प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 10 नवंबर मंगलवार को शंघाई सहयोग संगठन के वर्चुअल समिट में भाग लिया। समिट में पाकिस्तान, चीन,रुस समेत आठ सदस्य देशों के राष्ट्राध्यक्षों ने भाग लिया। भारत का चीन के साथ एलओसी पर काफी तनाव चल रहा है। इस बीच दोनों देशों के राष्ट्राध्यक्ष वर्चुअल समिट में आमने-सामने आए। समिट की अध्य़क्षता रूस राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने की।
आंतकवाद पर निशाना साधते हुए पीएम ने कहा कि ”भारत का शांति, सुरक्षा और समृद्धि पर दृढ़ विश्वास है। और हमने हमेशा आतंकवाद, अवैध हथियारों की तस्करी, ड्रग्स और मनी लॉन्डरिंग के विरोध में आवाज उठाई है। भारत सीएओ चार्टर में निर्धारित सिद्धांतों के अनुसार एससीओ के तहत काम करने की अपनी प्रतिबद्धता में दृढ़ रहा है”।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने समिट में बोलते हुए कहा कि ” यूनाटेड नेशन ने अपने 75 साल पूरे किए हैं। लेकिन अनेक सफलताओं के बाद भी संयुक्त राष्ट्र का मूल लक्ष्य अभी अधूरा है। महामारी की आर्थिक और सामाजिक पीड़ा से जूझ रहे विश्व की अपेक्षा है कि यूएन की व्यवस्था में आमूलचूल परिवर्तन आए हैं”।
उन्होंने आगे कहा कि ”अभूतपूर्व महामारी के इस अत्यंत कठिन समय में भारत के फार्मा उद्योग ने 150 से अधिक देशों को आवश्यक दवाएं भेजी हैं। दुनिया के सबसे बड़े वैक्सीन उत्पादक देश के रूप में भारत अपनी वैक्सीन उत्पादन और वितरण क्षमता का उपयोग इस संकट से लड़ने में पूरी मानवता की मदद करने के लिए करेगा। परन्तु, यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सीएओ एजेंड़ा में बार-बार अनावश्यक रूप से द्विपक्षीय मुद्दों को लाने के प्रयास हो रहे हैं, जो सीएओ चार्टर और शंघाई स्प्रिट का उल्लंघन करते हैं। इस तरह के प्रयास एससीओ को परिभाषित करने वाली सर्वसम्मति और सहयोग की भावना के विपरीत हैं”।