लगभग तीन वर्षों से लापता 28 वर्षीय इटालियन छात्र गाइलियो रेज़ीमी की डेड बॉडी वर्ष 2016 में मिस्र में मिली थी। जिसके बाद से इटली और मिस्र के राजनीतिक सम्बन्धों में तनाव बढ़ गया था। अब यह मामला फिर से तूल लेने लगा है क्योंकि दोनों देशों ने आपस में हथियारों का एक व्यापार किया है जिसे लेकर दोनों देशों के मानव अधिकार समर्थकों में रोष है ।
क्या है पूरा मामला
दरअसल वर्ष 2016 में मिस्र की राजधानी काइरो के पास 28 वर्षीय इटालियन छात्र गाइलियो रेजीमी की डेड बॉडी पायी गयी थी। जिसकी तलाश मिस्र की पुलिस बड़ी शिद्दत से कर रही थी। माना जा रहा था कि लगभग तीन वर्षों से अचानक अपने अपार्टमेंट से गायब हुए गाइलियो रेजीमी को मिस्र की पुलिस जिंदा तलाश लेगी। जिसकी मांग इटली के मानवाधिकार समर्थक बड़ी तेजी से आंदोलन की तरह मांग उठा रहे थे।
लेकिन रेजीमी की डेड बॉडी मिलने से मामला बहुत गम्भीर हो गया। दरअसल इटली और मिस्र के मानवाधिकार समर्थकों की चिंता इसलिए भी सही है क्योंकि मिस्र में वर्ष 2013 से अभी तक हिरासत में लिए गए 1,056 लोगों की अकारण मृत्यु हो चुकी है। जिनके मरने की वजह मिस्र की पुलिस साफ़ तौर पर अभी तक नहीं बता सकी है।
*वर्ष 2013 से मिस्र में अब तक 1,056 लोगों की पुलिस हिरासत में मौत हो चुकी है।
*2013 के बात से अब्देल फतह अल-सीसी मिस्र के राष्ट्रपति पद पर आसीन हैं।
राष्ट्रपति अल-सीसी के सत्ता में आने के बाद
2013 में राष्ट्रपति मोर्सी के बाद और 2014 में अब्देल फतह अल-सीसी द्वारा राष्ट्रपति का पद संभालने के बाद से मिस्र भी अपने राजनीतिक विकास के संदर्भ में कोई अपवाद नहीं रहा है। राष्ट्रपति अल-सिसी के सत्ता में आने के बाद से पिछले छह वर्षों में, देश आंतरिक और बाह्य रूप से कई परिवर्तनों का साक्षी बना है और मिस्र ने कूटनीतिक और रणनीतिक दोनों क्षेत्रों में कई दोस्त और दुश्मन बनाए हैं।
गाइलियो रेजीमी के मामले में अब मिस्र के राष्ट्रपति अल-सीसी घिरते नजर आ रहे हैं।क्योंकि इटली के मानवाधिकार समर्थकों ने मिस्र की सरकार पर यह आरोप लगाया है कि गाइलियो रेजीमी के मामले में उन्होंने लापरवाही की और उनके इस लापरवाही की वजह से एक युवा इटालियन की बर्बर मौत हो गयी।
जेनेवा के रहने वाले अहमद मेफरह जो कि एक मानवाधिकार कार्यकर्ता हैं उन्होंने इस मामले को लेकर एक टीवी चैनल को बयान दिया कि,’रेजीमी के वकील ने यह सुनिश्चित किया है कि जब रेजीमी की डेड बॉडी मिली थी तो उस पर कुछ घाव और चोटों के भी निशान थे । जिसे मेडिकल रिपोर्ट में छुपाने की कोशिश की गई। दरअसल 2016 में रेजीमी की हत्या हुई थी।’
रेजीमी के परिवार की ओर से उनका केस लड़ रहे वकील ने कहा है कि,’यह एक संवेदनशील विषय है और दोनों देशों को यह समझना चाहिए।मेरे पास मिस्र के चार ऐसे अधिकारियों के ख़िलाफ़ सुबूत हैं जिन्होंने इस मामले में लापरवाही की। अगर उन्होंने अपनी भूमिका सही से निभाई होती तो आज रेजीमी जिंदा होता और हमारे बीच होता। ये चारों लोग मिस्त्र के सुरक्षा सेवा में कार्यरत हैं।’
इटली और मिस्र के बीच बड़े स्तर पर हथियारों का व्यापार
वहीं दूसरी ओर मिस्र के राजनीतिक विश्लेषक नाबिल मिखाई का मानना है कि इटली और मिस्र के बीच बड़े स्तर पर हथियारों का व्यापार ऐसे समय में किया गया है जब दोनों देशों के मानवाधिकार समर्थकों में इस बात को लेकर भारी गुस्सा है कि इस तरह अचानक गायब और मर रहे लोगों पर सरकार द्वारा कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
हालांकि इटली के लोगों द्वारा लगाए जा रहे आरोपों को मिस्र ने पूरी तरह से गलत बताया है। मिस्र ने अधिकारित तौर पर रेजीमी को लेकर बयान दिया है कि रेजीमी की हत्या किसी क्रिमिनल गैंग ने की है। मिस्र की सरकार इस मामले में पूरी निष्पक्षता से अपनी भूमिका निभा रही है।