं।
अध्यादेश को पिछले साल मंजूरी दी गई थी
इमरान खान की कैबिनेट ने पिछले साल नवंबर में बलात्कार के मामलों में नपुंसकता की सजा देने वाले अध्यादेश को मंजूरी दी थी। अध्यादेश पर बाद में राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने हस्ताक्षर किए। करीब एक साल बाद यह बिल संसद में अब पास हो गया।
पाकिस्तान के संविधान के अनुसार, भारत की तरह किसी भी अध्यादेश को एक निश्चित समय के भीतर संसद में पेश किया जाना चाहिए। इसी के चलते पाकिस्तान सरकार ने इस अध्यादेश को संसद में बिल के तौर पर पेश किया था। यहां बिल को मंजूरी मिल गई है।
विधेयक में दोषी की सहमति से उसे रासायनिक रूप से नपुंसक होने की सजा दी जा सकती है। इस प्रक्रिया में एक व्यक्ति अपने जीवन में किसी भी समय यौन संबंध बनाने में असमर्थ हो सकता है।
‘आपराधिक कानून (संशोधन) विधेयक 2021’ में प्रावधान इस प्रकार हैं…
विधेयक के अनुसार, बलात्कार के मामलों में तेजी लाने के लिए देश भर में विशेष अदालतें स्थापित की जाएंगी। ये अदालतें महिलाओं और बच्चों के खिलाफ मामलों की तेजी से सुनवाई करेंगी।
– पुलिस में रेप का मामला दर्ज होने के छह घंटे के अंदर पीड़ित महिला या बच्चे की मेडिकल जांच कराई जाएगी।
– अदालतों से चार महीने में सुनवाई पूरी होने की उम्मीद है।
– इस विधेयक में एक से अधिक दुष्कर्म के मामलों में दोषी पाए जाने वाले व्यक्ति को नपुंसक बनाने का प्रावधान किया गया है। लेकिन, इसके लिए दोषियों की सहमति भी लेनी होगी।
– इस बिल में कुछ खास केमिकल या ड्रग्स देकर रेप के मामले में दोषी को नपुंसक बनाने का अहम प्रावधान किया गया है। यह प्रक्रिया अधिसूचित बोर्ड के मार्गदर्शन में पूरी की जाएगी।
– इस अध्यादेश के मुताबिक आरोपी को रेप पीड़िता से जिरह करने की इजाजत नहीं होगी। केवल आरोपी का प्रतिनिधित्व करने वाले न्यायाधीश और वकील ही पीड़िता से पूछताछ कर सकते हैं।
– जांच में गैरजिम्मेदारी का पता चलने पर ऐसे पुलिस अधिकारियों और सरकारी अधिकारियों के खिलाफ बिल के प्रावधानों के तहत कार्रवाई की जाएगी। इन गैर-जिम्मेदार अधिकारियों को तीन साल तक की जेल और जुर्माना हो सकता है।
-पीड़ित की पहचान सार्वजनिक नहीं की जाएगी और पीड़ित की पहचान सार्वजनिक करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
– ‘नेशनल डेटाबेस एंड रजिस्ट्रेशन अथॉरिटी’ की मदद से यौन अपराधियों का डेटाबेस भी तैयार किया जाएगा।
पाकिस्तान के अलावा दक्षिण कोरिया, पोलैंड, चेक गणराज्य और अमेरिका जैसे देशों में ऐसी सजा कानूनी है।