कोरोना वायरस के इस भयंकर संकट के बावजूद अपनी सुरक्षा का खतरा उठाते हुए ईसाई धर्म के सर्वोच्च गुरू पोप फ्रांसिस इराक की ऐतिहासिक यात्रा हैं। आज उनकी यात्रा का दूसरा दिन है।
पोप फ्रांसिस ने शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व का संदेश देने के लिए इराक के नजफ शहर में शनिवार को शिया समुदाय के सबसे वरिष्ठ धार्मिक नेताओं में से एक अयातुल्ला अली अल-सिस्तानी से मुलाकात की। पोप ने अल-सिस्तानी के आवास पर उनसे मुलाकात की और इस दौरान दोनों धार्मिक नेताओं ने कई मुद्दों पर बातचीत की।
कोरोना संकट काल के शुरू होने से अब तक में यह उनकी पहली विदेश यात्रा है। इस चार दिवसीय यात्रा के दौरान धर्मगुरु लगभग छह शहरों का दौरा करेंगे। इस दौरान कई राजनेताओं और सियासत के लोगों से मुलाकात भी करेंगे।
इराक की ऐतिहासिक यात्रा पर पोप फ्रांसिस
उनके द्वारा कहा गया कि उनकी इराक यात्रा का उद्देश्य इस्लाम को बढ़ावा देना और इराक के ईसाई समुदाय का समर्थन करना है। साथ ही मुस्लिम दुनिया के साथ वेटिकन के रिश्तों को नया आयाम देना है।
2014 में आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट ने ईसाई, यज़ीदी और अन्य धार्मिक अल्पसंख्यक समूहों के साथ अत्याचार किया। आईएस के आतंकवादियों ने सैकड़ों लोगों को मार डाला और महिलाओं और लड़कियों को गुलाम बना लिया। इराक में कई चर्चों और धार्मिक अल्पसंख्यक समुदाय के धार्मिक स्थलों को आतंकवादियों ने क्षतिग्रस्त कर दिया था।