क्वाड के सम्मेलन में चीन की नापाक हरकतों पर चर्चा होनी स्वाभाविक है। इस बार हिंद प्रशांत महासागर क्षेत्र साइबर स्पेस और उभरती तकनीक के साथ ही कोरोना महामारी जैसे विषयों पर खास चर्चा होगी
चीन दुनिया के लिए एक बड़ी समस्या बन गया है। कोरोना वायरस फैलाने के लिए दुनिया के देश उसे दोषी मानते हैं। अपनी विस्तारवादी नीति के चलते वह पड़ोसी मुल्कों को परेशान करने की नापाक कोशिशें करता रहा है। इस बीच वह दुनिया के पहले ऐसे देश के तौर पर भी दिखाई दिया जिसका तालिबान के प्रति खुलेआम प्रेम उमड़ रहा है। भारत के साथ अनावश्यक रूप से सीमा विवाद खड़ा कर चीन एशियाई देशों में भी तनाव की स्थिति बना देता है। भारत के खिलाफ नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर लगातार अतिक्रमण करते आ रहे चीन के सम्बंध अब अन्य देशों के साथ भी बिगड़ने लगे हैं। कई देश उसके खिलाफ खड़े हो रहे हैं। दक्षिण चीन सागर पर उसकी गतिविधियों से आस्ट्रेलिया और जापान भी परेशान हैं। चीन पर अंकुश लगाने के मकसद से अब उसके खिलाफ एक मोर्चा बनाए जाने को लेकर भी आवाजें उठने लगी हैं।
अमेरिका, भारत, जापान और आस्ट्रेलिया जैसे देशों के समूह (क्वाड) के आगामी सम्मेलन में भी चीन के मनमाने रवैये को लेकर विचार-विमर्श की संभावनाएं व्यक्त की जा रही हैं। चार प्रमुख देशों का यह एक ऐसा मंच है, जिसका उद्देश्य भारत-प्रशांत क्षेत्र में लोकतांत्रिक देशों के हितों की रक्षा करना और वैश्विक चुनौतियांे का समाधान करना है। इस बार क्वाड सम्मेलन की मेजबानी अमेरिका कर रहा है। सम्मेलन वाशिंगटन में आयोजित किया जाएगा। इसमें भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन, आस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरीसन और जापानी प्रधानमंत्री योशिहिदे सुगा शामिल होंगे। क्वाड सम्मेलन में इस बार हिन्द प्रशांत महासागर क्षेत्र, साइबर स्पेस और उभरती तकनीकों के साथ कोरोना महामारी जैसे विषयों पर चर्चा होगी। इस सम्मेलन की महत्वपूर्ण बात यह है कि पहली बार अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन से भारतीय पीएम की आमने- सामने मुलाकात होगी। कोरोनाकाल में पीएम मोदी का यह दूसरा विदेश दौरा है। इसके पहले वे बांग्लादेश गए थे। 25 सितंबर को संयुक्त राष्ट्र महासभा में प्रधानमंत्री मोदी का भाषण भी हो सकता है। अमेरिकी वाइट हाउस के प्रवक्ता जेन साकी ने एक प्रेसवार्ता में कहा कि ‘क्वाड लीडर्स समिट’ आयोजित की जाएगी। राष्ट्रपति जो बाइडेन इस पहले क्वाड सम्मेलन की मेजबानी करेंगे। यह सम्मेलन 24 सितंबर को होगा। इससे पहले समिट में 12 मार्च को हुई क्वाड की वर्चुअल बैठक में तय किए गए एजेंडे की तरक्की पर बात की जाएगी। यंू तो क्वाड ग्रुप का गठन 2019 में हुआ था, लेकिन ऐसा पहली बार हुआ है जब चारों देश एक साथ ‘इन पर्सन’ बैठक करने जा रहे हैं।
बाइडन के राष्ट्रपति बनने के बाद यह पहली बार होगा जब भारतीय पीएम अमेरिकी राष्ट्रपति से मुलाकात करेंगे। वाइट हाउस द्वारा जारी एक प्रेस रिलीज में कहा गया है कि अमेरिका पीएम मोदी का स्वागत करने को उत्सुक हैं। पीएम नरेंद्र मोदी इस दौरे पर एक साथ कई निशाने साधने की तैयारी में हैं। क्वाड ग्रुप की बैठक और संयुक्त राष्ट्र महासभा में भाषण के साथ ही वह जापान और आस्ट्रेलिया के पीएम और अमेरिकी राष्ट्रपति से भी मिल सकते हैं। ऐसे में विशेषज्ञों का मानना है कि भारत सितंबर के आखिरी में एक साथ कई निशाना साधने की तैयारी में है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा है कि पीएम मोदी क्वाड की बैठक में आस्ट्रेलियाई राष्ट्रपति स्कॉट मॉरिसन, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन और जापानी पीएम से मुलाकात करेंगे। इस मीटिंग में 12 मार्च 2021 को हुए सम्मेलन के बाद से हुई प्रगति की समीक्षा की जाएगी। इसके साथ ही साझा हित और क्षेत्रीय मसलों पर चर्चा की जाएगी। कोरोना महामारी, कोरोना वैक्सीन, कनेक्टिविटी और इन्फ्रास्ट्रक्चर, साइबर सुरक्षा, मानवीय सहायता, आपदा राहत, जलवायु परिवर्तन आदि पर भी बातचीत होगी। इसके साथ ही एक फ्री, खुले और समावेशी हिंद-प्रशांत महासागर क्षेत्र को लेकर भी बातचीत होगी।
इस सबके इतर अफगानिस्तान के बदलते हालात पर भी विशेष चर्चा होने की संभावना है। खबरों के मुताबिक क्वाड नेताओं से पीएम मोदी की द्विपक्षीय मीटिंग भी संभव है। दरअसल, 25 सितंबर को पीएम मोदी न्यूयार्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा के 76वें सत्र को संबोधित करेंगे। इस साल सामान्य बहस का विषय कोरोना वायरस से उबरने की आशा, स्थायी रूप से पुनर्निर्माण, लोगों के अधिकारों का सम्मान करना और यूनाइटेड नेशंस को फिर से जीवित करना आदि है। पीएम मोदी इन बातों के साथ ही अफगानिस्तान, आतंकवाद और यूनाइटेड नेशंस की सरंचना में बदलाव आदि पर अपनी बात रख सकते हैं।
जहां तक चीन का सवाल है तो वह क्वाड को ऐसा गुट मानता है जिसका उद्देश्य उसके खिलाफ काम करना है। वह क्वाड से परेशान रहता है। लेकिन वह भूल जाता है कि साल 2007 से खुद उसने एशिया-प्रशांत महासागर में अपना वर्चस्व बढ़ाना शुरू कर दिया था और वह पड़ोसी मुल्कों को धमकाने भी लगा था। ऐसे में जापान के तत्कालीन प्रधानमंत्री मिंजो अवे ने चीन पर दबाव बनाने के लिए एक संगठन बनाने का प्रस्ताव दिया था। यह संगठन 2019 में बना। बीच में कोरोना के चलते संगठन की बैठक नहीं हो पाई और अब बैठक हो रही है तो चीन का परेशान होना स्वाभाविक है।
इस बीच चीन की चिंता खुलकर सामने भी आई है। क्वाड ग्रुप की मीटिंग को लेकर चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियन ने कहा है कि क्षेत्रीय सहयोग ढांचे को किसी तीसरे पक्ष को टारगेट नहीं करना चाहिए और उसके हितों को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि क्वाड ग्रुप लोकप्रिय नहीं होगा और इसका कोई भविष्य नहीं है।