रूस – यूक्रेन युद्ध खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है,जब 24 फरवरी को रूस ने यूक्रेन पर हमला किया था तब ऐसा कहा जा रहा था कि यह युद्ध जल्द ही खत्म हो जाएग,लेकिन ये युद्ध अभी भी जारी है। इसी बीच अब रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन के चार नए इलाकों को रूस में शामिल करने का ऐलान किया है। कहा जा रहा है किअगले कुछ दिनों में इन इलाकों को औपचारिक रूप से रूस में शामिल करने की प्रक्रिया शुरू भी हो जाएगी।
इसी तरह साल 2014 में रूस ने यूक्रेन के क्रीमिया प्रायद्वीप को भी अपने नियंत्रण में ले लिया था।यह इलाका अभी भी रूस के नियंत्रण में है। राष्ट्रपति पुतिन ने क्रेमलिन में जब अधिग्रहण के दस्तावेजों पर बारी-बारी से हस्ताक्षर किए। पुतिन ने कहा कि,इन इलाकों को रूस का हिस्सा बनाना यहां की आबादी की मांग थी।इस घोषणा के साथ ही रूस ने आधिकारिक रूप से यूक्रेन के दोनेत्स्क, लुहांस्क, खेरसन और ज़ोपो रिज़्ज़िया इलाकों को अपने साथ मिला लिया है। लेकिन रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने जिस जनमत संग्रह के तहत इन इलाकों को रूस में शामिल किया है।उसे संयुक्त राष्ट्र और नाटो सदस्य देश अवैध बता रहे हैं। यूक्रेन से कहा है कि वो अपना सैन्य अभियान रोक कर रूस से बातचीत शुरू करें। लेकिन रूस के पुतिन ने यह कहा कि रूस के अधिकार में लिए इन इलाकों को लेकर यूक्रेन से कोई बातचीत नहीं होगी। वहीं यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की का कहना है कि इस जमीन को मुक्त कराने के लिए हमारा संघर्ष जारी रहेगा। इसके अलावा यूक्रेन नाटो सदस्य देशों से जल्द से जल्द यूक्रेन को नाटो में साहिल करने का आग्रह करेंगे।ज़ेलेंस्की ने यह भी कहा है कि हम पहले ही गठबंधन के मानकों पर अपनी अनुकूलता साबित कर चुके हैं। हम नाटो की सदस्यता तेजी से हासिल करने की याचिका पर हस्ताक्षर करके निर्णायक कदम उठा रहे हैं।जिस पर रूस को आपत्ति है। क्योंकि इस युद्ध की वजह ही नाटो में शामिल होने को लेकर है।
बर्बाद हुए कस्बों को फिर से बसाएगा रूस
रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने कहा कि इन क्षेत्रों में रह रहे लोग हमेशा के लिए रूस के ही नागरिक रहेंगे। यूक्रेन की सरकार को नागरिकों की इस मांग का पूरा सम्मान करना चाहिए। रूसी सरकार अब क्षेत्र में रह रहे नागरिकों की सुरक्षा के लिए हर संभव प्रयास करेगा और बर्बाद हुए कस्बों और गांवों को फिर से बसाएगा। यहां शिक्षा और स्वास्थ्य की भी सुविधाएं विकसित करेगा।राष्ट्रपति पुतिन ने यह भी कहा कि यहां सुरक्षा मजबूत की जाएगी ताकि यहां रह रहे सभी लोगों को अहसास हो सके कि वो एक महान मातृभूमि का हिस्सा हैं। इस दौरान अपने भाषण में पुतिन ने पश्चिमी देशों पर समझौते तोड़ने और रूस के खिलाफ होने का गंभीर आरोप भी लगाया है। पुतिन ने कहा कि इसी सप्ताह पश्चिमी देशों ने रूस से यूरोप गैस ले जाने वाली नॉर्ड स्ट्रीम पाइप लाइन पर भी हमला किया है।
नाटो के विस्तार की आलोचना करते हुए पुतिन ने अमेरिकी सेना को ‘बर्बर’ करार दिया। पुतिन ने कहा कि यूरोप के ऊर्जा संकट का कारण रूस नहीं है। उनके यंहा ऊर्जा संकट कई सालों से चली आ रही ग़लत नीतियों की वजह से पैदा हुई है। यूक्रेन युद्ध के बाद रूस से यूरोप जाने वाली गैस की आपूर्ति प्रभावित हुई है और पश्चिमी देश इस समय गंभीर ऊर्जा संकट से गुजर रहे हैं जिसकी वजह से ब्रिटेन समेत कई देशों में महंगाई भी बढ़ रही है। पुतिन ने पूंजीवाद की भी आलोचना की और कहा कि ये लोगों की जरूरतें पूरी करने का सही रास्ता नहीं है। पुतिन ने पश्चिमी देशों को लालची बताते हुए कहा कि वो चाहते हैं कि रूस उनका उपनिवेश बनकर रह जाए। पश्चिमी देश रूस के खिलाफ एक हाइब्रिड युद्ध लड़ रहे हैं। वो हमें एक स्वतंत्र समाज के रूप में नहीं देखना चाहते हैं। बल्कि ग़ुलामों की एक भीड़ के रूप में देखना चाहते हैं। उन्हें रूस की ज़रूरत नहीं है। जब से सोवियत संघ का पतन हुआ है, पश्चिमी देश रूस को घुटनों पर लाने का प्रयास कर रहे हैं। पश्चिमी देश अपनी नई करेंसी और तकनीकी विकास के दम पर रूस पर कब्जा करना और रूस की संस्कृति को मिटाना चाहते हैं।
सैनिकों के परिवारों के लिए संदेश
पुतिन ने अपने भाषण से पहले यूक्रेन युद्ध में जान गंवाने वाले सैनिकों के सम्मान में मौन भी रखा । इसके बाद उन्होंने कहा कि यूक्रेन में रूस के विशेष सैन्य अभियान में बहादुर सैनिकों ने अपनी जानें गंवाई हैं और वो रूस के हीरो हैं। इस युद्ध में शामिल सैनिकों के परिवारों के लिए कहा है कि,मैं आज विशेष सैन्य अभियान में हिस्सा ले रहे सैनिकों से एक अपील करना चाहता हूं। मैं उनकी पत्नियों और बच्चों से अपील करना चाहता हूं कि वो इस बात को ज़रूर समझें कि हम किसके लिए और क्यों लड़ रहे हैं। यह बात इसलिए भी ज़रूरी है क्योंकि कुछ दिन पहले ही रूस में सैनिक भर्ती को लेकर विरोध हुआ था ,जिसके बाद हज़ारो नागरिकों को हिरासत में लिया गया था।
पुतिन का विरोध
राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के भाषण पर आपत्ति जताते हुए नाटो सदस्यों देशों ने विरोध किया है। एक साझा बयान में यूरोपीय देशों ने कहा है कि वो इन क्षेत्रों पर रूस के अधिकार को कभी मान्यता नहीं देंगे और रूस ऐसा करके पूरी दुनिया की सुरक्षा को खतरे में डाल रहा है।पश्चिमी देशों ने यूक्रेन के प्रति अपना समर्थन और प्रतिबद्धता को भी जाहिर किया है और कहा है कि रूस की परमाणु हमले की धमकी से उनका यूक्रेन की मदद करने का इरादा नहीं डिगेगा।यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने कहा है कि पुतिन के इस क़दम से ज़मीन पर कुछ भी नहीं बदलेगा।
अमेरिका ने तो नए प्रतिबंध लगाने की भी घोषणा की है। इस पर खुद अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन ने कहा कि,यूक्रेन के संप्रभु इलाकों को रूस में मिलाने की धोखे भरी कोशिश की अमेरिका निंदा करता है। रूस अंतरराष्ट्रीय क़ानूनों का उल्लंघन कर रहा है, संयुक्त राष्ट्र के चार्टर को कुचल रहा है और शांतिपूर्ण देशों का अनादर कर रहा है।ऐसे कामों की कोई वैधता नहीं है। अमेरिका हमेशा यूक्रेन की अंतरराष्ट्रीय सीमाओं का सम्मान करता रहेगा। हम इन इलाकों को वापस हासिल करने की यूक्रेन की कोशिशों को अपना समर्थन देते रहेंगे। इसके लिए कूटनीतिक और सैनिक रूप से हम यूक्रेन के हाथ मजबूत करते रहेंगे। इसके अलावा राष्ट्रपति बाइडन ने कहा कि अमेरिका ने इस हफ़्ते यूक्रेन को अतिरिक्त सुरक्षा मदद के लिए 1.1 अरब डॉलर की मदद का एलान किया है। रूस पर नए प्रतिबंधों की घोषणा करते हुए राष्ट्रपति बाइडन ने कहा कि यूक्रेन के इलाकों पर कब्ज़े के दावों के जवाब में अमेरिका अपने सहयोगियों के साथ आज नए प्रतिबंधों की घोषणा करता है। यह प्रतिबंध रूस के अंदर और बाहर यूक्रेन की सीमाओं की स्थिति बदलने की अवैध कोशिशों को राजनीतिक और आर्थिक समर्थन देने वाले व्यक्तियों और संगठनों पर लागू होंगे। हम अंतरराष्ट्रीय समुदाय से रूस को इसके लिए जिम्मेदार ठहराने के लिए एकजुट करने की कोशिश करेंगे। मुझे उम्मीद है कि यूक्रेन की मदद के लिए 12 अरब डॉलर अतिरिक्त देने के प्रस्ताव वाले क़ानून को कांग्रेस से मंजूरी मिल जाएगी।