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पुतिन ने दिए तबाही के संकेत

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अपनी परमाणु शक्ति को यूक्रेन संग चल रहे युद्ध के दौरान फुल एर्लट में रखने के आदेश दे तृतीय विश्व युद्ध की तरफ इशारा कर दिया है। हालांकि रक्षा विशेषज्ञ इसे पुतिन द्वारा मनोवैज्ञानिक दबाव करार दे रहे हैं। लेकिन तमाम अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों बाद भी रूस द्वारा यूक्रेन पर जारी हमला विश्व शांति के लिए भारी खतरा बनता जा रहा है

रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध के पांचवें दिन रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने परमाणु हथियार को तैयार रखने का आदेश दे डाला। इस आदेश ने दुनिया के लोकतांत्रिक देशों को भारी चिंता में डाल दिया है। तृतीय विश्व युद्ध की आशंकाओं के मध्य अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा है कि अमेरिका के लोगों को परमाणु जंग से डरने की जरूरत नहीं है। राष्ट्रपति बाइडेन का यह बयान इस तरफ भी इशारा करता है कि अमेरिका भी परमाणु हमले का जवाब देने के लिए तैयार बैठा है। गौरतलब है कि दुनिया ने वर्ष 1945 में आखिरी बार परमाणु युद्ध की तबाही देखी थी। रूस यूक्रेन युद्ध ने इस तबाही को दुनिया के सामने फिर से लाकर खड़ा कर दिया है। विशेषज्ञ कहते हैं कि अगर 30 किलो टन का परमाणु बम रूस ने इस्तेमाल किया तो लगभग 4 किलोमीटर का इलाका पूरी तरह तबाह हो जाएगा। वहीं 1000 किलो टन तक के परमाणु बम गिराए जाते हैं, तो इसका असर 100 किलोमीटर तक होगा। ये हमला जापान के हिरोशिमा और नागासाकी से भी अधिक नुकसान पहुंचाएगा। अमेरिका द्वारा जापान के हिरोशिमा पर गिराया गया परमाणु बम 15 किलो टन और नागासाकी पर गिराया गया बम 20 किलो टन का था। हिरोशिमा और नागाशाकी शहरों में आज भी इस परमाणु हमलों के चलते जिंदगी सामान्य नहीं हो पाई है।

रूस यूक्रेन के किसी भी शहर पर परमाणु बम से हमला करता है तो तीसरे विश्व युद्ध का आगाज हो जाएगा। ब्रिटिश पीएम बोरिस जॉनसन पहले ही कह चुके हैं कि रूस दूसरे विश्वयुद्ध के बाद यूरोप में सबसे बड़ी जंग की तैयारी कर रहा है। रूस-यूक्रेन की महाजंग को लेकर खतरा इसलिए भी बढ़ रहा है क्योंकि यूक्रेन की रक्षा के लिए अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन और जर्मनी जैसे देश सहायता कर रहे हैं। हालांकि अभी तक नाटो देश यूक्रेन की आर्थिक तौर और हथियारों से सहयोग करने की बात कह रहे हैं। सीधे रूस पर हमले की बात से अमेरिका समेत नाटो के कई देश इंकार कर चुके हैं। परमाणु युद्ध की आशंका के बलवती होने के बावजूद रक्षा मामलों के जानकार भरोसा जता रहे हैं कि पुतिन यूक्रेन युद्ध में परमाणु बम का सिर्फ इस्तेमाल डराने के लिए कर रहे है। कुछ का मानना है कि यदि समय रहते युद्ध विराम नहीं हुआ तो पुतिन परमाणु बम का पहले ऐसी जगह इस्तेमाल करेंगे जो इलाका लगभग खाली होगा। ऐसा करके पुतिन नाटो सदस्य देशों को यह जता सकते हैं कि उनका अगला निशाना नाटो सदस्य देश भी हो सकते हैं।

गौरतलब है कि अमेरिका और नाटो देशों के प्रतिबंध से पहले से ही भड़के रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने अपनी परमाणु फोर्स को अलर्ट कर दिया है। इस बीच रूस के पुराने साथी बेलारूस ने भी अब यूक्रेन को लेकर पश्चिमी देशों को आंख दिखाई है। इसे तीसरे विश्व युद्ध की चेतावनी समझा जा रहा है। बेलारूस के तानाशाह अलेक्जेंडर लुकाशेंको ने रूस से इच्छा जताई है कि उसे परमाणु बम दिए जाएं। यही नहीं बेलारूस ने कथित रूप से रूस को अपने देश में परमाणु बम रखने की अनुमति दे दी है। यानी रूस बेलारूस की धरती का इस्तेमाल परमाणु हमले के लिए कर सकता है।

इन देशों के पास है परमाणु हथियार
इस वक्त दुनिया में नौ देशों के पास परमाणु हथियार हैं जिनमें अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस, चीन, भारत, पाकिस्तान, इजरायल और उत्तर कोरिया शामिल हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हथियारों पर नजर रखने वाली संस्था ‘स्टॉकहोम अंतरराष्ट्रीय शांति शोध संस्थान’ (सिपरी) के मुताबिक वर्ष 2019 की शुरुआत में दुनिया में परमाणु हथियारों की संख्या 13,865 थी। इस आंकड़े में उन सभी हथियारों को गिना गया है जिन्हें तैनात किया गया है या फिर अंतरराष्ट्रीय दबाव में नष्ट किया जाना बाकी है।
‘सिपरी’ की ताजा रिपोर्ट कहती है कि दुनिया भले ही परमाणु शक्ति संपन्न देश अपने हथियारों को आधुनिक बनाने में जुटे हैं परमाणु हथियारों की संख्या घट रही है। एक साल पहले के मुकाबले परमाणु हथियारों की संख्या 600 कम हुई है। इसकी बड़ी वजह अमेरिका और रूस के बीच हुई ‘स्टार्ट’ संधि है जिसके तहत दोनों देशों ने अपने परमाणु हथियार घटाए हैं। रूस के पास अभी लगभग 6,500 परमाणु हथियार हैं जबकि अमेरिका के पास लगभग 6,185 हथियार है। इनमें से एक चौथाई हथियारों को ही तैनात किया गया है। ‘स्टार्ट’ संधि वर्ष 2021 में खत्म हो गई है। दोनों देशों ने अभी इसे आगे बढ़ाने पर बात शुरू नहीं की थी कि इससे पहले ही रूस और यूक्रेन युद्ध शुरू हो गया।

‘सिपरी’ के मुताबिक, रूस और अमेरिका, दोनों ही अपने परमाणु अस्त्रागार, मिसाइलों और डिलीवरी सिस्टम को आधुनिक बनाने के लिए व्यापक कार्यक्रम चला रहे हैं और इस काम पर खूब धन खर्च भी कर रहे हैं। वही दक्षिण एशिया में भारत और पाकिस्तान भी अपने परमाणु हथियारों को बढ़ा रहे हैं। अनुमान है कि भारत के पास 130 से 140 और पाकिस्तान के पास 150 से 160 परमाणु हथियार हैं। वहीं उत्तर कोरिया के पास 20 से 30 परमाणु हथियार हैं और वह उन्हें अपने देश की सुरक्षा के लिए रणनीतिक रूप से बहुत अहम मानता है। वैसे जब से उत्तर कोरिया ने अमेरिका के साथ परमाणु निरस्त्रीकरण वार्ता शुरू की है, उसने किसी परमाणु हथियार या फिर लंबी दूरी की बैलेस्टिक मिसाइल का परीक्षण नहीं किया है। अन्य देशों में फ्रांस के पास 300, चीन के पास 290, ब्रिटेन के पास 200 और इजरायल के पास 80 से 90 परमाणु हथियार हैं।

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