गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका में अब गत् दिनों भारत संग कि गए रक्षा समझौतों ने राजनीतिक बवंडर पैदा कर दिया है। श्रीलंकाई विपक्ष राजपक्षे सरकार पर देश को बेच देने का आरोप लगा रहा है
भारत का पड़ोसी देश श्रीलंका अब तक के इतिहास में अपने सबसे बड़े आर्थिक संकट से जूझ रहा है। जरूरी वस्तुओं और खाने-पीने की चीजों तक के लाले पड़े हुए हैं। आयात नहीं हो पाने और विदेशी मुद्रा की कमी से देश की अर्थव्यवस्था पहले से ही कमजोर है। इसी बीच भारत के साथ गुपचुप तरीके से दो रक्षा समझौते को लेकर श्रीलंका सरकार फिर से घिरती हुए नजर आ रही है। दरअसल, कुछ दिन पहले श्रीलंका ने भारत के साथ दो महत्वपूर्ण रक्षा समझौते किए है। जिस पर अब उसे विपक्षी दलों की आलोचना का शिकार होना पड़ रहा है। रक्षा मंत्रालय ने 29 मार्च को एक बयान जारी कर कहा गया है कि भारत सरकार के साथ हाल ही में जिस समुद्री सुरक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किए गए हैं वो श्रीलंका की राष्ट्रीय सुरक्षा को न ही खतरे में डालता है और न ही उसे बाधा पहुंचाता है।
रक्षा मंत्रालय ने यह भी बताया कि भारत सरकार से फ्लोटिंग डाक की सुविधा बिना किसी कीमत पर मिलेगी। साथ ही डोर्नियर टोही विमान भारत बिना किसी कीमत के श्रीलंका को मुहैया कराएगा। श्रीलंका रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता कर्नल नलिन हेरात का कहना है कि यह समझौते 16 मार्च को हुए थे जिसमें श्रीलंका रक्षा मंत्रालय के सचिव और कोलंबो में भारतीय उच्चायोग के अधिकारी मौजूद थे। इस समझौते को लेकर श्रीलंका सरकार ने जिस तरह की चुप्पी साधी हुई थी उसको लेकर श्रीलंका के विपक्षी नेताओं ने आपत्ति दर्ज की है। उनका कहना है कि यह श्रीलंका की सुरक्षा और संप्रभुता के लिए एक खतरा है। श्रीलंका की मुख्य विपक्षी पार्टी एसजेबी के सांसद हेरिन फर्नांडोने आरोप लगाया है कि श्रीलंका ने अपने हवाई क्षेत्र को बेच दिया है।
फर्नांडो ने श्रीलंका के संसद में बताया था कि इन समझौतों को करने के बाद श्रीलंका क्षेत्रीय युद्ध में शामिल होने का खतरा मोल ले रहा है क्योंकि इसके कारण भारत को श्रीलंका के जल और आसमान को नियंत्रित करने का अवसर मिल जाएगा जबकि चीन हंबनटोटा बंदरगाह को नियंत्रित कर रहा है। वहीं एक दूसरे विपक्षी दल जेवीपी ने श्रीलंका की सरकार पर आरोप लगाया है कि 1 अरब डॉलर की मदद के बदले में भारत के साथ इन रक्षा समझौतों को किया गया है। गौरतलब है कि श्रीलंका की आर्थिक स्थिति लगातार खराब होने के बाद इस साल की शुरुआत से अब तक भारत ने उसकी 2.4 अरब डॉलर की मदद की है। भारत ने श्रीलंका के साथ कई महत्वपूर्ण द्विपक्षीय समझौतों पर भी हस्ताक्षर किए हैं जिनमें त्रिंकोमाली ऑयल टैंक फार्म्स और तीन मुख्य पावर प्रोजेक्ट शामिल हैं।
फ्लोटिंग डाक और डोर्नियर विमान को लेकर कई द्विपक्षीय बातचीत में दोनों देश इसकी चर्चा कर चुके थे। रक्षा मंत्रालय ने अपने बयान में कहा है कि भारत सरकार फ्लोटिंग डाक की सुविधा बिना किसी खर्चे के मुहैया कराएगी जिसके कारण 60 करोड़ श्रीलंकाई रुपये की बचत होगी, यह प्रस्ताव वर्ष 2015 से पाइपलाइन में था। वहीं डोर्नियर टोही विमान समुद्री निगरानी के लिए तैनात किया जाएगा जो कि खोजी और बचाव अभियान में जानकारियां मुहैया कराएगा। गौरतलब है कि विदेशी मुद्रा की कमी की वजह से श्रीलंका पड़ोसी देशों से आवश्यक वस्तुओं तक को खरीद नहीं पा रहा है। हालात इतने खराब हैं कि देश में स्कूली छात्रों की परीक्षा के पेपर छापने के लिए कागज और स्याही तक के पैसे नहीं है। इस वजह से परीक्षा रद्द करनी पड़ी है। श्रीलंका को इस वक्त अनाज, तेल और दवाओं की खरीद के लिए कर्ज लेना पड़ रहा है।
हाल में भारत ने श्रीलंका को एक अरब डॉलर का कर्ज देने का वादा किया है। चीन भी ढ़ाई अरब डॉलर का कर्ज दे सकता है। श्रीलंका पर चीन का पहले से ही काफी कर्ज है। श्रीलंका बिजली संकट का भी सामना कर रहा है। मार्च की शुरुआत में श्रीलंका ने देश में अधिकतम साढ़े सात घंटे तक की बिजली कटौती का एलान किया था। श्रीलंका के केंद्रीय बैंक की ओर से फरवरी में जारी आंकड़ों के मुताबिक, देश का विदेशी मुद्रा भंडार जनवरी 2022 में 24 .8 फीसदी घट कर 2 .36 अरब डॉलर रह गया था। रूस-यूक्रेन में छिड़ी जंग के चलते भी श्रीलंकाई अर्थव्यवस्था की हालत और खराब हो रही है। क्योंकि रूस श्रीलंका की चाय का सबसे बड़ा बाजार रहा है। इसके साथ ही रूस और यूक्रेन से बड़ी तादाद में श्रीलंका पर्यटक भी आते हैं। रूबल की गिरती कीमत, जंग और रूस यूक्रेन की ओर से चाय की घटती खरीद की वजह से भी श्रीलंका को दोहरी मार पड़ रही है।