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पश्चिमी कंपनियों के रूस छोड़ने पर पुतिन ने दिया अजीबो गरीब बयान

रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते पूरे यूरोप में घमासान मचा हुआ है। हालात यहां तक पहुंच गए हैं कि विदेशी कंपनिया रूस छोड़कर जाने लगी हैं । इसके बावजूदरुसी राष्ट्रपति पुतिन ने इन विदेशी कंपनिया के रूस छोड़ने को लेकर एक अजीबो गरीब बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि मैं शुक्रगुजार हूं कि कुछ विदेशी कंपनियां उनका देश छोड़कर जा रहे हैं। यह रूस के लिए फायदे की बात है।

 

दरअसल, रूस – यूक्रेन युद्ध के बाद से ही पश्चिमी कंपनियां रूस पर दबाव बनाने के लिए रूस छोड़कर जा रही हैं , लेकिन अब राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा कि विदेशी कंपनियों का रूस छोड़ना फायदे की बात है। उन्होंने कहा कि इन कंपनियों के रूस छोड़ने से वह खुश हैं क्योंकि इससे स्थानीय उद्योग उनकी जगह ले सकेंगे। इसके साथ यह भी कहा कि रूस अब भी नई तकनीकें हासिल करने के रास्ते खोज लेगा।

रूस की ‘सैन्य कार्रवाई’ पर पुतिन ने कहा कि,यह एक ऐतिहासिक घटना है जो रूस को नई दिशा देने वाला साबित होगा। वर्ष 1991 में सोवियत संघ के टूटने के बाद से अमेरिका ने रूस को शर्मिंदा किया है और रूस की अमेरिका के खिलाफ यह एक क्रांति है।

नाकाम होंगी अमेरिकी कोशिशें

इस युद्ध के बाद से अमेरिका ने रूस को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग करने के लिए बेहद कड़े आर्थिक और वित्तीय प्रतिबंध लगाए गए हैं और उसके उत्पादों की अंतरराष्ट्रीय बाजार में बिक्री को मुश्किल बना दिया है। अमेरिका ने अन्य देशों का रूस का तेल खरीदना भी बंद कर दिया है। हालांकि इस वजह से दुनिया में भी आर्थिक संकट पैदा हो गया है क्योंकि सप्लाई चेन बाधित हुई है। इसके अलावा रूस से आने वाले उत्पाद जैसे कि अनाज, खाने का तेल, खाद और ईंधन की कीमतें भी आसमान पर हैं। इन प्रतिबंधों के चलते रूस से अंतरराष्ट्रीय कंपनियों ने पलायन करना शुरू कर दिया है । इन कंपनियों में बीपी से लेकर मैकडॉनल्ड्स तक हर क्षेत्र की मल्टिनेशनल कंपनियां शामिल हैं। इस वजह से रूस की अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान पहुंचा है। वहां हजारों लोगों की नौकरियां चली गई हैं और लोगों के लिए सामान खरीदना भी मुश्किल हो गया है। कहा जा रहा है कि देश इस वक्त 1991 में सोवियत संघ के बिखरने के बाद से सबसे ज्यादा उथल-पुथल से गुजर रहा है।

लेकिन पुतिन ने इसके लिए ईश्वर का धन्यवाद किया। उन्होंने कहा, कई बार जब आप देखते हैं कि कौन छोड़कर गया तो कहते हैं कि शायद खुदा का शुक्र है। हम उन जगहों को भर देंगे। हमारे उद्योग, हमारे उत्पादक बड़े होने लगे हैं। और वे उन जगहों को सुरक्षित रूप से धारण कर लेंगे, जो हमारी साझेदारों द्वारा तैयार की जा रही है।

बदल गया है आर्थिक सत्ता का केंद्र

पुतिन एक वीडियो लिंक द्वारा सोवियत संघ में शामिल रहे पूर्व सदस्य देशों से कहा कि मर्सिडीज बेंज जैसी लग्जरी चीजें अब भी रूस में उपलब्ध होंगी, बस थोड़ी ज्यादा महंगी जरूर होंगी। उन्होंने कहा कि रूस को जिस चीज की अभी सबसे ज्यादा जरूरत है , वह है आधुनिक तकनीकें, जो विकसित अर्थव्यवस्थाओं के पास उपलब्ध हैं। लेकिन उन्होंने इसका रास्ता खोजने की भी बात करते हुए कहा कि हम अपने आप को इन चीजों से अलग नहीं कर लेंगे। वे हमें थोड़ा दबाना चाहते हैं, लेकिन आधुनिक दौर में ऐसा करना पूरी तरह असंभव है।
हालांकि रूसी राष्ट्रपति ने यह नहीं बताया कि पश्चिमी देशों की तकनीकों और सॉफ्टवेयर आदि को वह किस तरह हासिल करेंगे। लेकिन उन्होंने वादा किया कि पश्चिमी देशों की रूस को अलग-थलग करने की कोशिशें विफल होंगी। उन्होंने कहा कि विकसित देश महंगाई के बुरे दौर से गुजर रहे हैं, उनकी सप्लाई चेन टूट गई है और वहां खाद्य संकट पैदा हो गया है, क्योंकि वैश्विक आर्थिक सत्ता का केंद्र एशिया की ओर चला गया है।

गौरतलब है कि रूस के केंद्रीय बैंक ने पहले ही ब्याजदर को 11 फीसदी घटा दिया था और यह भी कहा था कि आने वाले दिनों में और कटौती की जा सकती है। देश में महंगाई इस वक्त 20 साल से ज्यादा समय के सर्वोच्च स्तर पर है। पुतिन का कहना है कि अमेरिका यूक्रेन को नाटो के विस्तार के जरिए धमकाने की कोशिश कर रहा था और उसने यह कार्रवाई अपनी रक्षा में की है।

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