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श्रीलंका में प्रदर्शकारियों ने राष्ट्रपति भवन और उनके घर पर किया कब्जा

काफी समय से आर्थिक तंगी से जूझ रहे पड़ोसी देश श्रीलंका में प्रदर्शकारियों ने राष्ट्रपति भवन और उनके घर पर कब्जा कर लिया है। देश की अर्थव्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त हो गई है और उसके पास खाना व ईंधन खरीदने के लिए भी विदेशी मुद्रा नहीं है। पहले देश डिफॉल्ट भी हो चुका है। जिसके चलते श्रीलंका ने अपने पड़ोसियों, भारत और चीन के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से भी मदद मांगी थी।

रानिल विक्रमसिंघे ने इसी साल मई में प्रधानमंत्री पद संभाला था तब उन्होंने यह भी कहा था कि श्रीलंका रसातल की ओर जा रहा है और उसका पुनर्निर्माण पहाड़ काटने जैसा काम होगा लेकिन अब प्रदर्शनकारियों के बढ़ते दबाव के कारण 9 जुलाई को उन्होंने व राष्ट्रपति राजपक्षे गोटाबाया ने इस्तीफे की पेशकश की है।

कितना गंभीर है संकट?
श्रीलंका के पास 51 अरब डॉलर का विदेशी कर्ज है और उसका ब्याज चुकाने के लिए भी देश के पास पैसे नहीं हैं । देश की अर्थव्यवस्था का इंजन माना जाने वाला पर्यटन उद्योग पूरी तरह ख़त्म हो चुका है। वर्ष 2019 में आतंकी हमलों का डर, उसके बाद कोविड महामारी और अब अर्थव्यवस्था के कारण पर्यटक श्रीलंका से मुंह मोड़ चुके हैं। श्रीलंका की मुद्रा 80 प्रतिशत नीचे जा चुकी है जिसकी वजह से आयात मुश्किल हो गया है और महंगाई आसमान पर है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, देश में खाने-पीने की चीजें 57 प्रतिशत महंगी हो चुकी हैं।

एक रिपोर्ट के मुताबिक,वॉशिंगटन स्थित सेंटर फॉर ग्लोबल डिवेलपमेंट में पॉलिसी फेलो अनीत मुखर्जी का कहना है कि आईएमएफ या वर्ल्ड बैंक से कोई भी मदद कड़ी शर्तों पर मिलनी चाहिए। यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि मदद के लिए मिले धन का देश में दुरुपयोग नहीं होगा।

कैसे हुआ यह हाल

दुनिया में फैली कोरोना महामारी, ऊर्जा की बढ़ती कीमतों और देश के नागरिकों को खुश करने के लिए टैक्स में छूट से देश की अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हुई है । जिससे विदेशी मुद्रा में कमी आई और महंगाई बढ़ी, इसके कारण श्रीलंका में दवाओं, ईंधन,पेट्रोलियम और सभी आवश्यक वस्तुओं की भारी कमी हो गई है।इस आर्थिक बदहाली की स्थिति पर लोगों का गुस्सा फूट पड़ा है । लोग सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करने लगे ह्यें । इन प्रदर्शनों में शामिल लोग राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे और उनके परिवार के खिलाफ नारे लगा मांग की थी कि सत्ता पर काबिज राजपक्षे परिवार सत्ता छोड़ दे। इसके वजह से राष्ट्रपति राजपक्षे के बड़े भाई महिंदा राजपक्षे को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था। जिसके बाद श्रीलंका में नए प्रधनमंत्री नियुक्त हुए। उसके बाद उनका कहना था कि देश की आर्थिक स्थिति बेहतर होने से पहले और खराब होगी। लेकिन हम यह सुनिश्चित करने का वादा करते हैं कि श्रीलंका के सभी परिवार को तीन वक्त के भोजन से वंचित नहीं होना पड़ेगा।

गौरतलब है कि,श्रीलंका को लेकर पिछले महीने ही दुनिया की दो सबसे बड़ी क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों ने चेतावनी दी थी कि श्रीलंका अपने कर्जों को नहीं चुका पाएगा। फिच रेटिंग्स ने कहा था कि श्रीलंका की दिवालिया होने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। एस एंड पी ग्लोबल रेटिंग्स ने इसी तरह की घोषणा की और कहा था कि श्रीलंका का डिफॉल्टर साबित होना निश्चित है। ये क्रेडिट रेटिंग एजेंसिया देशों को एक रेटिंग जारी करती है जिसका उद्देश्य निवेशकों को आने वाले जोखिम के स्तर को समझने में मदद करना है।

इसके वावजूद श्रीलंकाई सरकार इस संकट से निपटने के लिए रूस से तेल खरीदने पर विचार कर रही है। श्रीलंका ने चीन से भी ज्यादा मदद मांगी है। इसके अलावा अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया ने भी कुछ करोड़ डॉलर उपलब्ध कराए हैं। जून में संयुक्त राष्ट्र ने देश की मदद के लिए एक अंतरराष्ट्रीय अपील जारी की थी लेकिन श्रीलंका को अगले छह महीने का काम चलाने के लिए छह अरब डॉलर की जरूरत है, जिसके मिलने के आसार फिलहाल नजर नहीं आ रहे हैं ।

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