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दुनिया के लिए काल बना प्लास्टिक

प्लास्टिक जो शायद मानव जीवन के लिए एक वरदान बनकर सामने आया था, आज वह लगतार एक अभिशाप का रूप लेता जा रहा है। प्लास्टिक के प्रयोग को खत्म करने व कम स्तर पर प्रयोग में लाने के सरकार निरंतर प्रयास कर रही है, लेकिन यह प्रयास अब तक सफल नहीं हो पाए हैं। हर साल 3 जुलाई के दिन को “अंतराष्ट्रीय प्लास्टिक बैग मुक्त दिवस” के रूप में मनाया जाता है। इस दिन को मनाये जाने का उद्देश्य यही है कि प्लास्टिक प्रदूषण से होने वाले हानिकारक प्रभाव के बारे में जागरुकता फैलाई जाए, क्योंकि प्लास्टिक पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने का बड़ा कारक है।आज विश्व का हर व्यक्ति या ग्रहक प्लास्टिक बैग का प्रयोग करता है।

फिर चाहे वह सब्जी खरीद रहा हो या कोई मशीन हर जगह प्लास्टिक का प्रयोग होता है। जिससे प्लास्टिक प्रदूषण एक वैश्विक आपदा का रूप लेता जा रहा है और दुख की बात है कि यह मानव द्वारा ही निर्मित किया गया है। आज विश्व स्तर पर लगभग 500 बिलियन प्लास्टिक बैग का उपयोग किया जाता है, जिसका पर्यावरण, वन्य जीवन और मानव स्वास्थ्य पर बेहद हानिकारक प्रभाव पड़ रहा है। प्लास्टिक प्रदुषण का सबसे अधिक प्रभाव प्रमुख रूप से समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र पर पड़ रहा है। समुद्री स्तनधारियों की लगभग 31 प्रजातियाँ समुद्री प्लास्टिक को निगल जाती हैं, समुद्री पक्षियों की करीब 100 से अधिक प्रजातियाँ प्लास्टिक निगल जाती हैं, 250 से अधिक प्रजातियाँ प्लास्टिक में उलझ गई हैं।

 

प्लास्टिक के दुष्परिणाम

 

मानव रक्त में माइक्रो प्लास्टिक : प्लास्टिक हमारे जीवन को सबसे ज्यादा पर्यावरण को प्रभवित कर रही है और यह हमारे लिए सबसे गंभीर चिंता का विषय हैं। देश में भूख मिटाने के लिए गरम-गरम खाने से लेकर ठंडे पानी तक प्लास्टिक की वस्तुओं के उपयोग से दिन -दिन बीमारियों का खतरा भी बढ़ता ही जा रहा है। पर्यावरण संबंधी एक समूह का कहना है कि धरती पर कचरा फैला रहे प्लास्टिक के लाखों टुकड़े पूरी दुनिया में फ़ैल जाते हैं। आज हमारे आस-पास प्लास्टिक ही प्लास्टिक है। दुनिया में पहली बार मानव रक्त में भी माइक्रो प्लास्टिक पाया गया है।

बाढ़ का खतरा : एक रिपोर्ट के अनुसार नालियों में जमा होने वाले प्लास्टिक से अब दुनिया भर के 21.8 करोड़ लोगों पर से बाढ़ का गंभीर खतरा मंडरा रहा है।यह प्लास्टिक ऐसे ही सड़कों व नालियों आदि में फेंकें जाने के कारण नालियों में जमा हो जाता है जो प्रवाह प्रणाली (ड्रेनेज सिस्टम) को अवरुद्ध कर रहा है। वहीं शोधकर्ताओं के अनुमानानुसार साल 2000 से 2019 के बीच प्लास्टिक कचरा बढ़कर दोगुना हो गया है। जिसके कारण अब बाढ़ का यह खतरा धीरे – धीरे बढ़ता ही जा रहा है। डरा देने वाली बात यह है कि बाढ़ केवल एक बार नहीं बल्कि कई बार आएगी जो लोगों की जान के लिए हर बार खतरा बनेगा। इस बाढ़ का सबसे अधिक प्रभाव गरीब और कमजोर वर्ग के लोगों पर पड़ेगा। लोगों की यह संख्या ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी की कुल जनसंख्या के बराबर है।

समुद्र के लिए खतरा : दुनिया भर में इस समय प्लास्टिक का अंधाधुंध इस्तेमाल हो रहा है। इससे रोजाना हजारों टन प्लास्टिक कचरा निकलता है। ऐसे समय में संयुक्त राष्ट्र ने भी प्लास्टिक पर चिंता व्यक्त की है। संयुक्त राष्ट्र ने चेतावनी दी है कि 2050 तक महासागरों में मछलियों से ज्यादा प्लास्टिक होगा। प्लास्टिक कचरा समुद्र में जाने से समुद्र में प्रदूषण का स्तर बढ़ गया है। समुद्र में बढ़ते प्रदूषण के कारण हर साल समुद्र में जीवित जीव जंतुओं की संख्या तेजी से घट रही है।

 

क्या खत्म नहीं हो सकता प्लास्टिक

 

शोधकर्ताओं के अनुसार प्लास्टिक के चार प्रकारों नॉन-बायोडिग्रेडेबल पॉलीएथिलीन (पीई), और बायोडिग्रेडेबल पॉलिएस्टर-पॉलीयूरेथेन (पीयूआर), पॉलीब्यूटिलीन एडिपेट टेरेफ्थेलेट (पीबीएटी) और पॉलीलैक्टिक एसिड (पीएलए) के दो व्यावसायिक रूपों पर इनकी जांच की गई। जिसमें पाया गया की इनमें सूक्ष्मजीवों के 19 उपभेद है जिनमें 11 कवक और आठ बैक्टीरिया शामिल थे, वो 15 डिग्री सेल्सियस तापमान पर पॉलिएस्टर-पॉलीयूरेथेन (पीयूआर) को हजम करने में सक्षम थे। लेकिन 126 दिनों के बाद भी इनमें से कोई भी स्ट्रेन, पॉलीएथिलीन (पीई) को खत्म करने में सक्षम नहीं था। वहीं 14 फंगी और तीन बैक्टीरिया पीबीएटी और पीएलए के मिश्रित प्लास्टिक को खत्म करने में सक्षम थे।

 

यह भी पढ़ें : नालियों में जमा प्लास्टिक बन रहा बाढ़ का कारण

 

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