अंपनी विस्तारवादी नीति से पड़ोसी मुल्कों पर खंजर घोंपने के लिए कुख्यात चीन के खिलाफ पड़ोसी देश नेपाल की राजधानी काठमांडू में लोग विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं। प्रदर्शनकारी मांग कर रहे हैं कि चीन के कब्जे से जमीन वापस लौटाई जाये। यह प्रदर्शन महंत ठाकुर की अगुवाई में हो रहा है। दरअसल, नेपाल की डेमोक्रेटिक सोशलिस्ट पार्टी से संबंधित एक युवा संगठन चीन के खिलाफ जबरदस्त विरोध प्रदर्शन कर रहा है। चीन ने नेपाल की जमीन पर कब्जा किया हुआ है और पिछले साल हुमला में नौ इमारतों का निर्माण किया। चीन के दूतावास ने हाल में एक बयान जारी कर दावा किया था कि नेपाल और चीन के बीच कोई सीमा समस्या नहीं है।
डेमोक्रेटिक यूथ एसोसिएशन के करीब 200 सदस्यों ने ध्वज मन मोकतन के नेतृत्व में काठमांडू शहर के बीचों- बीच मैतीघर मंडाला में प्रदर्शन किया और पोस्टर लहराये जिन पर लिखा था ‘हमारी कब्जाई जमीन लौटा दो’। प्रदर्शनकारियों ने यह मांग भी उठाई कि नेपाल-चीन सीमा पर लीमी लापचा से हुमला जिले में हिल्सा तक चीन द्वारा कथित भूमि अतिक्रमण का अध्ययन करने के लिए बनाई गई समिति की रिपोर्ट सरकार को सार्वजनिक करनी चाहिए।
नेपाल ने अपनी जमीन पर चीन के कब्जे वाले मामले की जांच के लिए एक हाईलेवल कमेटी के गठन का ऐलान किया है। यह कमेटी चीन के साथ सभी सीमा मुद्दों को लेकर अपनी रिपोर्ट देउबा सरकार को सौंपेगी। इस कमेटी को बनाने का फैसला प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा के बालूवतार स्थित सरकारी आवास पर हुई मंत्रिपरिषद की बैठक में लिया गया। पिछले साल भारत के साथ गलवान में हुई सैन्य झड़प के तुरंत बाद चीन ने नेपाल के हुमला में करीब 150 हेक्टेयर भूमि पर कब्जा कर लिया था।
नेपाल सरकार के प्रवक्ता ज्ञानेंद्र बहादुर कार्की ने कहा कि समिति हुमला जिले में लिमी लापचा से लेकर नमखा ग्रामीण नगरपालिका के हिलसा तक, नेपाल-चीन सीमा से संबंधित समस्याओं का अध्ययन करेगी। चीन ने कथित तौर पर नेपाली भूमि पर अतिक्रमण कर पिछले साल हुमला में नौ इमारतें बनाई थीं। मुख्य जिला अधिकारी के नेतृत्व में एक सरकारी टीम ने भी स्थल पर अध्ययन किया है।
चीन की सरकारी मीडिया ग्लोबल टाइम्स ने दावा किया था कि ये बिल्डिंग्स दक्षिण पश्चिम चीन के तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र के बुरंग काउंटी में एक नवनिर्मित गांव में बने हुए हैं। बुरंग काउंटी के विदेशी संबंध कार्यालय निदेशक बेकी के हवाले से ग्लोबल टाइम्स ने लिखा था कि मई महीने में इनका निर्माण शुरू करने से पहले सैन्य और स्थानीय पेशेवर सर्वेक्षण और मैपिंग कर्मियों इस क्षेत्र का विस्तृत मैपिंग की। इससे यह सुनिश्चित किया गया कि इन बिल्डिंग्स का निर्माण चीन की तरफ हो।