चीन में जीरो कोविड पॉलिसी के खिलाफ वहां की जनता का गुस्सा अब चीनी सरकार के प्रति फूट पड़ा है। इसी तर्ज पर वहां के लोगों ने कई शहरों में भारी प्रदर्शन शुरू कर दिया है। ये सभी प्रदर्शनकारी जिनपिंग से इस्तीफे की मांग कर रहे है। दरअसल चीनी सरकार द्वारा चीन में लगातार जीरो कोविड पॉलिसी चलाई जा रही है। इस पॉलिसी के तहत किसी भी शहर में कोविड का एक मामला मिलने के बाद सख्त लॉकडाउन लगा दिया जाता है। साथ ही उस शहर के हर एक शख्स का कोविड टेस्ट कराया जाता है। ऐसे में कोई शख्स अगर कोविड पॉजिटिव मिलता है, तो वहां लॉकडाउन 21 दिनों के लिए और बढ़ा दिया जाता है। इस दौरान लोगों को अपने घरों के दरवाजे तक पर आने की इजाजत नहीं होती है। सरकार द्वारा चलाई जा रही इस ज़ीरो कोविड पॉलिसी ने चीन के लोगों का धैर्य को तोड़ दिया है। ये पॉलिसी लोगों के लिए प्रताड़ना का कारण बन रही है।
लॉकडाउन के दौरान चीन के लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। बीजिंग में रहने वाले एक निवासी के मुताबिक लॉकडाउन के दौरान लोगों को बुरी तरह से परेशान किया जाता है। एक गर्भवती महिला को रास्ते पर बच्चे को जन्म देना पड़ा, क्योंकि उसे अस्पताल नहीं जाने दिया गया। वहीं, लान्चो शहर में लॉकडाउन के दौरान एक लड़के की जहरीली गैस के कारण दम घुटने से मौत हो गई, क्योंकि उस तक कोई मदद नहीं पहुंचा सकता था। इसी बीच चीन में एक अंतरराष्ट्रीय स्तर के पत्रकार को पुलिस द्वारा मारा पीटा गया है। उसके बाद उसे हिरासत में भी ले लिया गया। कुछ देर बाद उसे छोड़ दिया गया। पुलिस अधिकारीयों ने पत्रकार को छोड़ते हुए कहा यह सब कोरोना से उनकी सुरक्षा के लिए किया गया था।
चीन में प्रदर्शन का प्रतीक कोरा कागज
शंघाई ,वुहान जैसे शहरों में हजारों की संख्या में प्रदर्शनकारी सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं। वहां कोविड प्रतिबंधों के खिलाफ चीनी जनता अपना गुस्सा दिखाने के लिए कागज लहरा रही हैं। दरअसल चीन में कोरा कागज व्यापक विरोध प्रदर्शन का प्रतीक बनता जा रहा है। ये कोरा सफेद कागज लहराकर लोग अपना असंतोष जाहिर कर रहे हैं। चीन के दर्जनों यूनिवर्सिटी में भी छात्रों ने कागज लहराकर विरोध किया है। इन प्रदर्शनकारियों के वीडियो और तस्वीरें लगातार सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार वायरल हो रहे एक वीडियो में नानजिंग और बीजिंग कई शहरों में विश्वविद्यालयों में छात्रों को मूक विरोध में कागज की खाली शीट पकड़े हुए देखा गया है।
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गौरतलब है दुनिया के अधिकतर देश कोविड से उभर रहे है। तो वहीं चीन अभी तक इससे निजात नहीं पा सका है। वह अभी भी सख्त ज़ीरो कोविड पॉलिसी का पालन कर रहा है। दुनिया में अब कहीं पर भी लॉकडाउन नहीं लग रहे हैं। ना ही कोविड को लेकर अब ज्यादा सख्ती बरती जा रही है। लॉक डाउन के विरोध में हुए प्रदर्शन के कारण कई लोग अपने घरों से बाहर नहीं निकल पाए | प्रदर्शन के दौरान शिनजियांग प्रांत के उरूमकी में गुरुवार को बिल्डिंग में आग लगने की वजह से 10 लोग जलकर मर गये थे । इसके अलावा 19 लोग आग में गंभीर रूप से झुलसे गए है । मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक बिल्डिंग में लोगों को पिछले 100 दिनों से बंद करके रखा गया था और आग लगने के बाद भी लोगों को बाहर नहीं निकलने दिया जा रहा था। इन सब के चलते चीन के अलग अलग हिस्सों से लोगों का पलायन भी शुरू हो गया है।
सरकार के खिलाफ जनता ने किया प्रदर्शन
चीन में हो रहे प्रदर्शन की तस्वीरें और वीडियो को लाख कोशिशों के बावजूद चीनी सरकार इनको वायरल होने से नहीं रोक पा रही। ये वायरल विडिओ देश विदेश में चर्चा का विषय बने हुए हैं | इन वायरल वीडियो में से एक वायरल वीडियो यूनिवर्सिटी के सामने खड़े होकर सादा कागज लहराते हुए देखा जा रहा है। वहीं लोग अपने मोबाइल का फ्लैशलाइट ऑन करके भी प्रदर्शन कर रहे हैं। चीन में दर्जनों शहरों से एक साथ हो रहे इन प्रदर्शनों का होना दुर्लभ माना जा रहा है। चीन में सरकार के खिलाफ एक शब्द बोलने की भी इजाजत नहीं है।इससे पहले साल 2020 में हांगकांग में लोकतंत्र समर्थक आंदोलनकारियों ने भी सफेद कागज के साथ प्रदर्शन किया था। लेकिन लोगों के प्रदर्शन को शी जिनपिंग की सरकार ने बेरहमी से कुचल दिया था और प्रदर्शन में शामिल नेताओं को अभी तक जेल की सजा दी जा रही है। कुछ इसी तरह का प्रदर्शन साल 1989 में भी किया गया था। जिसमें हजारों लोगों को चीन की कम्युनिस्ट पार्टी ने मौत के घाट उतार दिया था। गौरतलब है कि चीन में राष्ट्रपति शी जिनपिंग के खिलाफ असहमत होने का अधिकार लोगों के पास नहीं है और लोगों को भारी सेंसरशिप में रहना पड़ता है। लेकिन अब चीन में पहली बार ऐसा हुआ है कि प्रदर्शन में शामिल हुए लोग सीधे तौर पर राष्ट्रपति शी जिनपिंग से इस्तीफे की मांग कर रहे हैं।